कारोबारी दें ध्यान, वार्षिक रिटर्न के नए प्रोफार्मा में देनी होंगी ये जानकारियां
जीएसटी लागू होने के बाद से कारोबारियों को रिटर्न दाखिल करने के बाद भी दिक्कत बनी है। सालाना प्रोफार्मा आने के बाद परेशानियां और बढ़ गई हैं।अब सटीक रिटर्न भरना मुश्किल होगा।
कानपुर (जागरण संवाददता)। जीएसटी का असली चक्रव्यूह तो अब कारोबारियों के सामने आया है। पिछले सप्ताह वार्षिक रिटर्न का जो प्रोफार्मा सिस्टम पर अपलोड हुआ है, उसे देखकर कारोबारियों को पसीना आ गया है। वार्षिक रिटर्न में ऐसी जानकारियां मांगी गई हैं जिनकी तैयारी तक नहीं है। व्यापारियों को जुलाई 2017 से 31 मार्च 2018 तक के व्यापार पर वार्षिक रिटर्न दाखिल करना होगा।
जीएसटीआर वन और थ्री-बी में थीं कईं गड़बडिय़ां
जीएसटी लागू होने के बाद से कारोबारी समस्याओं का सामना करते आ रहे हैं। रिटर्न दाखिल करने के बाद भी दिक्कतें बनी हुई हैं। अब सालाना प्रोफार्मा आने के बाद कारोबारियों की परेशानियां और बढ़ गई हैं। टैक्स सलाहकारों का मानना है कि जीएसटी लागू होने के शुरुआती समय में जीएसटीआर 1 और 3बी में कई गड़बडिय़ां थीं। जानकारियां भी ठीक नहीं भरी थीं, इसलिए अब सटीक रिटर्न भरना मुश्किल होगा। इससे नए वर्ष में कारोबारियों को नोटिस जारी हो सकती हैं।
सालाना रिटर्न में ये जानकारियां देनी होंगी
-वस्तु की खरीद, बिक्री का विस्तृत विवरण। आपूर्ति की प्रकृति, करयोग्य मूल्य, तीनों जीएसटी, सेस के अलग विवरण देने होंगे।
-एडवांस प्राप्ति के विवरण, खरीद, बिक्री जिसमें करदेयता है, उसके विवरण देने होंगे।
-रिटर्न में करयोग्य बिक्री, करमुक्त बिक्री, क्रेडिट नोट, जारी डेबिट नोट के विवरण, कच्चे माल, पैकिंग मैटीरियल, विदेश से आयात पर आइजीएसटी का विवरण देना होगा।
-जीएसटी लागू होते समय प्रारंभिक रहतिया में निहित आइटीसी के लिए ट्रान 1, ट्रान 2 के विवरण देने होंगे।
-आइटीसी जिन वस्तुओं में रिवर्स होनी है, उनके विवरण।
-उपयोग न की गई आइटीसी का विवरण।
-नकद दिए टैक्स का विवरण।
-तीनों जीएसटी, उपकर, ब्याज, विलंब शुल्क, पेनाल्टी के अलग-अलग विवरण।
-कितना रिफंड क्लेम किया, कितना पास हुआ, कितना मिला, कितना रिजेक्ट हुआ, कितना पेंडिंग है इसके विवरण।
-कितनी डिमांड थी, कितना जमा किया, कितना बाकी है, इसके विवरण।
-सेवा क्षेत्र का रिटर्न भरने को सर्विस अकाउंटिंग कोड जरूरी।
-जिनकी आइटीसी बाधित है, उनकी जानकारी देनी होगी। आइटीसी का लाभ लिया है तो रिवर्स करना होगा।
-एचएसएन कोड से बिक्री या करयोग्य सेवा के विवरण अपलोड होंगे। हर कोड में वर्ष भर में बिक्री बतानी होगी
ये हैं प्रमुख ऑडिट
-दो करोड़ या अधिक के कारोबार पर सीए ऑडिट रिपोर्ट लगेगी।
-जीएसटी अधिकारी विभागीय ऑडिट के लिए केस चुनेंगे।
-आयुक्त को किसी के बहीखातों में गलत गणना मिलती है तो वह सीए से स्पेशल ऑडिट करा सकता है।
अलग-अलग रजिस्टर जरूरी
हर वस्तु का अलग रजिस्टर न बनाने से रिटर्न भरना मुश्किल होगा। कारोबारी एक रजिस्टर पर पूरा स्टाक रखते हैं। किराना, दवा में एचएसएन कोड की समस्या ज्यादा होगी। चार्टर्ड अकाउंटेंट अरुण अहलुवालिया कहते हैं कि वार्षिक रिटर्न बहुत मुश्किल है। ज्यादातर कारोबारी शुरूआती माह में अपने रिटर्न ठीक से नहीं भर पाए थे। वार्षिक रिटर्न से उन्हें मैच किया जाएगा तो गड़बडिय़ां मिलेंगी।
कपड़ा कारोबारियों को बड़ी राहत
त्योहार से पहले कपड़ा कारोबारियों को जीएसटी में भारी राहत मिली है। कानपुर कपड़ा कारोबार का बड़ा केंद्र है, लेकिन ज्यादातर कारोबारियों के व्यवसाय स्थल के पास अपने गोदाम नहीं हैं। वैट में कारोबारी ट्रांसपोर्टर के गोदाम में माल रख लेते थे। गोदाम का शुल्क ट्रांसपोर्टर को देते थे। जीएसटी में यह व्यवस्था खत्म हो गई।
ई-वे बिल में तय होता है कि माल किस तारीख तक दुकानदार तक पहुंच जाएगा। इसके बाद ट्रांसपोर्टर के गोदाम में माल पाए जाने पर उन पर कार्रवाई तक की गई। सेंट्रल बोर्ड आफ इन डायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम की जीएसटी पालिसी विंग के इस आदेश से अब यह समस्या नहीं रहेगी। कपड़ा कारोबारी ट्रांसपोर्टर के गोदाम में माल रख सकेंगे। उन्हें ट्रांसपोर्टर के गोदाम को अतिरिक्त व्यवसाय स्थल के रूप में पंजीकृत करना होगा। ट्रांसपोर्टर को भी उसे स्वीकार करना होगा।