डेंगू से चार और मौतें, वेक्टर बार्न डिजीज के नोडल अफसर हटाए गए
डेंगू से चार और मौतें वेक्टर बार्न डिजीज के नोडल अफसर हटाए गए
जागरण संवाददाता, कानपुर : जिले में डेंगू महामारी बन चुका है। इसकी चपेट में आए तीन और लोगों की मौत हो गई। इसके साथ ही मौतों का आंकड़ा 52 पहुंच गया है। उधर, शासन एवं जिला प्रशासन के दबाव पर सीएमओ डॉ. अशोक शुक्ला को पहली कार्रवाई करनी पड़ी। डेंगू नियंत्रण में नाकाम रहे वेक्टर बार्न डिजीज (वीबीडी) के नोडल अफसर डॉ. आरएन सिंह को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। अभी उनके पास शहरी मलेरिया अधिकारी का चार्ज है। उनके हटते ही सरकारी आंकड़े में डेंगू से पहली मौत भी दर्ज हो गई। इससे प्रमाणित हो गया कि वह डेंगू रिपोर्टिग में आंकड़ेबाजी कर रहे थे। काकादेव में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही मुन्नौव्वरपुर निवासी 19 वर्षीय रौनक को एक सप्ताह पहले बुखार आया था। उसके पिता आनंद दुबे ने बताया कि डेंगू की पुष्टि हुई थी। सर्वोदय नगर स्थित नर्सिग होम में इलाज के दौरान मौत हो गई। वहीं जरौली फेज-1 निवासी चार वर्षीय मासूम आयुष्मान उमराव को कई दिनों से बुखार था। पिता के मुताबिक जांच में डेंगू की पुष्टि हुई। उसके प्लेटलेट्स भी कम थे। डॉक्टर की सलाह पर कर्रही स्थित नर्सिग होम में भर्ती कराया था, जहां इलाज के दौरान मौत हो गई। वहीं चकेरी क्षेत्र के पटेल नगर निवासी 45 वर्षीय गुड्डी को कई दिनों से बुखार आने पर 27 अक्टूबर को एलएलआर अस्पताल (हैलट) के मेडिसिन विभाग के डॉ. अरविंद कुमार को दिखाया। उसका इलाज उनकी देखरेख में चल रहा था। मेडिकल कॉलेज की लैब में जांच कराने पर डेंगू की पुष्टि हुई थी। इलाज के दौरान सोमवार को उसने दम तोड़ दिया। खाड़ेपुर योगेंद्र विहार के चार वर्षीय अभिनव को कई दिनों से बुखार था। उसके पिता के बताया कि जांच में डेंगू की पुष्टि हुई थी। इलाज के दौरान मौत हो गई।
डेंगू नियंत्रण में नाकाम रहने पर वीबीडी के नोडल अफसर डॉ. आरएन सिंह को हटा दिया है। उनके वित्तीय समेत सभी अधिकार ले लिए गए हैं। उनके पास अभी शहरी मलेरिया अधिकारी का प्रभार है। क्षेत्र में गड़बड़ी की जांच के बाद वह भी वापस ले लिया जाएगा। वीबीडी का नोडल अफसर एसीएमओ डॉ. एके सिंह को बनाया है। डॉ. अशोक शुक्ला, सीएमओ। आंकड़े कम दिखाने का खेल जिले के मरीजों ने हर साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। प्रदेश में लखनऊ के बाद सर्वाधिक मरीज कानपुर से रिपोर्ट हुए हैं, जबकि यह सरकारी आंकड़ा है। निजी लैब में बड़ी संख्या में जांच हो रही है, उसके आंकड़े शामिल ही नहीं किए जा रहे हैं। इसमें सिर्फ जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज व उर्सला अस्पताल की लैब में 1630 मरीजों में डेंगू की की पुष्टि हुई है। अधिकारियों का दावा है कि इसमें से 419 मरीज दूसरे व 1211 अपने जिले के मरीज हैं। स्वास्थ विभाग के अधिकारियों ने आकड़े छिपाने के लिए शहरी क्षेत्र के आकड़ों को अलग-अलग दर्शाया है। शहरी क्षेत्र के 945 और शहर के मध्य स्थित छावनी क्षेत्र के 38 डेंगू पीड़ित हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्र के 99 मरीज हैं। इसके अलावा 129 मरीजों के नाम-पते ढूंढ नहीं पाए। डेंगू से मौतों को शहरी मलेरिया अधिकारी लगातार नकारते रहे हैं। इस पर शासन, जिला प्रशासन एवं महापौर तक नाराजगी जता चुकी हैं।