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GAIL पाता ने रचा इतिहास, सरकार के मेक इन इंडिया के सपने को किया साकार

देश में पहली बार मेटालोसीन पॉलीमर का उत्पादन किया है अभी तक विदेशों से आयात होता था।

By AbhishekEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 02:23 PM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 04:38 PM (IST)
GAIL पाता ने रचा इतिहास, सरकार के मेक इन इंडिया के सपने को किया साकार

औरैया, जेएनएन। सरकार की महारत्न कंपनी गेल इंडिया के पाता पेट्रोकेमिकल संयंत्र ने देश भर में पहली बार मेटालोसीन ग्रेड के पॉलीमर का उत्पादन कर इतिहास रच दिया है। अभी तक इस पॉलीमर का विदेशों से आयात करना पड़ता था। गेल पता संयत्र ने केंद्र सरकार के मेक इन इंडिया के सपने को साकार कर दिया है। इस उपलब्धि से गेल इंडिया में अधिकारियों और कर्मचारियों में खुशी है और वो इसे देश के लिए गौरव की बात मान रहे हैं।

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लाइसेंसर के सहयोग के बिना हासिल की उपलब्धि

गेल इंडिया के कार्यकारी निदेशक सोमेश्वरुड़ू ने पत्रकारों को बताया कि मेटालोसीन ग्रेड के पॉलीमर का उत्पादन कर गेल ने भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'मेक इन इंडिया' को साकार किया है। खास बात ये है कि यहां के अनुभवी इंजीनियरों ने लाइसेंसर (यूनीवेशन टेक्नोलॉजी यूएसए) के सहयोग के बिना ही यह उपलब्धि हासिल की है। यह देश के लिए बेहद गर्व की बात है।

6.78 लाख मीट्रिक टन पॉलीमर का उत्पादन

उन्होंने बताया कि इससे पहले गेल पाता ने पिछले वित्तीय वर्ष में 7.56 लाख मीट्रिक टन पॉलीमर का उत्पादन किया था, जो लक्ष्य के सापेक्ष 02 फीसद अधिक था। इस वित्तीय वर्ष के लिए मिले 8.10 लाख मीट्रिक टन लक्ष्य में से 6.78 लाख मीट्रिक टन पॉलीमर का उत्पादन हो चुका है। उन्होंने इस सफलता का श्रेय गेल इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के तौर पर कार्यभार ग्रहण करने वाले मनोज जैन को दिया और लगातार आगे बढऩे के वादे को दोहराया। साथ ही यह भी बताया कि गेल पाता स्थित 5.76 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयत्र से अभी तक 12645 मेगावाट घंटे से ज्यादा का उत्पादन हो रहा है।

शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहा गेल

गेल इंडिया का पाता संयत्र सीएसआर कार्यक्रम के तहत 'प्रोजेक्ट अवंत' चला रहा है। इसके लिए उच्च प्राथमिक विद्यालय में स्मार्ट क्लासेज की स्थापना की गई है। इसके अलावा कौशल विकास के लिए प्रति वर्ष युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कार्यकारी निदेशक सोमेश्वरुड़ू ने बताया कि पाता की 5 मोबाइल चिकित्सा वाहन है, जिससे आसपास के गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा रही हैं।


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