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जोड़ों के दर्द से पीड़ित हैं तो ये खबर हो सकती है फायदेमंद, जीएसवीएम ने खोजा कारगर इलाज

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के पेन क्लीनिक में सफल परीक्षण दर्द से चलने में लाचार लोग अब दौड़ रहे हैं।

By AbhishekEdited By: Published: Thu, 06 Jun 2019 10:11 AM (IST)Updated: Thu, 06 Jun 2019 11:00 AM (IST)
जोड़ों के दर्द से पीड़ित हैं तो ये खबर हो सकती है फायदेमंद, जीएसवीएम ने खोजा कारगर इलाज
जोड़ों के दर्द से पीड़ित हैं तो ये खबर हो सकती है फायदेमंद, जीएसवीएम ने खोजा कारगर इलाज
कानपुर, [ऋषि दीक्षित] अगर आप जोड़ों के दर्द यानि गठिया से पीडि़त हैं तो अब आप भी पहले की तरह दौड़ सकेंगे। जीएसवीएम मेडिकल कालेज में गठिया का दर्द दूर करने का इलाज खोज लिया गया है। यहां पेन क्लीनिक में सफल परीक्षण के बाद करीब 90 फीसद मरीजों को राहत मिली है और वह पहले की दौडऩे लगे हैं। मेडिकल विशेषज्ञों ने मरीजों के रक्त से ही दवा तैयार की है।

मरीज के रक्त से बनी दवा ने दी राहत
मेडिकल कॉलेज का एनस्थीसिया विभाग एलएलआर अस्पताल (हैलट) के ओपीडी ब्लॉक में पेन क्लीनिक चला रहा है। जहां दर्द से बेहाल मरीज इलाज के लिए आते हैं। उनमें बड़ी संख्या में गठिया के मरीज भी हैं। कई ऐसे हैं, जिनके घुटने के जोड़ पूरी तरह खराब हो चुके थे। चलने-फिरने से लाचार लोग व्हील चेयर पर आते थे। इन मरीजों को उनके स्वयं के रक्त से ही गठिया के दर्द से छुटकारा मिला है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के पेन क्लीनिक में अब तक 200 से अधिक मरीजों पर सफल परीक्षण हो चुका है। एनस्थीसिया विभागाध्यक्ष प्रो.अपूर्व अग्रवाल बताते हैं कि रक्त अव्यव प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा (पीआरपी) पर विभिन्न स्तर पर अध्ययन चल रहे हैं, जिसके बेहतर रिजल्ट मिले हैं इसलिए प्रयोग के तौर पर गठिया रोगियों पर इस्तेमाल किया, जिसके बेहतर रिजल्ट मिले हैं।
रक्त से तैयार कराया पीआरपी इंजेक्शन
अध्ययन में पेन क्लीनिक में आए चार-पांच वर्षों से गठिया से बेहाल मरीजों का रक्त लेकर पीआरपी तैयार कराया। फिर इंजेक्शन के जरिये पीआरपी घुटने में पहुंचाया। दो-तीन बार लगाने पर ही गठिया के दर्द से राहत मिली। ऐसे मरीज जिन्हें आर्थोपेडिक सर्जन ने घुटना प्रत्यारोपण की सलाह दी थी। उन्हें घुटना प्रत्यारोपण कराने की जरूरत ही नहीं है।

यह है इलाज का तरीका
गठिया के दर्द से पीडि़त मरीज के शरीर से 30 एमएल रक्त लेकर उससे पीआरपी निकाला जाता है। इस पीआरपी का इंजेक्शन घुटने में लगाते हैं। तीन माह के अंतराल में पीआरपी के दो से तीन इंजेक्शन लगाए जाते हैं।
यह भी जानें
घुटने के कार्टिलेज घिसने से हड्डियां आपस में रगडऩे लगती हैं। इसकी वजह से घुटने में भीषण दर्द होता है। घुटने जाम होने लगते हैं। पीआरपी का इंजेक्शन लगाने से घुटने की सतह पर चिकनाई आने से दर्द से राहत मिल जाती है। साथ ही कार्टिलेज री-जेनरेट होने लगता है।
चलने में लाचार अब दौड़ रहे
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में एनस्थीसिया विभागाध्यक्ष प्रो. अपूर्व अग्रवाल कहते हैं कि अध्ययन के तहत 200 से अधिक गठिया के मरीजों पर पीआरपी का परीक्षण कर चुके हैं। इसमें 90 फीसद मरीजों को दर्द से पूरी तरह राहत मिल गई। जो चलने-फिरने में लाचार थे, अब दौड़ रहे हैं। उनके घुटने की क्षतिग्रस्त कार्टिलेज भी री-जेनरेट हो गए। जो दस फीसद हैं, उन्हें भी दर्द से आराम मिला है। इसे मेडिकल जनरल में प्रकाशन के लिए भेजा है।

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