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पुण्यतिथि पर नमन : जेल में बंद अपराधियों को क्रांतिकारी बना देते थे डॉ कटियार Kanpur News

अमर शहीद सरदार भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु के साथी क्रांतिकारी डॉ. गया प्रसाद कटियार रहे

By Edited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 01:31 AM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2020 09:35 AM (IST)
पुण्यतिथि पर नमन : जेल में बंद अपराधियों को क्रांतिकारी बना देते थे डॉ कटियार Kanpur News
पुण्यतिथि पर नमन : जेल में बंद अपराधियों को क्रांतिकारी बना देते थे डॉ कटियार Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। अमर शहीद सरदार भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के साथी रहे क्रांतिकारी डॉ. गया प्रसाद कटियार जेल में बंद अपराधियों तक में क्रांति के बीज बो देते थे। सांडर्स की हत्या में डॉ. कटियार समेत छह साथियों को भी कालापानी की सजा हुई थी। वे जिस जेल गए, आंदोलन छेड़ते रहे। 10 फरवरी 1993 को अनंत यात्रा पर निकल गए। पिता की पुण्यतिथि पर उनके इंजीनियर बेटे क्रांति प्रसाद कटियार रोमांचकारी किस्से सुनाते हैं।

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बिल्हौर इलाके के गांव खजुरी के जमींदार परिवार में जन्मे डॉ गया प्रसाद कटियार को लगता था कि आजादी हाथ फैलाकर मांगने से नहीं मिलेगी। उसके लिए अंग्रेजों से भिड़ना पड़ेगा। जल्द ही भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु उनके दोस्तों में शुमार हो गए। बेटे क्रांति प्रसाद कटियार बताते हैं कि क्रांतिकारियों में डॉक्टर सिर्फ उनके पिता ही थे।

डॉक्टर के नाते क्रांतिकारी होने जैसा कोई शक भी नहीं करता था। लिहाजा, जहां क्रांतिकारी गतिविधियां चलानी होतीं, वे वहां क्लीनिक खोल लेते। बाहर दवाखाने का बोर्ड लगता और अंदर बम बनाने का काम। अंग्रेज सांडर्स की हत्या में सुखदेव, भगत व राजगुरु को सीधे दोषी मानते हुए फांसी दी गई, डॉ. कटियार समेत को षड्यंत्र में सहयोगी। 15 मई 1929 को सहारनपुर से गिरफ्तारीहुई। उन्हें कालापानी की सजा मिली।

वे 1929 से 1946 तक (17 साल) तक जेलों में यातनाएं झेलते रहे। इस दौरान 65 दिन अनशन भी किया। शादीशुदा थे, घर पर पत्‍‌नी और बेटी थी, लेकिन न कभी झुके, न ही माफी मागी। जनवरी 1945 से कानपुर में बंद डॉ. कटियार 21 फरवरी 1946 को रिहा किए गए। फिर, शिवराजपुर क्षेत्र के गांव जगदीशपुर में आ बसे और यहीं आखिरी सांस ली।


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