शहर से जरूर बाहर होंगे चट्टे, गंदगी, जलनिकासी व जाम का समाधान बड़ी चुनौती Kanpur News
जिलाधिकारी ब्रह्मदेव राम तिवारी ने शहर की मूलभूत समस्याओं को लेकर बताई अपनी कार्ययोजना।
कानपुर, जेएनएन। चट्टों से बहता गोबर, चोक सीवर लाइनें, बेसहारा जानवर और टूटती सड़कें, शहर के हालात बयां करने के लिए काफी हैं। यहां सड़कें बनती तो हैं, लेकिन कुछ दिन में ही टूट जाती हैं। जाम तो जैसे आम हो चुका है। हजारों लोग प्रतिदिन टेंपो, ई-रिक्शा की अराजकता से जूझते हैं। रास्ते में हो चुके बड़े-बड़े गड्ढों में फंसकर गिरते हैं। ये हाल तब है जब हमारा अपना शहर कानपुर स्मार्ट बनने की राह पर तेजी से दौड़ रहा है। आस है तो समस्याओं से निजात की। दैनिक जागरण ने इस बार अपने साप्ताहिक साक्षात्कार में इन्हीं समस्याओं के निराकरण का मुद्दा उठाया। बातचीत में जिलाधिकारी एवं केडीए के प्रभारी उपाध्यक्ष डॉ. ब्रह्मदेव राम तिवारी ने भरोसा दिलाया कि जल्द ही शहर के हालात सुधार देंगे।
पूछे गए सवाल व उनके जवाब
प्रश्न- चट्टे शहर के लिए मुसीबत हैं, यह बात आपने बैठकों में स्वीकार की और सात दिन में इन्हें हटाने का आदेश दिया, लेकिन हुआ कुछ नहीं?
उत्तर- चट्टे हटाना आसान नहीं है। इन्हें केडीए ने भूमि आवंटित की थी। तमाम ऐसे हैं, जिन्होंने चट्टे खत्म कर दूसरा कारोबार शुरू कर दिया। चार-पांच जगहों पर भूमि देखी गई है। अभी वक्त लगेगा, लेकिन चट्टे शहर से जरूर बाहर होंगे। यहां चट्टों से ज्यादा गोबर की समस्या है। इससे जैविक खाद बनाई जा सकती है। कंडे बनाने में भी प्रयोग हो सकता है। इसका निस्तारण कैसे हो इस पर मंथन किया जा रहा है।
प्रश्न-शहर में ऐसी कौन सी समस्याएं हैं, जिन्हें आप चुनौती के तौर पर लेते हैंं?
उत्तर- देखिए बिजली, जल निकासी, यातायात, जाम और गंदगी की समस्या का समाधान बड़ी चुनौती है। गंगा की धारा भी निर्मल रखना है। इन सभी समस्याओं का समाधान करने के लिए व्यापक कार्ययोजना तैयार करने में जुटा हूं। समाधान ठीक से हो इसका प्रयास है। सफलता जरूर मिलेगी, लेकिन थोड़ा वक्त लगेगा। समाधान सोचा जाए और तुरंत हो जाए, ऐसा नहीं होता। संबंधित विभागों का भी सहयोग लेंगे।
प्रश्न- अरबों रुपये का सालाना टैक्स देने वाले शहर में मूलभूत सुविधाओं का अभाव आपको खटकता नहीं है?
उत्तर- चरणबद्ध ढंग से समस्याओं से निपटना पड़ेगा। जाम न हो इसके लिए अतिक्रमण हटाने का अभियान तेजी से चल रहा है। सड़कों की मरम्मत की जा रही है। बनने के बाद सड़कें खोदी न जाएं यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा हूं। एक वाट्सएप गु्रप भी बनाया है। कहां कौन सी सड़क खोदी जानी है, कौन सी बनने जा रही है। ये सारी सूचनाएं उस पर आती हैं। जल निकासी, पेयजल से जुड़ी समस्याओं पर भी फोकस है।
प्रश्न- क्या आपको लगता है कि वाट्सएप ग्रुप बना देने से सड़क खोदने की समस्या का समाधान हो जाएगा? ऐसे ग्रुप देखता कौन है ?
उत्तर- ऐसा नहीं है। ग्रुप की मॉनीटङ्क्षरग की जा रही है। सड़क बनने के बाद खोदी न जाए यह सुनिश्चित किया जा रहा है। कहीं लीकेज को ठीक करने के लिए सड़क खोदने की जरूरत है तो ग्रुप में सूचना देना अनिवार्य है। इससे यातायात विभाग को पता चल जाता है। जाम न लगे, इसके इंतजाम किए जाते हैं।
प्रश्न-यातायात अराजकता पर लगाम के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं?
उत्तर- इसके लिए लोगों को यातायात नियमों का पालन करना सीखना होगा। यातायात प्रबंधन के लिए मानव संसाधन की कमी है। एक हजार से अधिक ई-रिक्शा पकड़े गए हैं। कोई उन्हें छुड़वाने नहीं आया। अब तो हालात यह हैं कि ई रिक्शा रखने की ही जगह ही नहीं है। सिर्फ तकनीक के सहारे यातायात दुरुस्त कर लेना संभव नहीं है।