भादो में ही उठी गंगा की रेत, बढ़ा प्रदूषण
भादो, यानी उफनती नदियां, कोलाहल करते किनारे और लबालब पानी में उठती हिलोरें, महज नौ दिन पहले यह हाल था। गंगा डरा रहीं थीं। गंगा अब भी डरा रहीं हैं।
जागरण संवाददाता, कानपुर : भादो, यानी उफनती नदियां, कोलाहल करते किनारे और लबालब पानी में उठती हिलोरें, महज नौ दिन पहले यह हाल था। गंगा डरा रहीं थीं। गंगा अब भी डरा रहीं हैं। उफनाई गंगा के पानी से अभी गांवों को निजात भी नहीं मिल पाई कि भादो में ही नदी के बीचोबीच रेत उठने लगी है। यानी गंगा की डीसील्टिंग के लिए न होने वाले प्रयास अभी से असर दिखा रहा है। बता रहा है कि आगे आने वाले दिनों में गंगा सूखेंगी और कानपुर जलसंकट की भयावहता से जूझने वाला है। गंगा में पानी कम होने और रेत उठने के बाद बारिश के मौसम में भी प्रदूषण बढ़ गया और गंगाजल में कालिमा बढ़ गई।
गंगा का जलस्तर तेजी से घटने के साथ ही प्रदूषण बढ़ने लगा है। नौ दिन में जलस्तर बैराज से जाजमऊ तक 1.60 मीटर तक गिर गया है। जिसके चलते नालों का बहाव अब धीमा होकर दूषित पानी गंगा में मिलने लगा है। कई स्थानों पर बीच में रेत दिखने लगी है। इधर जलस्तर गिरने से बुधवार को नरौरा से 18,149 क्यूसेक पानी छोड़ गया। गंगा बैराज से जाजमऊ तक कुल 2,53,900 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इसके भी कम होने से अब बैराज के 30 गेट खोले जा रहे हैं। पिछले साल जलस्तर डाउन स्ट्रीम में 113 मीटर से अधिक था। गंगा बैराज की नौ दिनों की स्थिति
10 सितंबर
अपस्ट्रीम - 114.60 मीटर
डाउनस्ट्रीम (बैराज से जाजमऊ ) - 113.95 मीटर
शुक्लागंज - 112.98 मीटर 19 सितंबर
अपस्ट्रीम - 113.80 मीटर
डाउनस्ट्रीम (बैराज से जाजमऊ ) - 112.35 मीटर
शुक्लागंज - 111.23 मीटर .....................
अभी बीस करोड़ लीटर पीने का पानी मिल रहा है हालांकि जलस्तर गिरने से नालों का दूषित पानी गंगा में मिलने लगा है। पानी को ट्रीट करने पर नजर रखी जा रही है।
- आरबी राजपूत, सचिव, जलकल विभाग