सात समंदर पार के पक्षियों को भी कानपुर से हुआ प्यार, बना रहे अपना घर
280 अलग-अलग प्रजातियों के पक्षी पूरे साल भर अलग-अलग मौसम में आते हैं यहां।
कानपुर (जागरण संवाददाता)। भले ही शहर को प्रदूषण के मामले में देश के अंदर पहला स्थान मिला हो, यहां की हवा को जहरीली करार दिया गया हो लेकिन सात समंदर पार से विदेशी पक्षी आज भी यहां अपना घर बनाने आते हैं। इनमें मुख्य रूप से अफ्रीका से आने वाली जेकोबिन कुक्कू शामिल है, तो वहीं हिमालय की ओर से आने वाली रेड स्टार्ट यहां नेस्टिंग करती हैं।
यही नहीं, ब्राउन श्राइक, ब्लू थ्रोट, पैराडाइज फ्लाइकेचर समेत 280 अलग-अलग प्रजातियों के पक्षी पूरे सालभर में अलग-अलग मौसम में यहां आते हैं, कुछ दिन ठहरते हैं और फिर वापस लौट जाते हैं। पक्षी विशेषज्ञ पीरोड निवासी नीरज मिश्रा बताते हैं कि वह सालों से हर रविवार अपने दोस्तों संग शहर से बाहरी इलाकों में इन्हें देखने जाते हैं। उसके बाद इनकी तस्वीर को अपने कैमरे में कैद करते हैं।
उनका मानना है कि शहर का जो मौसम और वातावरण है, वह इन पक्षियों के लिए अनुकूल है। यही एक बड़ी वजह है कि इनका यहां आना लगातार जारी है। प्राणिउद्यान के निदेशक केके सिंह ने बताया कि यहां अच्छी संख्या में विभिन्न प्रजातियों के पक्षी हैं जिन्हें दर्शक देखकर काफी खुश होते हैं। जल्द ही अन्य नए पक्षियों को भी यहां लाया जाएगा।
इन स्थानों पर सबसे ज्यादा दिखते पक्षी
शहर में गंगा बैराज के पास बने गांव, मंधना मार्ग स्थित सिंहपुर के पास गांव, बिठूर के पास गांव, पनकी के आगे बने गांव, चिडिय़ाघर आदि अन्य स्थानों पर रंग-बिरंगे विभिन्न प्रजातियों के पक्षी दिखते हैं।
ये पक्षी भी दिखते
नार्दर्न शोवलर, मिनिवेट, ऑरेंज हेडेड थ्रस, स्टोनचैट, ग्रेलेग गीज, बार हेडेड गीज, रेड थ्रोटेड फ्लाइकेचर, क्रेस्टेड लार्क।