Move to Jagran APP

विश्व परिवार दिवस विशेष : इस बागबां में एक छत के नीचे फल-फूल रहीं तीन पीढिय़ां

बांदा के पैलानी तहसील के बछेउरा गांव में एक घर के अंदर रहता 39 सदस्यों का संयुक्त परिवार।

By AbhishekEdited By: Published: Wed, 15 May 2019 03:21 PM (IST)Updated: Wed, 15 May 2019 03:21 PM (IST)
विश्व परिवार दिवस विशेष : इस बागबां में एक छत के नीचे फल-फूल रहीं तीन पीढिय़ां
विश्व परिवार दिवस विशेष : इस बागबां में एक छत के नीचे फल-फूल रहीं तीन पीढिय़ां

बांदा,[जागरण स्पेशल]। 'रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय, टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ पर जाय...'। रहीम के इस दोहे को शायद बांदा के एक परिवार ने आत्मसात किया है और आज तीन पीढिय़ों से संयुक्त रूप से निवास कर रहा है। बिखरते परिवार और एकाकी जीवन के बीच आज यह परिवार उन सभी के लिए नसीहत है जो घर-संसार को छोड़ चुके हैं। परिवार का दूसर अर्थ प्रेम है लेकिन मौजूदा समय में एकल परिवार ही परंपरा बन जैसा बन गया है। विश्व परिवार दिवस तो मनाया जा रहा है लेकिन संयुक्त परिवार अब बहुत कम ही दिखाई दे रहे हैं। इन्हीं में से एक है बांदा का परिवार, जिनके 39 सदस्य एक घर की छत के नीचे निवास कर रहे हैं।

loksabha election banner

बांदा जिले के पैलानी तहसील के एक छोटे से गांव बछेउरा में 75 वर्षीय रघुवर सिंह की तीन पीढिय़ां एक छत के नीचे पुष्पित-पल्लवित हो रही हैं। 39 सदस्यों के इस परिवार में एक चूल्हे में प्रेम और आदर्श की रोटियां पकाई जा रही हैं। जिले भर के लोग इस परिवार की चर्चा करते नहीं थकते।

उन्नतशील किसान रघुवर ने अपने त्याग और समर्पण से बागबां को संवारा और सींचा भी। वह कहते हैं कि परिवार एक वृक्ष के समान है। उसकी एक-एक टहनियों, जड़मूल को संवारना व संरक्षण देना प्रमुख जिम्मेदारी होती है। जब कोई परिवार रूपी पेड़ को जिम्मेदारियों की खाद और प्रेम सत्कार के पानी से सींचेगा तो जाहिर है कि वह हमेशा हरा-भरा रहेगा। मुखिया के तौर पर अपने परिवार को बेहतर बनाने की जिम्मेदारी उठा रहा हूं।

बगिया में खिल रहे फूल

रघुवर सिंह के परिवार में उनके बड़े भाई स्व. राजाराम के दो बेटे जयराज सिंह और जयराम सिंह हैं। जयराज सिंह की पत्नी श्यामा,एक बेटा शैलेंद्र और तीन बेटियां बीना, प्रियंका और जया हैं। जयराम सिंह की पत्नी सीता, दो बेटे शाश्वत और पृथ्वी हैं। छोटे भाई स्व. फौजदार सिंह के चार बेटे रंग बहादुर, बाबू सिंह, रावेंद्र और महेंद्र प्रताप सिंह हैं। रंग बहादुर के चार बच्चे, बाबू सिंह के तीन, रावेंद्र और महेंद्र प्रताप के दो-दो बच्चे हैं। रघुवर सिंह के दो बेटे जयकरन सिंह व शशांक सिंह हैं। जयकरन सिंह की पत्नी आभा व तीन बच्चे और शशांक की पत्नी करिश्मा व एक बेटा है।

परिवार की आय का स्रोत

रघुवर सिंह के पास कुल 250 बीघा कृषि भूमि है। संयुक्त परिवार में खेतों का बंटवारा कभी नहीं हुआ है। वह परिवार के बच्चों की शिक्षा, व्यवसाय और शादी विवाह आदि की जिम्मेदारी स्वयं उठाते हैं। रघुवर के बेटे जयकरन सिंह पुलिस इंस्पेक्टर हैं, जबकि शशांक ठेकेदारी करते हैं। जयराज सिंह अधिवक्ता हैं तो जयराम सिंह व्यवसाय के साथ ठेकेदारी करते हैं। अन्य सदस्यों में रंग बहादुर बीमा अभिकर्ता और महेंद्र ङ्क्षसह व्यवसाय करते हैं। बाबू सिंह दादा रघुवर सिंह के साथ खेती में हाथ बंटाते हैं।

इस तरह बना संयुक्त परिवार 

  • घर के सभी सदस्यों में दोस्ताना माहौल।
  • महिलाओं के बीच पारस्परिक समन्वय।
  • दायित्वों के निर्वाह में समान भाव।
  • बच्चों की शिक्षा और उनके विकास की समान सोच।
  • छोटी-छोटी बातों का तत्काल निस्तारण।
  • एक साथ भोजन करना, सुख-दुख में हाथ बंटाना।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.