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कानपुर में पहले स्वजन अस्पताल में लुटते फिर श्मशान घाट पर दाह संस्कार के नाम पर होती इस तरह वसूली

इलाज न मिलने के कारण मौतों की संख्या बढ़ी है। इसमें 60 फीसद बुजुर्ग है। पिछले साल के अनुमान में 45 से 55 फीसद बढ़ोत्तरी हुई है। भैरोघाट में लकड़ी विक्रेता अनूप तिवारी ने बताया कि इस बार शवों की संख्या अन्य दिनों के हिसाब से ज्यादा है।

By Akash DwivediEdited By: Published: Fri, 30 Apr 2021 09:51 AM (IST)Updated: Fri, 30 Apr 2021 09:51 AM (IST)
कानपुर में श्मशान घाट पर लगी लंबी कतार

कानपुर, जेएनएन। इलाज से लेकर घाट तक अंतिम संस्कार कराने में मजबूर लोगों को वसूली और वेस्टिंग का सामना करना पड़ रहा है। पहले इलाज के लिए अस्पताल में बेड पाने के लिए वेस्टिंग, फिर शव को घाट तक पहुंचने की वेस्टिंग और अंतिम संस्कार में भी पांच से छह घंटे का लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।

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  • केस एक : शास्त्रीनगर की अनीता सिंह को पहले अस्पताल में भर्ती कराने के लिए स्वजन को परेशान होना पड़ा। एक निजी अस्पताल में 70 हजार रुपये जमा करने के बाद भर्ती किया गया। इलाज शुरू हुआ, लेकिन ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ दिया। अस्पताल वालों ने शव को पैककर दिया। इसके बाद स्वजन एंबुलेंस के लिए चक्कर लगाते रहे, कोई सुनने वाला नहीं था। बड़ी मुश्किल में नौबस्ता के पास से एक एंबुलेंस मिली। पनकी से भैरोघाट तक के दस हजार रुपये मांगे बाद में आठ हजार रुपये में तय हुआ। भैरोघाट विद्युत शवदाह गृह पहुंचने स्वजन का संकट कम नहीं हुआ। यहां पर भी शव को अंदर ले जाने के लिए पैसा लिया गया। इसके बाद भी साढ़े चार घंटे शव का अंतिम संस्कार करने के लिए इंतजार करना पड़ा।
  • केस दो : गोविंद नगर के विनोद कुमार शुक्ला को अपनी माता का अंतिम संस्कार करने के लिए वेटिंग करनी पड़ी। उन्होंने बताया कि भैरोघाट में पहले एक व्यक्ति को भेजा। यहां पर भीड़ ज्यादा होने पर भगवतदास घाट में भेजकर पहले लकड़ी बुक करा दी ताकि ज्यादा देर इंतजार न करना पड़े फिर भी दो घंटे समय लग गया।

इलाज समय पर न मिलने से बढ़ी मौत : कोरोना प्रकोप के चलते बीमार लोगों को समय पर इलाज न मिलने के कारण मौतों की संख्या बढ़ी है। इसमें 60 फीसद बुजुर्ग है। पिछले साल के अनुमान में 45 से 55 फीसद बढ़ोत्तरी हुई है। भैरोघाट में लकड़ी विक्रेता अनूप तिवारी ने बताया कि इस बार शवों की संख्या अन्य दिनों के हिसाब से ज्यादा है। पहले कभी कभार शवों की संख्या बढ़ती थी, वह भी एक दिन में 30 से 35 होती थी। अब तो 80 से सौ तक का आंकड़ा जा रहा है। यह केवल यहीं का नहीं है अन्य घाटों की भी हालत यही हैं। शवों के अंतिम संस्कार के लिए लोगों को दो से तीन घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है। बिठूर में तीन दिन से शवों के अंतिम संस्कार का आंकड़ा सौ पार कर रहा है।

श्मशान घाट में अंतिम संस्कार भी हुआ महंगा : श्मशान घाट में शवों के बढ़ती संख्या को देखते हुए लकड़ी और कर्मकांड के दाम भी बढ़ा दिए हैं। सरकारी रेट चार सौ रुपये प्रति मन है, लेकिन पांच से सात सौ रुपये तक मन लकड़ी दी जा रही है। इसके अलावा कर्मकांड के लिए भैरोघाट में पांच सौ रुपये निर्धारित है इसकी रसीद भी कटती है, लेकिन कई गुना पैसा लिया जा रहा है।


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