Fight against Coronavirus : कोरोना के इलाज में प्लाज्मा का प्रभाव जांचेगा जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के जनरल मेडिसिन एवं ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग मिलकर करेंगे काम।
कानपुर, जेएनएन। दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस का अब तक इलाज नहीं खोजा जा सका है। हालांकि कुछ देशों ने कोरोना से जंग जीत चुके लोगों के खून से तैयार प्लाज्मा गंभीर मरीजों में चढ़ाए, जिसके सकारात्मक परिणाम पाए हैं। अब जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज ये जानने के लिए लैब टेस्ट करने जा रहा है कि प्लाज्मा इलाज में कितना कारगर है। जनरल मेडिसिन एवं ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग ने इसकी तैयारी कर ली है। अनुमति के लिए कॉलेज की एथिक्स कमेटी को पत्र लिखा गया है।
जीएसवीएम को बनाया गया है नोडल सेंटर
कोरोना वायरस के इलाज के लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को कानपुर मंडल का नोडल सेंटर बनाया गया है। यहां सौ-सौ बेड के दो कोविड-19 अस्पताल हैं। 540 डॉक्टर, जूनियर रेजीडेंट, नॉन पीजी जूनियर रेजीडेंट, नर्सिंग स्टाफ समेत अन्य कर्मचारी मुस्तैद हैं। हालांकि संक्रमितों की संख्या दिन ब दिन बढ़ रही है। इसे देखते हुए मेडिसिन की विभागाध्यक्ष प्रो. रिचा गिरि ने प्लाज्मा विधि पर रिसर्च का फैसला किया है। इसके लिए ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की नोडल अफसर प्रो. लुबना खान ने सहमति दे दी है।
विदेशों में ऐसे हो रहा इलाज
कोरोना से जंग जीतने वाले मरीजों का शरीर वायरस के प्रति एंटीबॉडी बन जाता है। ऐसे लोगों के खून से प्लाज्मा निकालकर गंभीर मरीजों को दिया जा रहा है। हालांकि यह प्रक्रिया सिर्फ समान ब्लड ग्रुप वाले मरीजों पर ही अपनाई जाती है।
यह होंगे डोनर
- कोरोना संक्रमण से पूरी तरह जंग जीतने वाले
- संक्रमण से उबरने के बाद 14 दिन तक दोबारा लक्षण न दिखे हों
- थ्रोट-नेजल स्वाब की रिपोर्ट तीन बार नेगेटिव आई हो।
इन्हें चढ़ेगा
- आइसीयू में भर्ती कोरोना संक्रमित, जिनका ब्लड ग्रुप समान हो।
- ब्लड में ऑक्सीजन 93 फीसद से कम हो।
- फेफड़े लगातार खराब होते जा रहे हों।
इनका ये है कहना
कोरोना से जीत चुके मरीज वायरस के प्रति एंटीबॉडीज बन जाते हैं। कई देशों में इसके बेहतर परिणाम मिले हैं। ये कितना कारगर है लैब टेस्ट के माध्यम से ये जाना जाएगा।
- प्रो. रिचा गिरी, विभागाध्यक्ष, मेडिसिन, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।
विभिन्न विभागों के साथ प्लाज्मा पर काफी काम किया है। अब मेडिसिन विभाग के साथ मिलकर कोरोना के इलाज पर काम करेंगे।
- प्रो. लुबना खान, नोडल अफसर, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।