पूर्व प्रधानाचार्य पर फर्जी प्रमाणपत्र से नौकरी पाने का आरोप, मुकदमा
पच्चीस साल बाद विद्यालय प्रबंधन के सामने आई गड़बड़ी
जागरण संवाददाता, कानपुर : सिविल लाइंस स्थित यूनाइटेड पब्लिक स्कूल के कार्यालय अधीक्षक मनोज कुमार मिश्रा ने पूर्व प्रधानाचार्य रीता किरन पाठक के खिलाफ धोखाधड़ी व जालसाजी के आरोप में ग्वालटोली थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।
मनोज कुमार ने बताया कि रीता किरन पाठक वर्ष 1993 में उप प्रधानाचार्य नियुक्त हुई थीं जो बाद में प्रधानाचार्य बनीं। नियुक्ति के समय उन्होंने जो हाईस्कूल प्रमाणपत्र उपलब्ध कराया था, उसमें जन्मतिथि दो जुलाई 1959 अंकित थी। आरोप है कि कुछ समय बाद उन्होंने यह प्रमाणपत्र रिकार्ड से गायब कर दिया। रीता किरन की जन्मतिथि का विवाद सामने आया तब प्रमाणपत्र गायब होने की बात पता चली। विद्यालय ने उनसे हाईस्कूल प्रमाणपत्र मांगा तो बहाना बनाकर पैनकार्ड व पासपोर्ट की प्रति जन्मतिथि प्रमाण के रूप में दी। विद्यालय रिकार्ड के अनुसार रीता किरन पाठक ने वर्ष 1972 में इंटर पास किया है। इसके अनुसार महज 12 वर्ष की उम्र में उन्होंने 12वीं उत्तीर्ण की। संदेह होने पर जब नगर निगम महिला कालेज से जानकारी की गई तो सही जन्मतिथि सात जुलाई 1954 निकली। इसका सत्यापन सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद ने भी किया। इंस्पेक्टर जयप्रकाश पाल ने एसएसपी के आदेश पर रिपोर्ट दर्ज की गई है। जांच शुरू कर दी गई है, जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद कार्रवाई होगी।
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पूर्व प्रधानाचार्य रीता किरन पाठक ने जो अंकतालिका लगाई थी, वह जांच में फर्जी निकली है। पांच वर्ष कम उम्र दिखाकर उन्होंने धोखाधड़ी की। आगे कोई गड़बड़ी न हो। इस वजह से रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
--इंद्रमोहन रोहतगी, स्कूल प्रबंधक