शिक्षामित्रों का अंशदान न जमा करने पर ईपीएफओ ने कानपुर समेत चार बीएसए के खाते किए अटैच Kanpur News
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने 7ए के तहत चल रही सुनवाई के बाद पैसा न जमा करने पर की कार्रवाई।
कानपुर, जेएनएन। शिक्षामित्रों, अनुदेशकों और सर्व शिक्षा अभियान से जुड़े कर्मचारियों को भविष्य निधि की सुविधा न देने वाले प्राथमिक शिक्षा विभाग को बड़ा झटका लगा है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने 7ए के तहत चल रही सुनवाई में कानपुर नगर, कानपुर देहात, महोबा और ललितपुर के बीएसए के खाते अटैच कर लिये हैं।
कई जनपदों के बीएसए को भेजे गए थे नोटिस
प्राथमिक शिक्षा विभाग और जिला लोक शिक्षा समिति के अंतर्गत आने वाले शिक्षामित्रों, अनुदेशकों और सर्व शिक्षा अभियान से जुड़े स्टाफ के कर्मचारियों को हर माह निश्चित रकम मानदेय के रूप में दी जाती है। प्रदेश में लगभग एक लाख की संख्या में ये कर्मचारी लंबे समय से सरकार से मांग कर रहे हैं कि नियमों के मुताबिक भविष्य निधि और ईएसआइ की सुविधा दी जाए। इसके लिए उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। कानपुर के ईपीएफओ क्षेत्रीय कार्यालय की कानूनी लड़ाई का नेतृत्व कर रहे संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष त्रिभुवन सिंह ने बताया कि ईपीएफओ ने कानपुर नगर, कानपुर देहात, उन्नाव, फतेहपुर, बांदा, हमीरपुर, झांसी, ललितपुर, कन्नौज, फर्रुखाबाद, महोबा, औरैया, जालौन, चित्रकूट, इटावा और उरई के बीएसए को नोटिस भेजे थे, जिस पर पर्याप्त जवाब नहीं दिए गए।
ईपीएफओ ने 7ए के तहत सुनवाई शुरू की। ईपीएफओ ने संबंधित बीएसए को नोटिस देकर पीएफ का पैसा जमा करने को कहा था। पैसा जमा न होने की स्थिति में ईपीएफओ ने कानपुर नगर, कानपुर देहात, महोबा और ललितपुर के बीएसए के खाते अटैच करते हुए क्रमश: 8.53 करोड़ रुपये, 7.70 करोड़, 4.48 करोड़ और 5.87 करोड़ रुपये निकाल लिया। गौरतलब है कि कानपुर नगर में 2222, कानपुर देहात में 1896, महोबा में 808 और ललितपुर में 1281 शिक्षामित्र तैनात हैं।
दिल दहलाने वाले हैं यह आंकड़े
त्रिभुवन सिंह ने बताया कि कम वेतन, अनिश्चित जीवन के चलते आज हजारों साथी अवसाद में है। उन्होंने पिछले दिनों प्रदेश के सभी बीएसए से आरटीआइ के तहत यह जानकारी मांगी थी कि उनके जिन साथियों का पूर्व में निधन हो चुका है, उनकी मृत्यु के कारण क्या हैं। अधिकांश जिलों से उत्तर नहीं मिले, मगर ललितपुर बीएसए का जवाब दिल दहलाने वाला रहा। जिन पांच शिक्षामित्रों की मृत्यु हुई, उनमें कारण अवसाद रहा। अब तक करीब एक हजार शिक्षामित्रों की मृत्यु हुई है, जिसमें 40 फीसद की मृत्यु का कारण अवसाद है। बड़ी संख्या में कर्मचारी इलाज के अभाव में दम तोड़ गए।