Move to Jagran APP

स्मार्ट सिटी की उम्मीदों पर कूड़े का 'धब्बा'

रोज निकलने वाले 1300 टन में नहीं उठ रहा 200 टन कचरा ।

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Aug 2018 08:09 AM (IST)Updated: Wed, 22 Aug 2018 10:22 AM (IST)
स्मार्ट सिटी की उम्मीदों पर कूड़े का 'धब्बा'

जागरण संवाददाता, कानपुर : शहर को स्मार्ट बनाने के लिए सबसे जरूरी है कि सड़कों पर गंदगी न दिखे पर ऐसा हो नहीं पा रहा है। सफाई अभियान चलाने के बाद भी सड़कों पर फैला कूड़ा मुंह चिढ़ा रहा है। हर रोज निकलने वाले 13 सौ टन कूड़े में दो सौ टन उठाया ही नहीं जा रहा है। इससे संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा बढ़ गया है।

loksabha election banner

शहर का तेजी से विस्तार होता जा रहा है और आबादी भी बढ़ती जा रही है लेकिन कूड़ा निस्तारण के लिए कोई कारगर योजना नहीं बन पाई। आबादी के साथ सफाई कर्मचारियों की संख्या बढ़ने की जगह घट गई है। 30 लाख आबादी के सापेक्ष मात्र पांच हजार कर्मचारी हैं। ऐसे में हम कैसे कल्पना कर सकते हैं कि शहर स्वच्छ रह सकता है। कूड़ा उठाने के लिए वाहनों की संख्या भी कम है।

सफाई की हालत

सफाई कर्मचारी - पांच हजार

जरूरत - 12 हजार

कूड़ा वाहन - 65 वाहन

जरूरत - 130 वाहन

प्लांट में इकट्ठा कई टन गंदगी

भाऊसिंह पनकी स्थित कूड़ा निस्तारण प्लांट में कूड़े के ढेर बढ़ते जा रहे हैं। प्लांट अपनी पूरी क्षमता से नहीं चल पा रहा है। अभी केवल खाद व टाइल्स बन रहे हैं। रोज आने वाले कूड़े का पचास फीसद ही निस्तारण हो पा रहा है। बारिश में सड़ रहे कूड़े के चलते पास के गांव वालों का जीना दूभर हो गया है। प्लांट का संचालन कर रही आइएलएफएस ने कूड़े से बिजली प्लांट जल्द चलाने का दावा किया है।

बन रहे आठ आधुनिक कूड़ाघर स्मार्ट सिटी मिशन में घर-घर से कूड़ा उठाने के साथ ही शहर में बने आधुनिक कूड़ाघर से निस्तारण करके प्लांट भेजा जाएगा। इसके लिए नगर निगम 9.04 करोड़ रुपये से शहर में आठ आधुनिक कूड़ाघर बना रहा है। घर-घर से कूड़ा उठाने को दो सौ वाहन खरीदे जा रहे हैं।

---------------

ये हो तो शहर हो जाएगा स्वच्छ

0 घर-घर से कूड़ा उठाया जाए ताकि सड़क पर गंदगी न आने पाए।

0 रात में बाजारों व प्रमुख स्थानों में सफाई कराई जाए।

0 सफाई के बाद गंदगी फेंकने वालों पर कार्रवाई की जाए।

0 सुबह नौ बजे के बाद शहर में कूड़ा न आने दिया जाए।

910 नर्सिगहोम में ही मेडिकल वेस्ट का निस्तारण

शहर में सरकारी अस्पताल व नर्सिग होम की संख्या करीब दो हजार है लेकिन 910 मे ही मेडिकल वेस्ट निस्तारण की व्यवस्था है। बाकी संस्थान व नर्सिग होम खुलेआम कचरा फेंकते हैं। सुबह गोल चौराहा स्थित अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा-बच्चा अस्पताल एवं मैकरावर्टगंज में पीडब्ल्यूडी कार्यालय के सामने स्थित कूड़ाघरों में गंदगी फैली रहती है। जिले में रोज 4000 किलो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण होता है। इसमें मेडिकल पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (एमपीसीसी) 604 अस्पतालों व नर्सिग होम का 2500 किलो एवं बिलवर्ड 306 नर्सिगहोम के 1500 किलो मेडिकल कचरे का निस्तारण करते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.