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बड़ा गुणकारी है गुड़हल, जानिए किस तरह दिल को रख सकता दुरुस्त

डीजी कालेज की छात्राओं की शोध का हर्बल रिसर्च डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट में परीक्षण, काम आ सकता है फूल का तेल।

By Edited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 12:26 AM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 12:26 PM (IST)
बड़ा गुणकारी है गुड़हल, जानिए किस तरह दिल को रख सकता दुरुस्त
बड़ा गुणकारी है गुड़हल, जानिए किस तरह दिल को रख सकता दुरुस्त
कानपुर, जागरण स्पेशल। गुड़हल का फूल बड़ा ही गुणकारी है, इसकी खोज शहर के दयानंद गल्र्स डिग्री कॉलेज की छात्राओं ने की है। शोध में सामने आया है कि गुड़हल में हृदय और पर्यावरण को दुरुस्त रखने का नुस्खा छिपा है। इसके तेल में पाया जाना वाला तत्व हृदय रोगियों के लिए लाभदायक हो सकता है, वहीं कैंसर की बीमारी के लिए दवा बनाने में भी इस्तेमाल हो सकता है।
ऐसे विटामिन जो कम करते कोलेस्ट्रॉल का खतरा
दयानंद गल्र्स डिग्री कॉलेज की एमएससी अंतिम वर्ष की छात्राओं ने एक्सट्रेशन मेथड के जरिए निष्कर्षण विधि से गुड़हल के फूल का तेल निकालकर उसका प्रयोग किया। उनके इस शोध की जांच हर्बल रिसर्च डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट देहरादून में की गई। जांच में सामने आया कि गुड़हल में फिनॉल, मिथाइलडोडेकेन, 1-5 हेप्टाडाइन व 3-5 आयडल जैसे कंपोनेंट पाए जाते हैं। यह कंपोनेंट एंटीऑक्सीडेंट का काम करते हैं जो हृदय की सुरक्षा के लिए लाभदायक हैं। इन कंपोनेंट के अलावा इसमें मिनरल्स व विटामिन भी पाए गए जो कोलेस्ट्रॉल का खतरा कम करते हैं।
बन सकती हैं कैंसर के रोग में हर्बल दवाएं
खास बात ये है कि गुड़हल के तेल में पाए गए इन तत्वों से हृदय के अलावा कैंसर के रोग में काम आने वाली वाली हर्बल दवाइयां भी बनाई जा सकती हैं। जांच में स्वालीन, साइनेडिन, डाइग्लूकोसाइड, थायमीन, राइबोफ्लेविन, एस्करबिक एसिड जैसे लाभकारी कंपाउंड भी मिले। दूसरी ओर गेंदे के फूल से निकाले गए तेल में भी कई लाभदायक कंपोनेंट पाए गए जो अल्सर, ब्लीडिंग, त्वचा के रोग, कान का दर्द, मुहासों व बुखार की हर्बल दवा बनाने के काम आते हैं। यह कंपोनेंट ऑक्सीकार्टेनाइड, जैन्थोफिल पिग्मेंट, डाइमेरिसिटेट, पालमीटेड स्टीरेट आदि हैं।
इस तरह लग सकती प्रदूषण पर लगाम
मंदिरों में चढ़े हुए फूलों को री-साइकल करने से प्रदूषण पर लगाम लग सकती है। डा. अर्चना दीक्षित ने बताया कि गुड़हल के चढ़े हुए फूलों का तेल केवल हर्बल दवाएं बनाने के काम ही नहीं आता है बल्कि इससे प्रदूषण को भी कम किया जा सकता है।

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