जीआरपी दादरी का पकड़ा गया झूठ, भूमिका संदिग्ध
शहर के युवा फैशन डिजाइनर सौरभ शुक्ला की संदिग्ध मौत के पीछे हादसा है या हत्या, यह तय नहीं हो सका है लेकिन, यह जरूर साबित हो गया है कि जीआरपी दादरी की भूमिका संदिग्ध है।
जागरण संवाददाता, कानपुर: शहर के युवा फैशन डिजाइनर सौरभ शुक्ला की संदिग्ध मौत के पीछे हादसा है या हत्या, यह तय नहीं हो सका है लेकिन, यह जरूर साबित हो गया है कि जीआरपी दादरी की भूमिका संदिग्ध है। उसका झूठ पकड़ा जा चुका है।
बर्रा की आजाद कुटिया निवासी सौरभ शुक्ला पुत्र राम किशोर शुक्ला चार मार्च को कानपुर से ट्रेन पकड़ दिल्ली के लिए निकले थे। कोई संपर्क न होने पर परिजन ने खोजबीन शुरू की तो 10 मार्च को पता चला कि सौरभ घायल अवस्था में दादरी रेलवे ट्रैक पर मिले थे और सफदरगंज अस्पताल में पांच मार्च को उनकी मृत्यु हो गई।
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जांच की आंच जीआरपी पर
इस मामले में शुरुआत से ही जीआरपी दादरी के सिपाही ओमवीर, कौशलेंद्र व दारोगा प्रताप सिंह की भूमिका संदिग्ध है। तीनों को निलंबित किया जा चुका है। जांच जितनी आगे बढ़ रही है, उससे सामने आ रहा है कि नाम-पता ज्ञात होने के बाद भी सौरभ को जीआरपी अज्ञात बनाए रही। जीआरपी दादरी ने पहले यह बयान दिया था कि सौरभ का पता नहीं मालूम था जबकि जांच में उनका झूठ पकड़ा गया।
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ऐसे पकड़ा झूठ
सौरभ के भाई गौरव ने बताया कि जीआरपी, अस्पताल आदि का रिकार्ड खंगाला तो पता चला कि सौरभ को घायल अवस्था में सबसे पहले पोर्टर लोकेंद्र ने देखा था। बाद में ओमवीर व कौशलेंद्र पहुंचे। सौरभ को 108 एंबुलेंस में लेकर अस्पताल पहुंचा तो डॉक्टर ने चालक से घायल का पता पूछा। एंबुलेंस चालक ने कंट्रोल रूम से लोकेंद्र का नंबर लेकर उसे बात की। लोकेंद्र ने जब ओमवीर से पूछा तो उसने आधार कार्ड में दर्ज पता बताया। वहीं जो सामान सौरभ की शिनाख्त के बाद परिजन को सौंपे गए, उनमें पते से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं थे। अस्पताल में आधार कार्ड का पता कहां से आया, जब इसकी छानबीन शुरू हुई तो पहले लोकेंद्र ने भी झूठ बोला लेकिन, जब फोन नंबर की डिटेल निकली तो लोकेंद्र टूट गया। उसने बताया कि झूठ बोलने के लिए जीआरपी के सिपाही व दारोगा ने उसे धमकाया था। लोकेंद्र से झूठ क्यों बुलवाया गया, यह बड़ा सवाल है।
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पास में थी बड़ी रकम
सौरभ के भाई गौरव शुक्ला के मुताबिक उसके भाई के पास घटना वाले दिन 21 हजार रुपये से अधिक रकम थी। आरोप लगाया कि जीआरपी ने पैसा हजम कर लिया और इसीलिए शिनाख्त मिटाने की कोशिश हुई।
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एसपी ने माना, मामले में है गोलमाल
एसपी जीआरपी आगरा नितिन तिवारी ने भी माना है कि इस प्रकरण में जीआरपी दादरी की गतिविधियां संदिग्ध हैं। उसका झूठ पकड़ा गया है। इस मामले में और भी कई पेच हैं, जिनकी जांच की जा रही है।