ओमिक्रोन से घबराने की नहीं है जरूरत, जानिए इसकी जांच और इलाज के लिए कितना तैयार है कानपुर
जीएसवीएम मेडिकल कालेज में नए वैरिएंट ओमिक्रोन की जांच से लेकर इलाज की पूरी तैयारी है। कोविड-19 लैब में किटें मंगाई गईं हैंसिर्फ शासन से हरी झंडी मिलने का इंतजार है। वहींएलएलआर अस्पताल (हैलट) के मेटरनिटी विंग के चौथे तल पर 22 बेड का वार्ड रिजर्व कर दिया गया है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन को लेकर दुनिया भर में खलबली मची हुई है। कर्नाटक में ओमिक्रोन के दो संक्रमित मिलने के बाद केंद्र सरकार ने देश भर में अलर्ट जारी कर दिया है। वहीं, शासन ने जीएसवीएम मेडिकल कालेज ने तीसरी लहर से निपटने के लिए अभी से तैयारी के निर्देश दिए हैं। इसी कड़ी में जीएसवीएम मेडिकल कालेज में नए वैरिएंट ओमिक्रोन की जांच से लेकर इलाज की पूरी तैयारी है। कोविड-19 लैब में किटें मंगाई गईं हैं, सिर्फ शासन से हरी झंडी मिलने का इंतजार है। वहीं, एलएलआर अस्पताल (हैलट) के मेटरनिटी विंग के चौथे तल पर 22 बेड का वार्ड रिजर्व कर दिया गया है। अगर ओमिक्रोन दस्तक देता है तो यहां संक्रमितों को भर्ती कर इलाज किया जाएगा।
हर स्थिति से निपटने की तैयारी: मेडिकल कालेज के एलएलआर अस्पताल को हर स्थित से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार किया जा रहा है। एलएलआर के मेटरनिटी ङ्क्षवग के चौथे तल पर 22 बेड का अलग वार्ड तैयार किया गया है। एक सप्ताह में वहां वेटीलेटर एवं अत्याधुनिक उपकरण लगा दिए जाएंगे। साथ ही वार्ड छह से 16 तक आक्सीजन पाइप लाइन लगाने के लिए भी टेंडर कर दिए गए हैं। दो माह में पाइप लाइन लगा दी जाएगी, जिससे इन वार्डों के बेड पर मरीजों को आक्सीजन मिलने लगेगी, आक्सीजन सिङ्क्षलडर ढोने के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी।
अमेरिकन आक्सीजन प्लांट लगेगा: एलएलआर अस्पताल के इमरजेंसी, मेटरनिटी विंग और न्यूरो साइंस सेंटर में आक्सीजन जनरेशन प्लांट की स्थापना हो चुकी है। अब अमेरिका से आक्सीजन जनरेशन प्लांट मंगाए जाने की अनुमति शासन से मांगी गई है। अमेरिका निर्मित इस प्लांट की क्षमता 1160 लीटर प्रति मिनट आक्सीजन जनरेट करने की होगी। प्राचार्य प्रो. संजय काला का दावा है कि अभी तक जो भी आक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाए गए हैं, उनमें ङ्क्षसगल कंप्रेशर है, जिससे उन्हें 24 घंटे नहीं चलाया जा सकता है। उनसे 70-80 फीसद ही शुद्ध आक्सीजन मिलती है। अमेरिका से मंगाए जा रहे प्लांट में डबल कंप्रेशर हैं, जिससे उसे 24 घंटे चलाया जा सकेगा। उसकी आक्सीजन भी 92 फीसद तक शुद्ध मिलेगी।
ओमिक्रोन की ऐसे होगी जांच: मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग के प्रोफेसर डा. विकास मिश्रा ने बताया कि कोरोना वायरस के ओमिक्रोन वैरिएंट में 50 से अधिक म्यूटेशन हुए हैं। जीएसवीएम मेडिकल कालेज की कोविड-19 लैब में कोरोना वायरस की जांच हो रही है। मेडिकल कालेज में कोरोना वायरस की जांच के लिए पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी (एनआइवी) से मल्टी फ्लैक्स जीन किट मंगाई जाती है, जिससे आरटी पीसीआर (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पालीमर्स चेन रिएक्शन) जांच की जाती है। कोरोना वायरस का डीएनए न्यूक्लियर कैप जीन (एन), एनवेलप जीन (ई), स्पाइक जीन (एस) और आउटर मेम्ब्रेन प्रोटीन (ओआरएस) से मिलकर बना होता है। जब वायरस को न्यूट्रिलाइज कर आरटीपीआर जांच की जाती है। जांच में एन जीन और ई जीन पाजिटिव आते हैं, जबकि एस जीन का टारगेट फेल हो जाता है। एस जीन का टारगेट फेल होने यानी निगेटिव रिपोर्ट आने का मतलब है ओमिक्रोन वायरस है। इसकी पुष्टि के लिए ही जीनोम सिक्वेंङ्क्षसग कराई जाती है।
निजी में नहीं है सुविधा: निजी लैब में सिंगल जीन किट मंगाई जाती है। इसलिए निजी लैब में कोरोना वायरस की आरटीपीसीआर जांच में सिंगल जीन का ही पता चलता है। इसलिए निजी लैब में ओमिक्रोन वायरस की जांच संभव नहीं है।
बोले जिम्मेदार: वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है। अभी तक मिले डाटा तेजी से संक्रमण फैलने की बात तो करते हैं, लेकिन नए वैरिएंट के संक्रमण की गंभीरता की पुष्टि नहीं करते हैं। पहले संक्रमित हुए लोगों को सतर्कता बरतने की जरूरत है, क्योंकि उनमें तेजी से संक्रमण हो रहा है। इसलिए कोविड प्रोटोकाल का पूरी तरह से पालन करें। शासन से अनुमति मिलते ही मेडिकल कालेज में कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट की जांच की जाएगी। यहां पूरी तैयारी है। अगर ओमिक्रोन वैरिएंट के संक्रमित आते हैं तो उनके लिए 22 बेड का अलग वार्ड रिजर्व कर दिया है। - प्रो. संजय काला, प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।