सड़क के गड्ढों से बेहोश हो रहे वाहन सवार
शहर की जर्जर और खस्ताहाल सड़कें सेहत पर भारी साबित हो रही है।
जागरण संवाददाता, कानपुर : शहर की जर्जर और खस्ताहाल सड़कें सेहत पर भारी साबित हो रही हैं। जगह जगह गड्ढे में वाहनों के हिचकोले खाने से बॉडी पॉश्चर (शारीरिक मुद्रा) प्रभावित हो रही है। यह समस्या इस कदर विकराल है कि वाहन चलाते हुए चालक को अचानक बेहोशी आ जाती है। वह गिरकर बेसुध हो जाता है। अक्सर राहगीर भी इसे नशे की हालत में होना समझ कर मदद के लिए आगे नहीं आते हैं। गड्ढों की वजह से न्यूरो और अस्थि रोगों की समस्या बढ़ी है।
कैसे आती है बेहोशी
चिकित्सकों के मुताबिक स्कल्प (खोपड़ी) के अंदर ब्रेन स्टेम होता है। यह नसों का एक तरह से पावर हाउस होता है जो शरीर की क्रियाओं को नियंत्रित करने के काम में आता है। यात्रा के दौरान अचानक के झटके कई बार स्टेम सेल पर दबाव बना देते हैं, जिससे वाहन चलाने वाले को बेहोशी सी आ जाती है। यह दिक्कत ज्यादातर दो पहिया चलाने वालों को ज्यादा हो रही है।
निशाने पर युवा वर्ग
जर्जर सड़कों से सबसे अधिक बाइक चलाने वाले युवा न्यूरो की समस्या के चपेट में आ रहे हैं। उन्हें गर्दन में दर्द, कंधे में दर्द, हाथ व पैर में तकलीफ होने लगी हैं।
पीछे बैठी महिलाओं में बढ़ी दिक्कत
दो पहिया वाहन में पीछे बैठने वाली युवतियों व महिलाओं में रीढ़ और कूल्हे की दिक्कतें बढ़ गई हैं। एकाएक झटका उनके डिस्क को प्रभावित कर रहा है।
हेड इंजरी के मामलों में इजाफा
गड्ढों के अलावा, आवारा जानवर और जलभराव से सड़क हादसे बढ़े हैं। हेड इंजरी के मामलों में इजाफा हुआ है। शहर के सरकारी और निजी अस्पतालों में मरीज बढ़ते चले जा रहे हैं।
पीएमओ से की शिकायत
न्यूरो सर्जन डॉ. विकास शुक्ला ने खस्ताहाल सड़कों की समस्या को लेकर पीएमओ में शिकायत की है, लेकिन उसका अब तक कोई संतोषजनक जवाब नहीं आया है।
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'सड़कों पर जगह जगह गड्ढ़ों की वजह से न्यूरो की दिक्कतें बढ़ी हैं। वाहन चलाने वालों को हेलमेट का प्रयोग करना चाहिए। संतुलित आहार के साथ ही नियमित व्यायाम जरूरी है।'
- डॉ. विकास शुक्ला, न्यूरो सर्जन, कानपुर