कम पैदावार से मोटे अनाज का पारा चढ़ा
बाजरा, मक्का आदि मोटे अनाज की मौसमी मांग अधिक और कम पैदावार के चलते इनकी कीमतों में पिछले वर्ष के मुकाबले 30 फीसद से ज्यादा तेजी है।
जागरण संवाददाता, कानपुर: सर्दी में शरीर को गर्मी देने वाले मोटे अनाजों का पारा इस वर्ष जबरदस्त चढ़ा है। ज्वार, बाजरा, मक्का आदि मोटे अनाज की मौसमी मांग अधिक और कम पैदावार के चलते इनकी कीमतों में पिछले वर्ष के मुकाबले 30 फीसद से ज्यादा तेजी है।
भारतीय परंपरा से जुड़े खानपान में अब भी अधिकांश परिवार सर्दियों में मोटे अनाज शामिल करते हैं। इसके चलते इस मौसम में ज्वार, बाजरा, मक्के की जबर्दस्त मांग होती है। खासतौर पर दिसंबर से इनकी मांग बढ़ती और फरवरी के अंत तक रहती है। व्यापारियों की मानें तो इस वर्ष बोआई के समय बारिश होने से फसल खराब हुई है, जिसके चलते मांग की अपेक्षा आपूर्ति कम है। इससे कीमतों में उछाल आई है।
यहां होती उपज
बाजरा : इटावा, औरैया, रसूलाबाद, जहानाबाद।
मक्का : बिल्हौर से फर्रुखाबाद तक।
ज्वार : यमुना बेल्ट के दोनों तरफ।
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यह है कीमत (रुपये प्रति क्विंटल)
अनाज पिछले वर्ष अभी
बाजार 1,400 1,825
मक्का 1,400 1,850
ज्वार 1,200 1,650
सफेद ज्वार 2,000-2,200 2,700-3,000
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समर्थन मूल्य बढ़ा पर उसका प्रभाव नहीं
कारोबारियों के मुताबिक बाजरा और मक्का का समर्थन मूल्य इस वर्ष 1,400 से बढ़ाकर 1,750 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है लेकिन कीमतों में वृद्धि उसकी वजह से नहीं, आपूर्ति कम होने से है। इस वर्ष गेहूं और धान का जो समर्थन मूल्य था, बाजार में किसान को उससे बहुत कम में बेचना पड़ा था।
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बोवाई के समय मौसम खराब होने का असर मोटे अनाजों की पैदावार पर पड़ा। इन अनाजों का उत्पादन कम हो गया और अब मांग बढ़ने पर कीमतें बढ़ गईं।
- अजय बाजपेई, उपाध्यक्ष, कानपुर गल्ला आढ़तिया संघ।
मांग के मुताबिक मोटे अनाजों की बाजार में आवक नहीं है। इससे कीमतें बढ़ीं हैं। अब इससे ज्यादा कीमत बढ़ने की उम्मीद नहीं है।
- प्रकाश गुप्ता, मोटे अनाज के कनवेसिंग एजेंट।