गंगा और यमुना को प्रदूषण से बचाना जरूरी
जागरण संवाददाता, कानपुर : गंगा और यमुना को प्रदूषण से बचाना जरूरी है। पापों का शमन करने
जागरण संवाददाता, कानपुर : गंगा और यमुना को प्रदूषण से बचाना जरूरी है। पापों का शमन करने वाली गंगा जब भगवान ब्रह्मा के कमंडल से निकलीं तभी उन्होंने कह दिया था कि एक ऐसा अवसर आएगा कि वह सिमट जाएंगी। यह स्थिति 20 साल से है। लोगों ने निजी स्वार्थ के लिए गंगा को प्रदूषित कर दिया है। 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा राशि गंगा की धारा को अविरल निर्मल बनाने में खर्च होने की बात कही जा रही है, लेकिन जो हालात हैं वे अच्छे नहीं हैं। ये बातें स्वामी गिरीशानंद सरस्वती ने लाजपत भवन में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में कही।
उन्होंने कहा कि भगवान भक्त के प्रेम के वश में हो जाते हैं और वे भक्त से पराजित हो जाते हैं। महाराज बली यज्ञ कर रहे थे और वामन भगवान ने वहां पहुंचकर उनसे तीन पग भूमि मांगा। दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य ने महाराज बली को दान देने से रोका, लेकिन बली नहीं माने और कहा कि जब दुनिया को देने वाला आज मांगने के लिए खड़ा है तो इंकार करना पाप होगा। भगवान ने दो पग में सबकुछ नाप लिया तब महाराज ने सिर झुका दिया और कहा प्रभु तीसरा पग मेरे सिर पर रखें। वामन भगवान इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने बली को जब राजा बनाया उनका द्वारपाल बनना स्वीकार कर लिया। यह भक्त और भगवान का प्रेम है कि भक्त का द्वारपाल खुद भगवान बन गए। स्वामी जी ने कहा कि छह जगहों पर बोला गया झूठ पाप नहीं होता। किसी गाय का जीवन बचाने के लिए यदि आप झूठ बोलते हैं तो वह पुण्य है। आत्मरक्षा के लिए भी झूठ बोल सकते हैं। सज्जन पुरुष की भलाई के लिए बोला गया झूठ भी पाप की श्रेणी में नहीं आता।