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कानपुर में बूंद-बूंद से रीचार्ज कर डाला सूखा कुंआ, रेन वाटर हार्वेस्टिंग की पेश की मिसाल

कानपुर के महाराजपुर में एक दशक से दस परिवार घरों की छतों का पानी प्राचीन कुंए में सहेज रहे हैं। बाहर के पानी को भी संरक्षित करके जल संरक्षण की पहल को आगे बढ़ाते हुए रेन वाटर हार्वेस्टिंग का संदेश दे रहे हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Thu, 24 Jun 2021 10:48 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jun 2021 10:48 AM (IST)
कानपुर में बूंद-बूंद से रीचार्ज कर डाला सूखा कुंआ, रेन वाटर हार्वेस्टिंग की पेश की मिसाल
कानपुर में जल संरक्षण का संदेश दे रहा परिवार।

कानपुर, [शैलेन्द्र त्रिपाठी]। जल है तो कल है। जल के बिना जीवन की कल्पना ही असंभव है। इसी सोच को अंगीकार कर रेलवे स्टेशन सरसौल निवासी वर्मा परिवार समाज को बड़ी सीख व महत्वपूर्ण संदेश दे रहा है। दस परिवार अपनी छतों व बाहर के बारिश के पानी को संरक्षित कर रहे हैं। प्राचीन कुएं का सदुपयोग करते हुए उन्होंने उसको रेन वाटर हार्वेस्टिंग में इस्तेमाल कर लिया है। बारिश का पूरा पानी पाइप द्वारा इसी कुएं में भूमिगत कर दिया जाता है जिससे उनके घर व आसपास पानी का स्तर कम नहीं हुआ बल्कि कुछ न कुछ बढ़ता ही रहता है।

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रेलवे स्टेशन सरसौल निवासी राजेन्द्र वर्मा, शिवकुमार वर्मा, अवधेश वर्मा अपने पूरे परिवार सहित एक साथ रहते हैं। सामूहिक रूप से सभी दस परिवार अलग- अलग घरों में रहते हैं। सभी घरों की छतें एकसाथ जुड़ी हुई हैं। अवधेश वर्मा बताते हैं कि करीब दस साल पहले पूरे परिसर के बीच में बना कुआं सूख गया। हैंडपंप पानी छोडऩे लगे तो चिंता हुई कि जल के बिना तो जीवन संकट में हो जाएगा। अवधेश के बड़े भाई राजेन्द्र व शिवकुमार वर्मा ने सुझाव दिया कि क्यों न इस सूखे कुएं को वाटर रीचार्ज का स्रोत बना लिया जाए। सभी घरों की छतों के पानी को एक जगह से नीचे लाने के लिए पाइप डाला गया। इसके बाद कुएं के बगल से एक पाइप नीचे तक डालकर उसका कनेक्शन कुएं से जोड़ा गया। पाइप द्वारा ही छतों के पानी को कुएं तक पहुंचाया जाने लगा। इसके अलावा घर के बाहर के पानी को भी पाइप द्वारा लाकर कुएं तक पहुंचाया जाने लगा।

अवधेश वर्मा बताते हैं कि बारिश के पानी को सहेजने के सुखद परिणाम दो साल में ही दिखाई देने लगे। पहले की अपेक्षा लगभग पांच फिट जलस्तर बढ़ गया। अब तो कभी भी हैंडपप पानी नहीं छोड़ता। सबमर्सिबल भी पूरी क्षमता से पानी दे रहा है। अवधेश वर्मा ने बताया कि घर व आसपास में 50 फिट के अंदर ही पानी मिल जाता है, जबकि गांव से आधा किमी हटकर उनके ट्यूबवेल का जलस्तर लगभग अस्सी फिट पर है। वर्मा परिवार की लोगों से अपील है कि यदि लोग खुद जागरुक होकर अपने घरों से बारिश के पानी को संरक्षित करने की शुरुआत कर दें तो कम समय में चमत्कारिक परिणाम सामने आएंगे।


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