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वसीम अली का देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का शक, कानपुर पुलिस को मिले अहम सुराग

फर्जी पासपोर्ट और दस्तावेज बनाने में पकड़े गए वसीम अली की कॉल डिटेल और विदेश जाने का ब्योरा पुलिस जुटा रही है। जांच में मिले तथ्यों के आधार पर उसका देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का शक बना है। अब संयुक्त पुलिस आयुक्त ने जांच की कमान संभाली है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 09:35 AM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 09:35 AM (IST)
वसीम अली का देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का शक, कानपुर पुलिस को मिले अहम सुराग
फर्जीवाड़े के नटवरलाल वसीम अली की गतिविधियां पता लगा रही पुलिस।

कानपुर, जागरण संवाददाता। फर्जी दस्तावेजों से असली पासपोर्ट बनवाने वाले टूर एंड ट्रैवल्स कंपनी संचालक वसीम अली क्या देश विरोधी गतिविधियों में भी शामिल था? सवाल उठने फिर इस दिशा में कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिलने के बाद पुलिस जांच आगे बढ़ा रही है। मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच की कमान संयुक्त पुलिस आयुक्त आनंद प्रकाश तिवारी ने संभाली है। शुक्रवार को उन्होंने विवेचक को तलब किया और आरोपित को जेल भेजने में बरती गई जल्दबाजी पर कड़ी नाराजगी जताई। संयु़क्त पुलिस आयुक्त ने विवेचक को निर्देश दिया है कि आरोपित के मोबाइल नंबरों का एक साल तक की काल डिटेल रिपोर्ट (सीडीआर) और पांच साल के दौरान बने पासपोर्ट का ब्योरा जुटाकर जांच को आगे बढ़ाएं।

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आतंकियों को तो नहीं मिली मदद, होगी जांच : पहले दिन ही इस बात की आशंका जताई थी, टूर एंड ट्रैवल्स कंपनी की आड़ में आरोपित देश विरोधी गतिविधियों में भी लिप्त हो सकता है। जिस तरह से उसने फर्जी दस्तावेजों के सहारे पासपोर्ट बनवाकर लोगों को विदेश भेजा, उसमें लाभान्वित होने वाले आतंकी भी हो सकते हैं। अब पुलिस भी इसी एंगल पर जांच को आगे बढ़ा रही है। बता दें कि कर्नलगंज पुलिस और क्राइम ब्रांच टीम ने 25 जनवरी को बाबूपुरवा निवासी वसीम अली को गिरफ्तार किया था।

पुलिस ने कर्नलगंज स्थित अनाया टूर एंड ट्रैवल्स नाम से संचालित उसके प्रतिष्ठान में छापा मारकर गिरफ्तारी की थी। आरोपित की गिरफ्तारी कर्नलगंज पुलिस की सक्रियता से हुई थी। हुआ यह कि एक पासपोर्ट आवेदन थाने से रिपोर्ट लगाने के लिए आया था। थाना प्रभारी ने आवेदन पत्र के साथ लगे दस्तावेज देखे तो उसमें लगे अंकपत्र पर संदेह हुआ। जांच में अंकपत्र फर्जी निकला। पासपोर्ट आवेदक को पुलिस ने तलब किया तो खेल सामने आया। उसने बताया कि उसने वसीम को आठ हजार रुपये दिए थे। उसने अपना नाम, पता व मोबाइल नंबर दिया था। इसके बाद जो प्रमाणपत्र लगे वह वसीम ने फर्जी तरीके से तैयार करवाए हैं। वह तो पढ़ा-लिखा ही नहीं है। मामला क्राइम ब्रांच को सौंपा गया और आरोपित पकड़ा गया।

गिरोह की जानकारी जुटाने की कोशिश में पुलिस : इस मामले में संयुक्त पुलिस आयुक्त आनंद प्रकाश तिवारी ने विवेचक अमित मलिक से केस की शुरुआत से अब तक की जानकारी ली। उन्होंने विवेचक को निर्देश दिया है कि आरोपित के पास से मिले तीन मोबाइल नंबरों के साल भर की सीडीआर निकलवाएं। उसके आधार कार्ड से लिंक मोबाइल नंबरों की भी सीडीआर लें। इससे पता चल सकता है कि वसीम के गिरोह में और कितने लोग शामिल हैं।

खंगाले जाएंगे वसीम के बैंक अकाउंट और लेन-देन : आरोपित ने पिछले पांच सालों में जितने पासपोर्ट अपनी कंपनी के जरिए बनवाए हैं, इसका डाटा भी तैयार करने को कहा गया है। विवेचक को निर्देश दिया गया है कि वह आरोपित वसीम अली के आर्थिक साम्राज्य की भी जांच करें। उसके कितने बैंक अकाउंट हैं और पिछले पांच सालों में कितना लेनदेन हुआ, को भी जांच में शामिल करने को कहा गया है। आरोपित के ई-मेल एड्रेस को भी खंगाला जाएगा।

प्रदेश भर में फैला है नेटवर्क : वसीम अली का नेटवर्क पूरे प्रदेश में फैला था। उसके संपर्क में फतेहपुर, आमजगढ़, उन्नाव, इटावा आदि जिलों के लोग थे। पासपोर्ट के अलावा उसका बड़ा काम फर्जी अंकपत्र बनाना था। पुलिस कंप्यूटर में दर्ज जानकारियों व बरामद पासपोर्ट के माध्यम से यह जानने की कोशिश कर रही है कि गिरोह में कहीं और लोग भी तो शामिल नहीं थे। असल में पुलिस ने हाईस्कूल के जो चार अंकपत्र बरामद किए, उनमें से दो के पासपोर्ट भी मौके से मिले हैं। हालांकि इन लोगों के फर्जी पासपोर्ट तैयार किए गए थे।


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