एसटीएफ से बोला डॉक्टर बम, मुझे जानना चाहते हो तो 'डेंजरस माइंड' पढ़ो Kanpur News
पुराना इतिहास खंगालने की कोशिश पर आतंकी जलीस ने दिया जवाब लेखक हुसैन जैदी और आइपीएस बृजेश सिंह ने लिखी है किताब।
कानपुर, [गौरव दीक्षित]। डॉक्टर बम नाम से कुख्यात आतंकी डॉ. जलीस अंसारी का पुराना इतिहास खंगालने में जुटी एसटीएफ के सामने एक के बाद एक राजफाश हो रहे हैं। गिरफ्तारी के बाद भी दुर्दांत आतंकी बेखौफ और बेफिक्र है। एसटीएफ ने पूछताछ के दौरान जलीस का इतिहास जानना चाहा तो उसने अधिकारियों को दो टूक कह दिया, 'मुझे जानना चाहते हो तो डेंजरस माइंड पढ़ो, मैं क्या हूं पता चल जाएगा।Ó यह किताब मुंबई के अपराध लेखक हुसैन जैदी और अंडरवल्र्ड को काफी नजदीक से देखने वाले आइपीएस बृजेश सिंह ने लिखी है। किताब में और भी कुख्यात अपराधियों की कहानी है।
आतंकी बनने से लेकर गिरफ्तारी तक जलीस के बारे में पूरी पड़ताल है किताब में
आइपीएस बृजेश और हुसैन दोनों ने आतंकवाद और अंडरवल्र्ड पर बड़ा शोध किया है। मुंबई नगरी के अपराधियों पर दर्जन भर से अधिक किताबें लिखी हैं। डेंजरस माइंड किताब तीन जुलाई 2017 को बाजार में आई थी। इस किताब में लेखकों ने लिखा है कि एक शांत चित्त डॉक्टर मौत का सौदागर बन गया। लोगों का इलाज करते-करते बम बनाने लगा। कुछ लोगों के संपर्क में आया और आतंकी बन गया। किताब में डॉ. जलीस के अलावा उत्तर-पश्चिम मुंबई के जोगेश्वरी इलाके की झुग्गी में रहने वाली दो बच्चों की मां व गृहिणी फहमीदा अंसारी के आतंकी बनने की कहानी भी है। लिखा है, एक सामान्य महिला टैक्सी और बस में बम लगाकर ऐसे घर लौट आती थी, जैसे कुछ हुआ ही न हो। क्या कोई इतना हृदयहीन हो सकता है। किताब में शामिल कुख्यात अपराधियों के बारे में लिखा है कि कुछ मजबूरी में आतंकी बने तो कुछ का माइंड वॉश किया गया।
फिल्म 'द वेडनेसडे' में भी है 'डॉक्टर बम' का साया
फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह की वर्ष 2008 में आई फिल्म 'द वेडनेसडेÓ में बम रखने और सूचना देने का तरीका डॉ. जलीस से प्रेरित है। हालांकि निर्माता-निर्देशक नीरज पांडेय ने फिल्म के अनुसार समस्या से जूझ रहे आम आदमी के किरदार को रखा है। नीरज पांडेय ने कहानी की क्रेडिट जलीस के मामलों में इन्वेस्टिगेशन करने वाले आइपीएस राकेश मारिया को दिया था। जलीस जनता को खौफजदा करने के लिए ऐसा करता था। सूत्रों के अनुसार जलीस अंसारी ने मुंबई के गांवदेवी पुलिस स्टेशन के सीनियर इंस्पेक्टर को फोन कर थाने में बम रखा होने की सूचना दी थी। तलाशी में मिलने के बाद डिफ्यूज करते समय वह फट गया और कई लोग घायल हो गए थे। एसबी-वन यानी स्पेशल ब्रांच (खुफिया एजेंसी) के सीनियर इंस्पेक्टर को भी फोन कर कार्यालय में बम रखा होने की सूचना दी, वहां भी बम मिला था।