विवाह में उपहार मिले हैं तो सूची भी बना लें
जनवरी से ही सहालग तेज है और जुलाई तक विवाह के लिए खूब तारीखें हैं। विवाह में उपहार भी खूब मिलते हैं।
जागरण संवाददाता, कानपुर : जनवरी से ही सहालग तेज है और जुलाई तक विवाह के लिए खूब तारीखें हैं। विवाह में उपहार भी खूब मिलते हैं। शादी के बाद अक्सर इसकी चर्चा भी होती है कि उपहार में क्या मिला। यूं तो विवाह के दिन मिले उपहारों पर कोई कर नहीं होता, लेकिन आयकर अगले सात वर्षो में कभी भी इन उपहारों को लेकर पूछताछ कर सकता है। उस समय जवाब न दे पाने पर इन्हें बेनामी संपत्ति माना जा सकता है, इसलिए सावधानी बरतते हुए उपहारों की सूची बना लें तो बेहतर होगा। आयकर की पूछताछ में अगर गिफ्ट देने वाला मुकर गया तो गिफ्ट पाने वाले को साबित करना होगा कि वह धन, वस्तु या संपत्ति कहां से आई। अचल संपत्ति के मामले में शादी के दिन ही गिफ्ट डीड बनवाकर रजिस्ट्री करा लेनी चाहिए। कर योग्य न माने जाने की छूट सिर्फ शादी के दिन के लिए ही है, इसके आगे या पीछे की तारीख में गिफ्ट लेने पर उसे कर योग्य आय मान लिया जाएगा। साथ ही उस पर टैक्स देना होगा।
50 हजार से अधिक नकद पर बरतें सावधानी शादी में 50 हजार रुपये से अधिक की नकदी उपहार के रूप में आई हो तो जितने भी लोगों ने नकदी दी है, सभी की सूची बना लें। सामान्य तौर पर कोई किसी से लिखित रूप में नहीं लेता कि किसने कितना धन दिया है, लेकिन आयकर की पूछताछ से बचने में यह एक अतिरिक्त सावधानी हो सकती है।
छापे में जेवर मिलने पर बचने के लिए आयकर के छापे में यदि शादी में मिले जेवर पकड़ में आए तो सिर्फ मौखिक रूप से यह कहकर नहीं बच सकते कि वे शादी में मिले थे। जेवर जिसने दिए उसका नाम बताना होगा और जेवर देने वाला आयकर की पूछताछ में मुकर गया तो उसे बेनामी संपत्ति माना जाएगा। यही स्थिति अचल संपत्ति में होगी यदि शादी वाले दिन ही गिफ्ट डीड तैयार नहीं की गई।
उपहार से होने वाली आय बतानी होगी विवाह के दिन मिले शेयर, संपत्ति या अन्य किसी उपहार से कोई आमदनी होती है तो उस वित्तीय वर्ष के रिटर्न में उसकी घोषणा करनी होगी।
टैक्स सलाहकार संतोष गुप्ता ने बताया कि आयकर चालू वित्तीय वर्ष और उससे पहले के छह वर्ष की जानकारी मांग सकता है। जिन रिश्तेदारों या पहचान वालों ने नकदी, जेवर, वस्तुएं, अचल संपत्ति, शेयर उपहार में दिए हैं, उनसे ऐसी लिखापढ़ी करा लेनी चाहिए ताकि आयकर की पूछताछ में स्पष्ट कर सकें। अगर आयकर ने पूछा और करदाता साबित न कर पाए तो उसे बेनामी संपत्ति माना जाएगा।