Kanpur में पढ़ाई व इलाज की गुणवत्ता से तय होगी मेडिकल कालेज की ग्रेड, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने की वर्चुअल बैठक
कानपुर में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने देश भर के मेडिकल कालेजों के जिम्मेदारों के साथ वर्चुअल माध्यम से बैठक की है। वहीं मेडिकल कालेजों के सीसीटीवी कैमरे व एचआइएमएस से एनएमसी का कमांड एवं कंट्रोल सेंटर नजर भी रखेगा।
कानपुर, जागरण संवाददाता। देशभर के मेडिकल कालेजों के पठन-पाठन से लेकर इलाज की सीधी निगरानी नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) करेगा। इसके लिए मेडिकल कालेजों में क्लोज सर्किट टेलीविजन (सीसीटीवी) कैमरे और हास्पिटल इंफारमेंशन मैनेजमेंट सिस्टम (एचआइएमएस) और चिकित्सा शिक्षकों की आधार से जुड़ी बायोमीट्रिक उपस्थिति को भी जोड़ा जा रहा है।
इसके जरिये एनएमसी का इंट्रीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर मेडिकल कालेज में पढ़ाई और इलाज की गुणवत्ता परखेगा। उसके आधार पर मेडिकल कालेजों की ग्रेड तय होगी। ये बातें गुरुवार शाम वर्चुअल माध्यम से देश भर के मेडिकल कालेजों के जिम्मेदारों के साथ बैठक करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कही। इसमें जीएसवीएम मेडिकल कालेज के प्राचार्य व अन्य अधिकारी भी शामिल हुए।
मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला के मुताबिक मंत्री ने कहा कि एनएमसी के विशेषज्ञ साल-दो साल में एक बार मेडिकल कालेज में जांच करने जाते हैं। उसके आधार पर आकलन करते हैं, जो व्यावहारिक नहीं है। ऐसे में एनएमसी ने अपना इंटीग्रेटेड कमांड एवं कंट्रोल सेंटर तैयार किया है।
उसे मेडिकल कालेजों के एचआइएमएस, सीसीटीवी कैमरे और बायोमीट्रिक उपस्थिति मशीन से इंटरनेट के माध्यम से जोड़ा है। सीसी कैमरे पंजीकरण काउंटर, ओपीडी, आयुष्मान भारत योजना के काउंटर, पैथोलाजी, लेक्चर थियेटर और पुस्तकालय में लगाए गए हैं।
इसके माध्यम से मरीजों का प्रतिदिन का डाटा, लेक्चर थियेटर में पढ़ाई और फैकल्टी की उपस्थिति की नियमित निगरानी होती रहेगी। फैकल्टी व छात्र-छात्राओं के आने-जाने का समय और शिक्षक उन्हें पढ़ा रहे हैं या नहीं, यह भी देखेंगे।
इससे ही मेडिकल कालेजों को ग्रीन, यलो और रेड ग्रेड दिया जाएगा। इस दौरान मंत्री ने कुछ कालेजों में फैकल्टी की उपस्थिति भी चेक की। बैठक में उप प्राचार्य प्रो. रिचा गिरि, प्रो. सौरभ अग्रवाल, प्रो. जलज सक्सेना व प्रो. एसके गौतम शामिल रहे।
ग्रेड के आधार पर घटेंगी-बढ़ेंगी सीटें
प्रो. काला ने बताया कि एनएमसी अपने स्तर से निगरानी करता रहेगा। इस आधार पर मिले ग्रेड से एमबीबीएस, एमडी/एमएस की सीटें घटे और बढ़ेंगी। मानक पूरे न होने पर मान्यता भी जा सकती है।