डाक्टरों को रहती घर की चिंता, रात में फार्मासिस्टों के भरोसे सीएचसी-पीएचसी
मुख्यमंत्री ने सीएचसी-पीएचसी में तैनात डॉक्टरों को वहां के आवासों में रुकने का जारी किया है फरमान
जागरण संवाददाता, कानपुर : ग्रामीण अंचल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में डॉक्टर जाते ही नहीं हैं। जाते हैं तो दो-तीन घंटे से अधिक रुकते नहीं हैं। ऐसे में रात में सीएचसी-पीएचसी फार्मासिस्टों के भरोसे रहती हैं। इन शिकायतों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंभीरता से लिया है। सीएचसी-पीएचसी में तैनात डॉक्टरों को वहां के आवासों में रुकने का फरमान जारी किया है। इससे डॉक्टरों में हड़कंप है।
सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों की सीएचसी पीएचसी के प्रभारी एवं चिकित्सकों के आवास खाली पड़े हैं। वहां कोई रुकता नहीं है। ऐसे में सीएचसी की इमरजेंसी सेवाएं प्रभावित होती हैं। रात में सेवाएं फार्मासिस्टों के भरोसे रहती हैं। सामान्य मरीज मैनेज हो जाते हैं, लेकिन जटिलता होने पर समस्या खड़ी हो जाती है। चिकित्सक सीएचसी-पीएचसी के आवासों में न रुककर शहर से आते जाते हैं। ऐसी शिकायतें शासन तक पहुंच रही थीं। इस पर शासन ने डॉक्टरों को वहां रहने का आदेश दिया है। इसके लिए प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण प्रशांत त्रिवेदी ने महानिदेशक, अपर निदेशक एवं सीएमओ को आदेश जारी कर निर्देशित किया है। कहा है कि सीएचसी-पीएचसी में नहीं रहने पर चिकित्सकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।
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सभी सीएचसी में शिकायत
कल्याणपुर, चौबेपुर, बिल्हौर, ककवन, बिधून, घाटमपुर, पतारा, सरसौल, भीतरगांव एवं ककवन।
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पीएमएस को आपत्ति
प्रमुख सचिव के फरमान पर प्रांतीय चिकित्सा संवर्ग (पीएमएस) ने आपत्ति जताई है। कहा, अगर डॉक्टरों को परेशान किया गया तो सामूहिक त्यागपत्र दे देंगे।
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प्रमुख सचिव का आदेश 18 सितंबर को मिला है। सीएचसी-पीएचसी के प्रभारियों एवं डॉक्टरों को वहां आवास में रुकने के आदेश दिए हैं। इसका कड़ाई से पालन कराएंगे। वहां के डॉक्टरों एवं कर्मचारियों को बायोमेट्रिक मशीन पर उपस्थिति दर्ज करनी होगी। तभी वेतन निर्गत होगा।
- डॉ. अशोक शुक्ला, सीएमओ।
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एलएलआर में सर्जरी के लिए करना होगा महीनों का इंतजार
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग में आपरेशन थियेटर (ओटी) कम होने की वजह से महीनों की वेटिंग चल रही है। हर यूनिटों की अलग-अलग वेटिंग है। सुपर स्पेशिएलिटी में प्लास्टिक, कैंसर सर्जरी, गैस्ट्रोइंटोलॉजी सर्जरी और पीडियाट्रिक सर्जरी यूनिट की वेटिंग तीन से छह माह तक की है। ऐसे में मरीज दूसरे संस्थानों का रुख कर रहे हैं।
एलएलआर अस्पताल (हैलट) स्थित सर्जरी विभाग में चार आपरेशन थियेटर हैं, जबकि फैकल्टी 31 हैं। फैकल्टी के हिसाब से आपरेशन थियेटर नहीं हैं। इस वजह से सप्ताह में 15 ओटी ही चल पाती हैं। वहीं सर्जरी विभाग की कई ओपीडी चलने से मरीजों का दबाव लगातार बढ़ रहा है। सामान्य सर्जरी की दो, जबकि सुपर स्पेशिएलिटी की रोज एक ओपीडी चलती है। ऐसे में आपरेशन के लिए रोज मरीज चिह्नित होते रहते हैं। आपरेशन थियेटर कम होने से मरीजों की लगातार वेटिंग बढ़ती जा रही है।
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सर्जरी विभाग पर एक नजर
04 आपरेशन थियेटर
31 फैकल्टी
300-350 मरीज ओपीडी में आते
251 स्वीकृत बेड
210 चालू हालत में बेड
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विभाग में चार आपरेशन थियेटर होने से दिक्कत होती है। कई ओपीडी चलने से मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस वजह से सामान्य सर्जरी यूनिट में एक माह और सुपर स्पेशिएलिटी सर्जरी यूनिट में तीन से छह माह की वेटिंग चल रही है। मरीजों को आपरेशन की लंबी डेट दी जाती है।
-डॉ. संजय काला, विभागाध्यक्ष सर्जरी जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।
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चुन्नीगंज में बनेगा जानवरों का पीएचसी
कुत्ता, बिल्ली, सुअर, गाय, भैंस, बकरी समेत अन्य जानवरों को पालने वाले पशुप्रेमियों को अब अपने पालतू जानवर के अच्छे इलाज के लिए प्राइवेट अस्पताल नहीं दौड़ना पड़ेगा। पशुपालन विभाग की ओर से चुन्नीगंज में एनिमल पीएचसी खोलने की तैयारी की गई है। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस पीएचसी में जानवरों के लिए अलग कमरे रहेंगे। विभाग की ओर से शासन को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। पीएचसी पुराने अस्पताल को तोड़कर बनाई जाएगी।
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इसलिए पड़ी आवश्यकता
पशुपालन विभाग के शहर में डेढ़ दर्जन से अधिक सेंटर हैं। जिनमें टीकाकरण से लेकर सामान्य बीमारियों का इलाज किया जाता है लेकिन ऑपरेशन की सुविधा कुछ सेंटर पर ही है। नौ नंबर क्रासिंग के पास एनिमल पॉलीक्लीनिक पहले ही मंजूर हो चुका है। चुन्नीगंज में पीएचसी खुलने से इस क्षेत्र के पशुपालकों को बड़ी राहत मिलेगी।
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ये रहेंगी सुविधाएं
- जानवरों के एक्सरे हो सकेंगे।
- हफ्ते में एक दिन स्पेशल ओपीडी रहेगी, इसमें विशेषज्ञ चिकित्सक बैठेंगे।
- जानवरों को कुछ देर के लिए भर्ती की सुविधा भी रहेगी।
- ग्लूकोज भी चढ़ाया जाएगा।
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'प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। मंजूरी मिलते ही काम शुरू हो जाएगा। इससे पशुपालकों को काफी राहत मिलेगी।'
-डॉ. एसके सिंह, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, कानपुर