यातायात का 'दम' निकाल रहे ई-रिक्शा
जागरण संवाददाता, कानपुर : यात्रियों की सुविधा के लिए चलाए गए ई-रिक्शा अब शहर की ट्रैफिक व्
जागरण संवाददाता, कानपुर : यात्रियों की सुविधा के लिए चलाए गए ई-रिक्शा अब शहर की ट्रैफिक व्यवस्था का दम निकाल रहे हैं। सड़कों पर नियमों और मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए बिना पंजीकरण फर्राटा भर रहे हैं। साइलेंट किलर बने ई-रिक्शा पर एक दिन की कार्रवाई के बाद दूसरे दिन आरटीओ का अभियान ठंडा पड़ गया, जिससे सड़कों पर बुधवार को वे फिर अराजकता करते दिखे। संभागीय परिवहन विभाग व ट्रैफिक पुलिस के चुप्पी साधने से ई-रिक्शा यातायात के दुश्मन बने हुए हैं और पूरा शहर जाम से जूझ रहा है। यातायात में फंसे वाहनों का निकलने वाला धुआं प्रदूषण को भी बढ़ा रहा है।
कानपुर का ट्रैफिक पहले ही वेंटीलेटर पर था। यहां दोपहिया, चार पहिया वाहनों का घनत्व अन्य शहरों के मुकाबले अधिक है। उस पर ई-रिक्शा के संचालन ने कोढ़ में खाज का काम कर दिया। 2014 से शहर में चल रहे ई-रिक्शा पहले गलियों और छोटी दूरी तय करते थे लेकिन अब ये मुख्य मार्गो से लेकर हाईवे तक दौड़ रहे हैं। जिम्मेदारों ने ऑटो और टेंपो पर तो नकेल कसी लेकिन ई-रिक्शा पर कार्रवाई का नियम नहीं बन सका। इसका फायदा उठाकर नाबालिग भी ई-रिक्शा चलाने लगे। कोई इयर फोन लगाकर रिक्शा चला रहा तो कोई मानक से अधिक सवारियों बैठाकर फर्राटा भर रहा है। चौराहों और नेशनल हाईवे पर ई-रिक्शा दिखाई देने लगे तब संभागीय परिवहन विभाग की नींद टूटी और पंजीकरण शुरू हुआ। अभियान चलाकर ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन कराया गया लेकिन उसमें भी पूरी सफलता नहीं मिली। अभी तक 3871 ई-रिक्शा का पंजीयन हो पाया है जबकि शहर में करीब 15 हजार ई-रिक्शा चल रहे हैं।
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कहां पर आ रही दिक्कत
एआरटीओ प्रवर्तन प्रभात पांडेय के मुताबिक 2015 या उससे पहले के ई-रिक्शा पर मोटर व्हीकल एक्ट की कोई धारा लागू नहीं होती है। उस समय केंद्र सरकार की कोई भी एजेंसी ई-रिक्शा का अप्रूवल नहीं देती थी। उनमें चेसिस नंबर तक नहीं होता था। उन्हें पकड़ने पर वाहन मालिक का पता नहीं चल पाता है। चालक भी जानकारी नहीं देता, बिना पते के उन्हें नोटिस देना भी संभव नहीं है।
पुलिस नहीं करती सहयोग
संभागीय परिवहन अधिकारियों का कहना है कि पुलिस भी सहयोग नहीं करती है। उसके पीछे थानों में जगह का न होना है। अवैध ई-रिक्शा अगर बंद कराए जाते हैं तो थानेदार उसको जल्द निस्तारित करने के लिए कहते हैं। शहर में केवल कर्नलगंज, नौबस्ता, बर्रा, काकादेव, कैंट थानों में ही कार्रवाई हो पाती है। ट्रैफिक पुलिस लाइन के लिए भी हाथ खड़े कर दिए गए हैं।
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ई-रिक्शा का हाल
पंजीकृत- 3871
अनुमानित- 15 हजार
लाइसेंस- 4 हजार
कार्रवाई- जुलाई से अक्टूबर तक 279 बंद कराए
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नहीं तय हो सके रूट
संभागीय परिवहन प्राधिकरण की 25 अक्टूबर को हुई बैठक में ऑटो-टेंपो और बस यूनियनों ने ई-रिक्शा की अराजकता की समस्या उठाई थी। एसपी ट्रैफिक और आरटीओ को नए रूट निर्धारित करने के निर्देश जारी हुए थे। 20 दिन बीत जाने के बाद अब तक समस्या को लेकर बैठक तक नहीं हुई है।
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जनप्रतिनिधि भी नहीं उठा रहे मुद्दा
बिना पंजीकरण दौड़ रहे ई-रिक्शा की समस्या पर जनप्रतिनिधि भी मौन हैं। सुगम यातायात में ई-रिक्शा चालक आड़े तिरछे तरह से घुसकर जाम लगा देते हैं।
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जाम से प्रभावित क्षेत्र
बड़ा चौराहा, परेड, चुन्नीगंज, जरीब चौकी, मेडिकल कालेज पुल, फजलगंज, सीटीआई, बर्रा चौराहा, नौबस्ता चौराहा, नंदलाल चौराहा, बारादेवी चौराहा, किदवई नगर चौराहा, घंटाघर, टाटमिल चौराहा, यशोदा नगर बाइपास, रामादेवी चौराहा, पीएसी मोड़, जाजमऊ पुल, हरजेंदरनगर, कल्याणपुर क्रासिंग, बगिया क्रासिंग, रावतपुर स्टेशन, सिविल लाइन्स।
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ई-रिक्शा के रूट को लेकर जल्द ही एसपी ट्रैफिक संग बैठक की जाएगी। बिना पंजीकरण और लाइसेंस के चल रहे ई-रिक्शा पर लगातार कार्रवाई की जाएगी।
-राकेश सिंह, आरटीओ प्रवर्तन कानपुर