Move to Jagran APP

एचबीटीयू के छात्र ने बनाई सस्ती थ्री डी प्रिंटिंग मशीन, कम लागत में बनेंगे कृत्रिम अंग

एचबीटीयू में मैकेनिकल इंजीनिय¨रग के छात्र अपूर्व श्रीवास्तव ने 50 हजार रुपये में मशीन बनाई। यह मशीन कंप्यूटर और लैपटॉप के माध्यम से काम करेगी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 27 May 2018 02:01 AM (IST)Updated: Sun, 27 May 2018 04:02 PM (IST)
एचबीटीयू के छात्र ने बनाई सस्ती थ्री डी प्रिंटिंग मशीन, कम लागत में बनेंगे कृत्रिम अंग
एचबीटीयू के छात्र ने बनाई सस्ती थ्री डी प्रिंटिंग मशीन, कम लागत में बनेंगे कृत्रिम अंग

जागरण संवाददाता, कानपुर : हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एचबीटीयू) की खोज से कृत्रिम अंग बिल्कुल सटीक और कम लागत में बनाए जा सकेंगे। मैकेनिकल इंजीनिय¨रग विभाग के अंतिम वर्ष के छात्र अपूर्व श्रीवास्तव ने सस्ती थ्री डी प्रिंटिंग मशीन तैयार की है, जिससे कृत्रिम अंग ही नहीं बल्कि जूते और केक आदि भी कुछ ही देर में बनाए जा सकते हैं। इस शोध को पेटेंट कराने की प्रक्रिया शुरू की गई है। अभी मशीन से कंप्यूटर की-बोर्ड के बटन, मोबाइल कवर, प्लास्टिक के नट-बोल्ट, छोटे खिलौने आदि बनाए गए हैं। आठ माह में तैयार हुई इस मशीन की लागत करीब 50 हजार रुपये आई है, जबकि बाजार में 5 से 25 लाख रुपये तक की थ्री डी मशीन मिल रही हैं।

loksabha election banner

------------------------

कैसे करेगी काम

कंप्यूटर और लैपटॉप में ऑटोकैड या कोई भी मॉडलिंग सॉफ्टवेयर इंस्टॉल रहता है। सबसे पहले जिस वस्तु को बनाना होता है, उसकी थ्री डी डिजाइन तैयार की जाती है। उस डिजाइन को 'क्यूरा' सॉफ्टवेयर में भेजा जाता है। यह डिजाइन को समझकर कई लेयर में विभाजित कर देता है। यह विभाजित डाईग्राम का डाटा थ्री डी मशीन में लगे माइक्रो कंट्रोलर यूनिट (एमसीयू) को भेजा जाता है। एमसीयू खास तरह के हीटिंग बेड को संदेश देता है। दूसरे सिरे पर लगा थर्मोप्लास्टिक मैटीरियल हीटिंग बेड के कारण गर्म होने लगता है। 100 डिग्री सेंटीग्रेड पर मैटीरियल पिघलकर नोजल के सहारे नीचे लगे दूसरे हीटिंग प्लेट पर गिरती है। यह प्लेट मैटीरियल को कठोर नहीं होने देती है। थर्मोप्लास्टिक मैटीरियल वह पॉलीमर्स होते हैं, जो निश्चित तापमान पर आसानी से कठोर और पिघल जाते हैं।

-------------------------

एक ही प्रोडक्ट के लिए बेहतर

विशेषज्ञों के मुताबिक थ्रीडी प्रिंटिंग मशीन केवल एक ही प्रोडक्ट के लिए बेहतर विकल्प है। कई प्लास्टिक के पुर्जे, उपकरण ऐसे होते हैं, जिनको बनाना संभव नहीं होता है। उसे मशीन के द्वारा आसानी से बनाया जा सकता है।

-------------------------

जूते और उनके फर्मे बन सकेंगे

थ्री डी प्रिंटिंग मशीन से प्लास्टिक और रबर के बने जूते और उनके फर्मे भी बनाए जा सकते हैं। मैकेनिकल इंजीनिय¨रग विभाग इस पर भी काम कर रहा है।

--------------------------

अनुदान के लिए शासन को भेजा प्रस्ताव

शरीर में प्रत्यारोपित होने वाले कृत्रिम अंग भी बनाए जा सकते हैं। विश्वविद्यालय की ओर से बड़ी थ्री डी मशीन बनाने में अनुदान के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। इसमें जबड़े, कार्टिलेज समेत विभिन्न हड्डियों के इंप्लांट आदि शामिल हैं। इसमें पदार्थ भी खास किस्म के होंगे।

--------------------------

'सस्ती थ्री डी मशीन से किसी भी वस्तु की उत्पाद बनाना आसान हो जाएगी। इससे चिकित्सा क्षेत्र को काफी लाभ मिलेगा। इसके अलावा शू इंडस्ट्रीज और केक बनाने में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।-एसोसिएट प्रोफेसर जितेंद्र भास्कर, मैकेनिकल इंजीनिय¨रग, एचबीटीयू


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.