पनकी हनुमान मंदिर में महंत पद को लेकर आमने सामने आए श्रीकृष्ण दास व बालक दास, दोनों खुद को बता रहे उत्तराधिकारी
श्रीकृष्ण दास ने की 23 मई को पट्टाभिषेक की घोषणा उनके समर्थन में डीएम से मिले संत।
कानपुर, जेएनएन। श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर पनकी में महंत पद को लेकर विवाद गहरा गया है। महंत श्रीकृष्ण दास ने जहां 23 मई खुद के पट्टाभिषेक की घोषणा की है, वहीं बालक दास ने भी खुद के महंत होने का दावा किया है। अखिल भारतीय श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़ा ने बालक दास को महंत घोषित किया है, जिसे श्रीकृष्ण दास ने खारिज कर दिया है। डीएम को लिखे पत्र में कहा है कि मंदिर अखाड़े से संबद्ध नहीं है, इसलिए अखाड़ा किसी को महंत घोषित नहीं कर सकता।
संतों ने डीएम से मांग सुरक्षा
रविवार को महामंडलेश्वर डॉ. विनय स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के नेतृत्व में संतों ने डीएम डॉ. ब्रह्मदेव राम तिवारी से मुलाकात की और उन्हेंं ज्ञापन सौंपा। 23 मई को आयोजित पट्टाभिषेक के कार्यक्रम में सुरक्षा व्यवस्था के पर्याप्त इंतजाम की मांग की। संतों ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत बाबा रमाकांत दास ने श्रीकृष्ण दास को उत्तराधिकारी घोषित किया था। मंदिर में गुरु शिष्य परंपरा के तहत ही महंत की तैनाती होती है। डीएम ने एडीएम सिटी विवेक श्रीवास्तव को मंदिर में शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए कहा है। स्वामी मुनिशाश्रम जी महाराज, महंत रमेश पुरी, उदितानंद महाराज, जितेंदिया स्वामी, स्वामी अरुणपुरी चैतन्य, स्वामी प्रकाशानंद महाराज व भगवान परशुराम सर्व कल्याण सेवा समिति के महामंत्री शेष नारायण त्रिवेदी उपस्थित रहे।
बालक दास के मुताबिक गृहस्थ को महंत बनने का अधिकार नहीं
उधर बालक दास का कहना है कि मंदिर में गृहस्थ को महंत बनने का अधिकार नहीं है। वह महंत रमाकांत दास के वे शिष्य हैं, इसलिए उन्हेंं महंत बनने का अधिकार है। अखाड़ा के प्रधानमंत्री वैष्णवदास ने इसीलिए उन्हेंं महंत घोषित किया है। श्रीराम जन्मभूमि न्यास ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास जी ने भी उनके पक्ष में पत्र जारी किया है। वहीं श्रीकृष्ण दास का कहना है कि महंत रमाकांत दास का उत्तराधिकारी होने के नाते 23 को उनका पट्टाभिषेक होगा।