बड़े काम का निकला झींगुर, डायबिटीज को नियंत्रित करने में आएगा काम
प्याज के साथ दवा बनाने पर चल रहा शोध, पीडि़तों में इस्तेमाल किए जाने पर मिले बेहतर नतीजे।
By AbhishekEdited By: Published: Fri, 01 Feb 2019 12:36 PM (IST)Updated: Sat, 02 Feb 2019 11:43 AM (IST)
कानपुर, जागरण संवाददाता। स्वास्थ्य के लिए बड़ी समस्या बने मधुमेह (डायबिटीज) का इलाज अब झींगुर से होगा। मधुमेह नियंत्रित करने के लिए झींगुर और प्याज से दवा बनाने पर शोध चल रहा है। इसके शुरुआती परिणाम उत्साहजनक मिले हैं। पाउडर के रूप में बनाई गई दवा के जानवरों पर प्रयोग में बेहतर नतीजे मिले हैं। विदेश में इस दवा का इस्तेमाल मधुमेह से पीडि़त महिला और पुरुषों पर भी किया गया है। उर्सला-डफरिन के डॉक्टरों के लिए उर्सला अस्पताल के सभागार में आयोजित कार्यशाला में दक्षिण कोरिया से आए डॉ. ली सैम गो ने यह जानकारी दी। डॉ. गो यूनाइटेड नेशन के फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन के सदस्य हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) और वल्र्ड डायबिटीज फाउंडेशन मिलकर उत्तर प्रदेश के 36 जिलों में डायबिटीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल पर काम कर रहे हैं। इसमें कानपुर नगर भी शामिल है। सरकारी क्षेत्र के डॉक्टरों को मधुमेह के इलाज के प्रति जागरूक किया जा रहा है। खासकर गर्भावस्था के दौरान मधुमेह नियंत्रित करने के लिए। डॉ. ली सैम गो ने बताया कि झींगुर और प्याज से दो अलग-अगल पाउडर तैयार किए हैं। इनका इस्तेमाल वैसे मधुमेह रोगियों पर किया गया, जिनकी शुगर 400-500 के स्तर पर रहती थी और वे इंसुलिन पर निर्भर थे। इस दवा से तीन-चार दिन में ही शुगर नियंत्रित हो गई। उनकी पैनक्रियाज भी दोबारा एक्टिव हो गई और इंसुलिन जेनरेट करने लगी। कार्यशाला में डफरिन के प्रमुख अधीक्षक डॉ. बीबी सिंह, उर्सला के कार्यवाहक सीएमएस डॉ. मुन्ना लाल विश्वकर्मा, डॉ. राजेश जैन मौजूद रहे।
ऐसे किया इस्तेमाल
इस दवा का इस्तेमाल 1000 चूहों पर किया गया था। उनकी बीटा सेल खत्म कर दी गई थीं। यह दवा देने से बीटा सेल दोबारा जनरेट हो गईं। 50-60 महिला-पुरुष में भी दवा का इस्तेमाल किया गया। महिलाओं में छह माह जबकि धूमपान व अल्कोहल का सेवन करने वाले पुरुषों में साल भर में बेहतर नतीजे मिले।
झींगुर में प्रोटीन का भंडार
झींगुर में 70-85 फीसद तक प्रोटीन, विटमिन, मिनरल्स होते हैं। इसके अलावा ओमेगा 3, 6 और 8 भी पाए जाते हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) और वल्र्ड डायबिटीज फाउंडेशन मिलकर उत्तर प्रदेश के 36 जिलों में डायबिटीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल पर काम कर रहे हैं। इसमें कानपुर नगर भी शामिल है। सरकारी क्षेत्र के डॉक्टरों को मधुमेह के इलाज के प्रति जागरूक किया जा रहा है। खासकर गर्भावस्था के दौरान मधुमेह नियंत्रित करने के लिए। डॉ. ली सैम गो ने बताया कि झींगुर और प्याज से दो अलग-अगल पाउडर तैयार किए हैं। इनका इस्तेमाल वैसे मधुमेह रोगियों पर किया गया, जिनकी शुगर 400-500 के स्तर पर रहती थी और वे इंसुलिन पर निर्भर थे। इस दवा से तीन-चार दिन में ही शुगर नियंत्रित हो गई। उनकी पैनक्रियाज भी दोबारा एक्टिव हो गई और इंसुलिन जेनरेट करने लगी। कार्यशाला में डफरिन के प्रमुख अधीक्षक डॉ. बीबी सिंह, उर्सला के कार्यवाहक सीएमएस डॉ. मुन्ना लाल विश्वकर्मा, डॉ. राजेश जैन मौजूद रहे।
ऐसे किया इस्तेमाल
इस दवा का इस्तेमाल 1000 चूहों पर किया गया था। उनकी बीटा सेल खत्म कर दी गई थीं। यह दवा देने से बीटा सेल दोबारा जनरेट हो गईं। 50-60 महिला-पुरुष में भी दवा का इस्तेमाल किया गया। महिलाओं में छह माह जबकि धूमपान व अल्कोहल का सेवन करने वाले पुरुषों में साल भर में बेहतर नतीजे मिले।
झींगुर में प्रोटीन का भंडार
झींगुर में 70-85 फीसद तक प्रोटीन, विटमिन, मिनरल्स होते हैं। इसके अलावा ओमेगा 3, 6 और 8 भी पाए जाते हैं।
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