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हुनर के पंखों से कामयाबी की उड़ान

(प्रकरण-एक) बीमार पति की मौत के बाद सेहरा बेगम पर मानों मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। जा

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Dec 2017 01:25 AM (IST)Updated: Sun, 17 Dec 2017 01:25 AM (IST)
हुनर के पंखों से कामयाबी की उड़ान

(प्रकरण-एक)

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बीमार पति की मौत के बाद सेहरा बेगम पर मानों मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। जो पैसा था वह पति की बीमारी पर खर्च हो गया। आठ वर्षीय बेटी और अपना खर्च उठाने के लिए सेहरा ने मजदूरी शुरू की। मीरपुर, फेथफुलगंज में जहां बेटी कक्षा पांच में पढ़ रही है, वहां स्किल डेवलपमेंट केंद्र की जानकारी हुई तो वहां प्रशिक्षण के बाद सिलाई के जरिए अब सम्मानजनक तरीके से धनार्जन कर परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं।

(प्रकरण-2)

पति की आय कम थी और परिवार की जरूरतें ज्यादा। ऐसे में इच्छाओं का दमन करना पड़ा। गरिमा और सुमन को स्किल डेवलपमेंट केंद्र की जानकारी मिली तो उन्होंने सिलाई का प्रशिक्षण लिया और पति के कंधे से कंधा मिलाकर गृहस्थी की गाड़ी को रफ्तार दे रही हैं।

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जागरण संवाददाता, कानपुर : ये दो उदाहरण बताने के लिए काफी हैं कि इरादे मजबूत हों तो मुसीबतें और मजबूरियां भी घुटने टेक देती हैं। इन महिलाओं ने साबित कर दिखाया कि हुनर के पंखों से कामयाबी के आसमान पर उड़ान भरने की क्षमता उनमें भी है, जरूरत है तो बस मौके की। छावनी परिषद के स्किल डेवलपमेंट सेंटर में सिलाई सीखने के बाद जीविकोपार्जन कर रही ये महिलाएं अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गई हैं।

छावनी परिषद का मीरपुर, फेथफुलगंज में परिषदीय स्कूल है। शाम के समय इसी स्कूल में महिलाओं के स्किल डेवलमपेंट के लिए प्रशिक्षण केंद्र संचालित होता है। छह-छह महीने के लिए 40-40 महिलाओं और युवतियों के बैच को सिलाई का प्रशिक्षण दिया जाता है। केंद्र की शिक्षिका रेनू जग्गी ने बताया कि करीब दस साल से संचालित इस केंद्र से अब तक 500 से 600 से प्रशिक्षित महिलाएं निकल चुकी हैं। मगर, पिछले दो सालों से इस केंद्र की दशा और दिशा बदल गई है। इसके पीछे प्रमुख कारण यह है कि अब यहां महिलाओं को केवल प्रशिक्षण ही नहीं दिया जा रहा, बल्कि प्रशिक्षित होने के बाद उनके लिए कमाई के द्वार भी खोले जा रहा हैं। इन कोशिशों के बाद एक दो नहीं बल्कि दर्जनों घर गुलजार हो चुके हैं।

'' प्रशिक्षण को रोजगार से जोड़ने की वजह से अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। यहां महिलाएं साबित कर रही हैं कि इरादे मजबूत हों तो मजबूरी की दीवार ढहाई जा सकती है। - अतुल शुक्ला, कोआर्डिनेटर, छावनी परिषद स्किल डेवलपमेंट केंद्र


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