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Defence Expo 2020 : कोहरा व धुंध में नहीं बच पाएंगे दुश्मन, अंधेरे में भी तलाश लेगी ये दूरबीन

कानपुर की भारतीय डिफेंस कंपनी एमकेयू ने बनाई रायफल एलएमजी पर लगा सकेंगे जवान।

By AbhishekEdited By: Published: Fri, 07 Feb 2020 02:35 PM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2020 05:35 PM (IST)
Defence Expo 2020 : कोहरा व धुंध में नहीं बच पाएंगे दुश्मन, अंधेरे में भी तलाश लेगी ये दूरबीन

कानपुर, [जागरण स्पेशल]। कोहरे व धुंध की आड़ लेकर अब भारतीय सैनिकों से दुश्मन बच नहीं पाएंगे। कानपुर की भारतीय डिफेंस कंपनी 'एमकेयू' ने ऐसी दूरबीन विकसित की है, जो अंधेरे में भी दुश्मनों को तलाश लेगी। नाइट विजन डिवाइस का प्रयोग करके यह इलेक्ट्रो ऑप्टिकल डिवाइस बनाई गई है। इसे स्नाइपर राइफल, एलएमजी व एमएमजी पर लगाकर घने अंधेरे में दूर तक देखा जा सकता है। इस उपकरण के अलावा एमकेयू ने थर्मल इमेजिंग टेक्नोलॉजी भी विकसित की है जो अंधेरे के साथ कोहरे व धुंध में भी दूर तक देखने में सक्षम है। डिफेंस एक्सपो लखनऊ में कंपनी ने अपने स्टॉल लगाकर इनका डेमो दिया।

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दूरबीन में लगाए गए पावरफुल लेंस

मेक इन इंडिया के क्षेत्र में ऐसे सैन्य उपकरण मील का पत्थर साबित होंगे। डिफेंस इंडस्ट्री के तहत कंपनी ने यह दोनों ऐसी आधुनिक दूरबीन बनाई हैं, जो शून्य दृश्यता में भी आसानी से देख सकती हैं। इसमें पावरफुल सेंसर लगाए गए हैं। कंपनी के एजीएम राजेश गुप्ता ने बताया कि युद्ध के दौरान कोहरा व धुंध होना आम बात है। मौसम खराब होने पर कई बार ऐसा होता है। इसके अलावा युद्ध के दौरान घना धुआं छाने की स्थिति भी बन जाती है। ऐसे में नाइट विजन डिवाइस व थर्मल इमेजिंग से देखा जा सकता है। इसका सफल परीक्षण करने के बाद सेना ने इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।

हेलमेट में नहीं होंगे नट बोल्ट, सैनिकों का सिर रहेगा सुरक्षित

'एमकेयू' ने एक ऐसा हेलमेट बनाया है जिनमें एक भी नट का इस्तेमाल नहीं किया गया है। आम हेलमेट में ड्रिल करके नट लगाए जाते हैं जिससे उसके आसपास का हिस्सा कमजोर हो जाता है। दूसरा युद्ध के समय अगर गोली हेलमेट के नट पर लगती है तो चोट लगने का खतरा बना रहता है लेकिन यह पूरा हेलमेट बिना नट बोल्ट के कसा हुआ है। जिससे गोली लगने पर भी चोट नहीं लगेगी। इसके अलावा कंपनी ने भारतीय मानक ब्यूरो के तहत बुलेट प्रूफ जैकेट बनाई है।

आइआइटी के एयर टैक्सी-यूएवी का जलवा

डिफेंस एक्सपो में आइआइटी कानपुर की एयर टैक्सी और अनमैंड एयर व्हीकल (यूएवी) का जलवा रहा। लखनऊ में चल रहे एक्सपो में आइआइटी के स्टाल पर एयर टैक्सी और यूएवी के मॉडल देखने और खासियत को परखने के लिए लोगों में बेकरारी दिखी। सेना के अधिकारियों और कई देशों के प्रतिनिधियों ने उन्हें सराहा।

एयर टैक्सी का टेकऑफ हेलीकॉप्टर की तरह, उड़ान एयरोप्लेन जैसी

आइआइटी कानपुर का एयरोस्पेस इंजीनियङ्क्षरग विभाग विटॉल एविएशन इंडिया प्रा.लि.के साथ दो और पांच सीटर एयर टैक्सी बना रहा है। यह हेलीकॉप्टर की तरह टेकऑफ करता है, एयरोप्लेन की तरह उड़ता है। यह सौ किमी तक लगातार उडऩे में सक्षम होगा। इसे 'अभियान एनएक्स' नाम दिया गया है। इसके अलावा पांच किग्रा वजनी यूएवी 'आरव एनएक्स' सरहदों की निगहबानी करने मे कारगर है। एक घंटे तक हवा में उडऩे में सक्षम है।

अभियान के लिए रनवे की जरूरत नहीं

विटॉल इंजीनियङ्क्षरग ऑफिसर अंसर एच लोन के मुताबिक अभियान एनएक्स की उड़ान के लिए रनवे की जरूरत नहीं है। यह हेलीकॉप्टर और एयरोप्लेन से तेज उड़ेगी। इसकी फ्लाइंग टेस्टिंग हो चुकी है। 2021 तक प्रोटोटाइप तैयार हो जाएगा।

एयर टैक्सी की खासियत

- 800 किलोग्राम वजन होगा

- पैराशूट लगा रहेगा।

- हथियार स्थापित करना आसान।

- 100 किलोमीटर तक बिना रुके भरेगा उड़ान।

- एयर टैक्सी में सेंसर सिस्टम लगेगा।

- आपदा के समय रेस्क्यू में आसानी।

रखेगा नजर, लगाएगा निशाना

एयरोस्पेस इंजीनियङ्क्षरग विभाग के एचओडी प्रो.एके घोष ने बताया कि आरव एनएक्स सर्विलांस, इंटेलीजेंस और सरहदों पर नजर रखने में कारगर रहेगा। इसमें कैमरा नाइट विजन है, जिसकी जूमिंग पॉवर काफी अधिक है।

आरव एनएक्स की विशेषता

- लेजर लाइट की सहायता से निशाना लगाना आसान।

- जंगलों में जानवरों के टीकाकरण में सहायक।

- दवाएं और खाने के पैकेट पहुंचाने में आसान।

- हवा में रहकर काफी दूर तक नजर रखना आसान।

- 10 मिनट में पूरी बॉडी असेंबल की जा सकती है।

इनका ये है कहना

आइआइटी कानपुर की एयर टैक्सी और यूएवी के मॉडल काफी पसंद किए जा रहे हैं। सेना के अधिकारियों और अन्य देशों के प्रतिनिधियों ने दोनों के बारे में जानकारी ली है।

- प्रो. मणींद्र अग्रवाल, उप निदेशक, आइआइटी


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