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परास में फैली बीमारी, नहीं चेते तो पड़ेगी बहुत भारी

कोतवाली क्षेत्र के परास गांव में 15 दिन के भीतर 34 लोगों की मौत।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 May 2021 01:55 AM (IST)Updated: Fri, 07 May 2021 01:55 AM (IST)
परास में फैली बीमारी, नहीं चेते तो पड़ेगी बहुत भारी
परास में फैली बीमारी, नहीं चेते तो पड़ेगी बहुत भारी

जागरण संवाददाता, घाटमपुर : कोतवाली क्षेत्र के परास गांव में 15 दिन के भीतर 34 लोगों की मौत होना केवल लापरवाही का नतीजा है। प्रशासन अभी तक नहीं चेता है। कई घरों में लोग बीमार हैं। हालत ऐसी है कि वे घाटमपुर सीएचसी आकर जांच नहीं करा सकते हैं। ऐसे में प्रशासन न तो गांव में कैंप लगाकर टेस्टिग करा रहा है और न ही सैनिटाइजेशन। अभी तक गांव में केवल एक बार सैनिटाइजेशन कराया गया है और एक ही बार कैंप लगाकर टेस्टिग की गई है।

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परास गांव में दो सरकारी अस्पताल हैं। एक आयुर्वेद और दूसरा जच्चा-बच्चा का है। गांव वालों ने बताया कि जच्चा-बच्चा अस्पताल हफ्ते में एक बार खुलता है, लेकिन आयुर्वेद का अस्पताल बीते चार महीनों से बंद पड़ा है। सरकार की तरफ से गांव में दवा का इंतजाम तक नहीं है। ग्रामीणों को सरकारी इलाज के लिए या तो कोरियां पीएचसी या घाटमपुर सीएचसी जाना होता है। गांव में कई ऐसे मरीज हैं जो कहीं जाने के हालात में नहीं हैं ऐसे में उन्हें बहुत समस्याएं झेलनी पड़ती हैं। कोरोना टेस्टिग के लिए भी घाटमपुर सीएचसी जाना पड़ता है। इसके चलते कई लोग टेस्टिग नहीं करा पा रहे हैं।

गांव में तीन निगरानी कमेटियां बनाई गई हैं। हर टीम में एक आशा बहू और एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शामिल हैं। यह टीम पांच दिन गांव में बीमारों का डाटा इकट्ठा करेगी। हर टीम को दिन में 40 घरों की जांच करनी होती है। बुधवार से यह काम शुरू हो गया है। टीम हर घर में जाकर बीमार और बाहर से आए लोगों की जानकारी करती है। गांव वालों के मुताबिक गांव में कोई टीम कहीं जानकारी नहीं ले रही है। निगरानी कमेटी के नाम पर भी खानापूरी हो रही है। टीकाकरण को लेकर नहीं किया जागरूक

परास में वैक्सीनेशन को लेकर बहुत ज्यादा डर फैला हुआ है। प्रशासन की तरफ से उनको जागरूक करने का भी काम नहीं किया गया। गांव वालों ने बताया कि 13 अप्रैल को पहली बार जच्चा-बच्चा केंद्र में वैक्सीनेशन हुआ था। ग्रामीणों के मुताबिक वैक्सीन लगवाने के दो दिन बाद कई लोगों को बुखार आने लगा। गांव निवासी रामशंकर चौरसिया की मौत हो गई। डॉ. संतोष अवस्थी को कानपुर हैलट में भर्ती कराना पड़ा। वहां जांच में वे कोरोना संक्रमित पाए गए। वे आइसीयू में भर्ती हैं। बीते बुधवार को उनके पिता श्रीकांत अवस्थी की भी मौत हो गई। इसके बाद से गांव में वैक्सीन को लेकर डर फैला हुआ है। गांव के ही अंबुज अवस्थी ने बताया कि वैक्सीन की जब दूसरी खेप गांव पहुंची तो किसी ने वैक्सीन नहीं लगवाई। ऐसे में प्रशासन और स्वास्थ्य महकमे की तरफ से ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया।

ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है। गावों में टीमों को भेज कर मेडिकल कैंप लगवाए जा रहे हैं। कोरोना की वैक्सीन लगवाने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

कैलाश चंद्र, सीएचसी अधीक्षक, घाटमपुर


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