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जूही में भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्री रद होंगी, केडीए में खलबली

जूही भूखंड की फर्जी रजिस्ट्री के आरोपितों के बयान पुलिस ने दर्ज कर लिए है। चार भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्री निरस्त कराने के लिए कोर्ट में वाद दाखिल कर दिया है।

By Edited By: Published: Tue, 23 Oct 2018 02:19 AM (IST)Updated: Tue, 23 Oct 2018 10:53 AM (IST)
जूही में भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्री रद होंगी, केडीए में खलबली
जूही में भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्री रद होंगी, केडीए में खलबली
कानपुर(जागरण संवाददाता)। जूही भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्री की फाइल खुलते ही केडीए में खलबली मच गई है। फर्जी रजिस्ट्री से जुड़े चार भूखंडों की रजिस्ट्री निरस्त करने के लिए केडीए ने कोर्ट में वाद दाखिल किया है। वहीं, बयान दर्ज कराने से बच रहे कर्मचारियों पर सख्ती के बाद पुलिस ने उनके बयान भी दर्ज कर लिए है। कागजों में हेरीफेरी करके जूही में भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्री कराने में कर्मचारी कंचन कुमार गुप्ता, महेश गुप्ता, प्रेम सिंह राठौर आरोपित हैं। इसके अलावा आरोपित कमलेश कुमार साहू सेवानिवृत्त हो चुके है, जबकि एक आरोपित की मृत्यु हो चुकी है।
फर्जी रजिस्ट्री व फ्री होल्ड कराने में पूर्व उप सचिव मनोज श्रीवास्तव, संयुक्त सचिव एसके जायसवाल और एलसी मौर्या के अलावा पूर्व के कई लेखाकार के नाम सामने आए हैं। इस बाबत केडीए उपाध्यक्ष किंजल सिंह ने बताया कि जूही भूखंड की फर्जी रजिस्ट्री के आरोपितों के बयान पुलिस ने दर्ज कर लिए है। चार भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्री निरस्त कराने के लिए कोर्ट में वाद दाखिल कर दिया गया है।
शासन को पूरी कार्रवाई से अंवगत करा रहे है। यह था मामला पूर्व में एक जनप्रतिनिधि ने शासन में शिकायत की थी कि वैकल्पिक भूखंडों के नाम पर डब्ल्यू टू जूही किदवईनगर योजना में फर्जी तरीके से भूखंड आवंटित करते हुए वर्ष 2006-2007 में रजिस्ट्री कर दी गई। मामला विधान परिषद की समिति तक पहुंचने के बाद जांच में तेजी आई। इसमें भूखंड संख्या 621/5 जूही डब्ल्यू टू ब्लाक की करूण सागर, 219-ए एच ब्लाक किदवईनगर की जितेन्द्र सचान, 241 ए जूही डब्ल्यू टू ब्लाक की विमल कुमार, 265-ए जूही डब्ल्यू टू ब्लाक की सुमित्रा देवी के नाम रजिस्ट्री की गई थी।
इसकी जांच में कर्मचारियों के बयान लिए गए हैं। इन योजनाओं में भी चल रहा खेल विभागीय सूत्रों के मुताबिक काकादेव, पनकी, साकेत नगर, इंदिरानगर, श्याम नगर, किदंवईनगर व लखनपुर योजनाओं में भी भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्री हुई हैं। इन योजनाओं की जांच भी उच्चस्तरीय हो जाए तो कई पर गाज गिरना तय है।

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