Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चिकित्सा विशेषज्ञों की जानें राय, किस उम्र में करनी चाहिए शादी और क्यों बढ़ रहा पुरुषों में बांझपन

    By AbhishekEdited By:
    Updated: Sun, 07 Oct 2018 10:56 AM (IST)

    जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में आयोजित फॉग्सी के अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन में चिकित्सा जगत के विशेषज्ञों ने चर्चा की। नि:संतान दंपती के संपूर्ण इलाज पर मंथन किया।

    चिकित्सा विशेषज्ञों की जानें राय, किस उम्र में करनी चाहिए शादी और क्यों बढ़ रहा पुरुषों में बांझपन

    कानपुर (जागरण संवाददाता)। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में फेडरेशन ऑफ आब्स एवं गायनिकोलॉजी सोसायटी ऑफ इंडिया (फॉग्सी) के अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन में चिकित्सा जगत के विशेषज्ञों ने चर्चा शुरू की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। डॉक्टरों ने युवक और युवती किस उम्र में शादी करनी चाहिये और कब तक बच्चा करना चाहिये। इसके साथ ही किस तरह और क्यों पुरुषों में बांझपन की समस्या बढ़ रही है।
    नि:संतान दंपती के इलाज पर मंथन
    फॉग्सी की कार्यशाला में देशभर से आए विशेषज्ञों ने नि:संतान दंपती के संपूर्ण इलाज पर मंथन किया। विशेषज्ञों ने आइवीएफ और आइयूआई तकनीक को विभिन्न तरीकों से समझाया। वहीं पुरुष बांझपन और किराए की कोख जैसे मुद्दे भी उठाए। कार्यशाला का उद्घाटन महापौर प्रमिला पांडेय और दैनिक जागरण समूह के चेयरमैन योगेंद्र मोहन गुप्त ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। चेयरपर्सन डॉ. मीरा अग्निहोत्री और डॉ. मधु लूंबा रहीं। सहायक डॉ. मोनिका सचदेवा और डॉ. युथिका बाजपेई थीं। डॉ. सीवी पागोरी, डॉ. हिमाशु राय समेत तीन सौ से अधिक स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों ने चर्चा की।
    इस उम्र में करें शादी और बच्चा
    बंग्लुरु से आईं पद्मश्री डॉ. कामिनी राव ने बताया कि करियर बनाने के चक्कर में युवक युवतियां देर से शादी करती हैं। अगर 25-30 की उम्र के बीच शादी और बच्चा दोनों प्लान कर लिया जाए तो बांझपन की समस्या नहीं होगी। उन्होंने कहा कि इस उम्र में अंडाणु और शुक्राणुओं की क्वालिटी अच्छी होती है। उम्र बढऩे के साथ इस पर प्रभाव पड़ता है। 
    अगर महत्वाकांक्षी हैं तो 25 की उम्र में अपने अंडाणु फ्रीज करा सकती हैं। उसके बाद 35 की उम्र तक इसका इस्तेमाल कर गर्भधारण किया जा सकता है। गूगल और माइक्रोसाफ्ट जैसी कंपनियां अंडे फ्रीज कराने की सुविधा भी दे रही हैं। विदेशों में मीनोपॉज की उम्र 50-55 वर्ष है, क्योंकि वहां का वातावरण ठंडा होता है। खानपान भी बेहतर है। अपने यहां 42-45 वर्ष है। इसकी कई वजह हैं।
    मोबाइल-लैपटॉप से बढ़ रहा बांझपन
    फॉग्सी अधिवेशन में आस्ट्रेलिया से आए डॉ. केशव मेहरोत्रा ने बताया कि घंटों अपनी जांघों पर रखकर लैपटॉप पर काम करने वाले और पेंट की जेब में मोबाइल फोन रखने वाले युवा सावधान हो जाएं। मोबाइल-लैपटॉप शुक्राणुओं के डीएनए को प्रभावित कर रहे हैं। इससे पुरुषों में बांझपन की समस्या तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि तेज भट्टी्र, गर्म जगह देर तक काम करने से पुरुषों के शुक्राणु और महिलाओं के अंडाणुओं पर असर पड़ता है। 
    धूमपान, शराब का सेवन, टाइट अंडरवियर पहनना भी इसके कारण हैं। कुछ युवा शरीर बनाने के लिए स्टेरायड का भी इस्तेमाल करते हैं जो शुक्राणुओं को प्रभावित करते हैं। पुरुष बांझपन के शिकार लोगों में पचास फीसद युवा हैं। शुक्राणुओं का डीएनए खराब होने से गर्भ नहीं ठहरता। अगर ठहर भी जाए तो गर्भपात हो जाता है। इसके इलाज की इक्सी व फिक्सी तकनीक आ गई है।
    बच्चेदानी की टीबी भी बड़ी समस्या 
    डॉ. सोनिया मलिक ने कहा कि बच्चेदानी में टीबी के संक्रमण से बांझपन की समस्या हो रही है। फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक हो जाता है, जो आपरेशन से भी नहीं खुलता। संक्रमण से बच्चेदानी कमजोर हो जाती है, जो भ्रूण को कैरी नहीं कर पाती। ऐसी स्थिति में आइवीएफ भी संभव नहीं है। उनके लिए सरोगेसी ही विकल्प होता है।
    समलैंगिकों को नहीं मिले किराए की कोख की अनुमति
    फॉग्सी के अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन के पहले दिन पद्मश्री डॉ. कामिनी राव ने कहा कि हर दंपती को संतान सुख पाने का अधिकार है। बीमारी और अन्य कारणों से वंचित लोगों के लिए किराए की कोख (सरोगेसी) ही विकल्प है। बंदिशों से इसका दुरुपयोग और बढ़ जाएगा। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में प्रेसवार्ता के दौरान एसिसटेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी बिल (एआरटी) कमेटी की सदस्य डॉ. राव ने कहा कि जिस दंपती को बच्चा नहीं होता, उसका क्या गुनाह है। उन्हें संतान सुख पाने से कोई कैसे रोक सकता है। 
    सरोगेसी का दुरुपयोग न हो इसके लिए सख्त नियम बनाए जाएं और उनका पालन करें। संसदीय कमेटी की सिफारिश पर बगैर किसी विचार-विमर्श के इसे बंद कर देना कोई हल नहीं है। इसके लिए एआरटी एक्ट है। सरोगेसी के लिए सरकार को रेट फिक्स कर देने चाहिए। इससे मनमानी पर अंकुश लगेगा। सरकार इसकी मॉनीटङ्क्षरग करें। इसके लिए सरोगसी का ऑनलाइन पंजीकरण कराया जाए, जिससे उसे ट्रेस करना संभव हो सके। यह ध्यान रहे समलैंगिकों को किराए की कोख की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए।
    स्कूल-कॉलेजों में यौन शिक्षा जरूरी
    अधिवेशन में फॉग्सी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र मेहरोत्रा ने कहा कि हमारे देश में भी पाश्चात्य देशों की तरह कम उम्र में किशोर-किशोरियों के बीच संबंध बनने लगे हैं। इन्हें रोका नहीं जा सका लेकिन सुरक्षा के लिए किशोरों को जागरूक करना जरूरी है। इसके लिए स्कूल-कॉलेजों में छात्रों को यौन शिक्षा देनी चाहिए। युवा संबंध बनाने में ईमानदारी बरतें और सिंगल पार्टनर रखें। अगर मल्टीपल सेक्सुअल पार्टनर हैं तो प्रिकॉशन का इस्तेमाल करें। वहीं माहवारी के दौरान स्वच्छता का ध्यान रखें। गंदगी से बच्चेदानी भी गल सकती है। खानपान में सुधार करते हुए नियमित व्यायाम कर खुद को तरोताजा रखें।
    गर्भाशय से ट्यूमर निकालने की तकनीक बताई
    अधिवेशन के दूसरे सत्र में गॉयनी इंडोस्कोपिक वर्कशाप पर चर्चा करते हुए विशेषज्ञों ने एडवांस लेप्रोस्कोप तकनीक और सर्जरी के दौरान सावधानी बरतने के बारे में बताया। कार्यक्रम की चेयरपर्सन डॉ. नीलम मिश्रा और डॉ. रेनू सिंह गहलौत ने लेप्रोस्कोप से गर्भाशय ट्यूमर निकालने की तकनीक बताई। रसौली के आपरेशन की आधुनिक पद्धति और दूरबीन विधि से बांझपन का इलाज करने की जानकारी दी। संचालन डॉ. मोहिता गुलाटी, डॉ. राशि मिश्रा और डॉ. वत्सला ने किया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें