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इस बच्ची के लिए दीपावली पर भगवान बने डॉक्टर, दिया जिंदगी का अनमोल तोहफा Kanpur News

पंखा गिरने से सिर पर ब्लेड घुसने से क्षतिग्रस्त हो गया था ब्रेन अवकाश होने के बावजूद ओटी खुलवाकर तीन घंटे के ऑपरेशन में बचाई जान।

By AbhishekEdited By: Published: Tue, 29 Oct 2019 11:31 PM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 10:33 AM (IST)
इस बच्ची के लिए दीपावली पर भगवान बने डॉक्टर, दिया जिंदगी का अनमोल तोहफा Kanpur News
इस बच्ची के लिए दीपावली पर भगवान बने डॉक्टर, दिया जिंदगी का अनमोल तोहफा Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष ने दीपावली के दिन पनकी के एक परिवार का दामन खुशियों से भर दिया। फर्राटा पंखा गिरने से सिर में ब्लेड घुसने से बच्ची का ब्रेन (दिमाग) बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। तत्काल सर्जरी की जरूरत थी। अवकाश के बावजूद ऑपरेशन थियेटर (ओटी) खुलवाया गया। तीन घंटे की मशक्कत के बाद डॉक्टर जान बचाने में सफल हुए। बच्ची के स्वजन का कहना है कि डॉक्टर अंकल ने दीपावली पर उसे जिदंगी का अनमोल तोहफा दिया है।

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पनकी के गंभीरपुर निवासी राजू की दस वर्षीय पुत्री प्राची शनिवार रात खेल रही थी। अचानक प्राची के ऊपर चलता हुआ फर्राटा (स्टैंड वाला पंखा) गिर पड़ा। दोनों ब्लेड सिर में घुस गए। सिर से खून बहने लगा। स्वजन बच्ची की हालत देखकर घबरा गए। कहीं कोई डॉक्टर भी नहीं मिला। रात 12 बजे बच्ची को लेकर भागते हुए एलएलआर (हैलट) इमरजेंसी लेकर पहुंचे। वहां जूनियर रेजीडेंट (जेआर) ने बच्ची की हालत देखकर न्यूरो सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष सिंह को अवगत कराया।

उन्होंने जेआर को तत्काल बच्ची का सीटी स्कैन कराने का निर्देश दिया और इमरजेंसी पहुंच गए। सीटी स्कैन में ब्रेन बुरी तरह क्षतिग्रस्त पाया। ऐसे में तत्काल ऑपरेशन की जरूरत थी। अवकाश के बाद भी रविवार दोपहर उन्होंने ओटी खोलने का आदेश दिया, सभी को तत्काल बुलाकर तैयारी कराई। दोपहर 2 बजकर 55 मिनट पर बच्ची को ऑपरेशन थियेटर लेकर गए। तीन घंटे की सर्जरी के उपरांत बच्ची की जान बचाने में सफल हुए। अब बच्ची पूरी तरह होश में है।

सर्जीकल टीम में शामिल जेआर

न्यूरो सर्जरी के जेआर-3 डॉ. संजय त्रिपाठी, जेआर-2 डॉ. हिमांशु पॉलीवाल, एनस्थेसिया की जेआर-2 डॉ. वर्षा, डॉ. रश्मी एवं जेआर-1 डॉ. ज्ञानम थीं।

चिकित्सक का ये है कहना

पंखे के दोनों ब्लेड खोपड़ी की हड्डी तोड़ते हुए ब्रेन के अंदर घुस गए थे। एक ब्लेड सिर के बीचोबीच घुसा था, जहां ब्रेन से खून वापस करने की मुख्य नस होती है। दूसरे ब्लेड ने भी कई नसों का क्षतिग्रस्त कर दिया था। ऐसे में तत्काल सर्जरी प्लान की। तीन घंटे चली क्रेनायटमी में पहले ब्रेन में घुसे ब्लेड निकाले। उसके बाद क्षतिग्रस्त नसों की मरम्मत की।

- डॉ. मनीष सिंह, विभागाध्यक्ष, न्यूरो सर्जरी, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।


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