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चित्रकूट में अपील के बाद भी गुरु आस्था को नहीं रोक पाए शिष्य, जुटे श्रद्धालु

शनि की राशि पर स्थित होने से पर आत्मिक प्रगति के कारक बन जाते है। इसीलिए यह पर्व गुरु पर्व है। आदि व्यास का जन्म भी है जो सबसे बड़े मार्गदर्शक है चारों वेद व 18 पुराण का सृजन कर अमृत ज्ञान से समाज का मार्गदर्शन किया।

By Akash DwivediEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 08:34 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 08:34 PM (IST)
पंपापुर आश्रम में शिष्यों को आशीर्वाद देते संत प्रेमदास महराज। जागरण

चित्रकूट, जेएनएन। कोरोना महामारी में गुरुजन की अपील के बाद भी गुरु पूर्णिमा में प्रभु श्रीराम की तपोभूमि में शिष्यों का तांता रहा। तड़के से ही गुरु के आशीर्वाद के लिए शिष्य पहुंचने लगे थे। मंदाकिनी में स्नान कर श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में कामदगिरि परिक्रमा लगाकर सुख व समृद्धि की कामना भी किया।

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तुलसीपीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज इन दिनों अस्वस्थ हैं वह देहरादून में भर्ती है। गुरुजी ने शिष्यों को आनलाइन आशीर्वाद दिया। कुछ शिष्य तुलसीपीठ में पहुंच गुरु की गद्दी पर पूजा अर्चना किया। कामदगिरि प्रमुख द्वार पर महंत जगद्गुरु स्वामी रामस्वरूपाचार्य व अधिकारी संत मदनगोपाल दास का आशीर्वाद पाने को भी शिष्यों की भीड़ रही। धारकुडी आश्रम में भी गुरुपूर्णिमा सादगी के साथ मनाई गई। लोक निर्माण राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय ने पहुंच कर गुरु जी के गद्दी की पूजा अर्चना किया।

पंपापुर आश्रम में संत प्रेमदास महराज, वाल्मीकि आश्रम में महंत भरतदास, दिगंबर अखाड़ा भरत मंदिर में महंत दिव्यजीवनदास, खाकी अखाड़ा में महंत रामजन्मदास, तुलसीगुफा तोतामुखी हनुमान मंदिर में महंत मोहित दास, भागवत पीठ में आचार्य नवलेश दीक्षित, निर्मोही में महंत दीनदयाल दास व शिवरामदास, संतोषी अखाड़ा में रामजी दास, निर्वाणी अखाड़ा, पीली कोठी, सद्गुरु संघ सेवा ट्रस्ट समेत बाकी मठ मंदिरों में भी शिष्य पहुंचे। श्रद्धालुओं ने स्वामी मत्यगजेंद्रनाथ, पर्णकुटी, हनुमानधारा, स्फटिक शिला, गुप्त गोदावरी, देवांगना समेत अन्य तीर्थ स्थलों पर भ्रमण किया।

मकर रेखा में स्थित है चित्रकूट : गायत्री शक्तिपीठ चित्रकूट मे गुरु पूर्णिमा पर्व पर युगऋषि गुरुदेव पं श्रीराम शर्मा आचार्य व माता भगवती देवी शर्मा का पूजन किया गया। सामूहिक गायत्री जप साधना यज्ञ सभी शिष्य गणों ने की। व्यवस्थापक डॉ रामनारायण त्रिपाठी ने गुरुदीक्षा पूज्य गुरुदेव की दी। कहा कि चित्रकूट मकर रेखा पर स्थित है। मकर राशि में सूर्य शनि की राशि पर स्थित होने से पर आत्मिक प्रगति के कारक बन जाते है। इसीलिए यह पर्व गुरु पर्व है। आदि व्यास का जन्म भी है जो सबसे बड़े मार्गदर्शक है चारों वेद व 18 पुराण का सृजन कर अमृत ज्ञान से समाज का मार्गदर्शन किया।


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