एलएलआर अस्पताल में अव्यवस्थाओं के बीच गूंजती किलकारियां
जागरण संवाददाता, कानपुर : एलएलआर अस्पताल (हैलट) के अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा-बच्चा अस्पताल म
जागरण संवाददाता, कानपुर : एलएलआर अस्पताल (हैलट) के अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा-बच्चा अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों के सिवा कुछ भी नहीं है। उनके हिसाब से न सुविधाएं हैं और न ही संसाधन। ऐसे में अव्यवस्थाओं के बीच रोजाना 40-50 किलकारियां गूंजती हैं। अस्पताल परिसर में गंदगी की वजह से यहां भर्ती प्रसूता एवं नवजात को हर पल संक्रमण का खतरा बना रहता है।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एलएलआर अस्पताल से संबद्ध अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा-बच्चा अस्पताल में सीजेरियन एवं सामान्य प्रसव की सुविधा है। शहर एवं आसपास के दस जिलों से गंभीर एवं जटिल मरीज इलाज के लिए आते हैं। महिलाओं से संबंधित तमाम गंभीर बीमारियों के इलाज की सुविधा है। बावजूद इसके यहां संसाधन एवं सुविधाएं नहीं हैं। न पर्याप्त नर्सिग स्टॉफ और न ही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की तैनाती है। ऐसे में सफाई से लेकर छोटी-छोटी समस्याओं से रोजाना मरीज रूबरू होते हैं।
24 घंटे मुस्तैद रहतीं डॉक्टर
अस्पताल में पैरामेडिकल स्टॉफ एवं संसाधनों की कमी है। बावजूद इसके मेडिकल कालेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की 14 सदस्यीय विशेषज्ञों की टीम तन्मयता से गर्भवती, प्रसूता एवं युवतियों का इलाज करती है। उनके मार्गदर्शन में 51 सीनियर एवं जूनियर रेजीडेंट 24 घंटे मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल में मुस्तैद रहते हैं।
एमसीआइ के हिसाब से नहीं नर्सिग स्टॉफ
मरीजों के दबाव के हिसाब से नर्सिग स्टाफ नहीं हैं। वर्तमान में सिस्टर एवं स्टाफ नर्स मिलाकर 50 हैं। उनके जिम्मे वार्ड से लेकर लेबर रूम की व्यवस्था होती है।
तीन दिन ही अल्ट्रासाउंड की सुविधा
अस्पताल में बड़ी संख्या में मरीज रोजाना इलाज के लिए आते हैं। अस्पताल के ओपीडी एवं इनडोर में आने वाले मरीजों के लिए अल्ट्रासाउंड जांच की सुविधा तीन दिन उपलब्ध है। सप्ताह में सोमवार, बुधवार एवं शुक्रवार को रेडियोडायग्नोस्टिक विभाग के जूनियर रेजीडेंट (जेआर) जांच करने के लिए आते हैं। यहां उनकी मदद स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की जेआर भी करती हैं।
तीन अल्ट्रासाउंड मशीनों में दो खराब
अस्पताल में तीन अल्ट्रासाउंड मशीनें हैं। दो मशीनें अल्ट्रासाउंड जांच कक्ष में, जबकि एक लेबर रूम में है। उसमें से दो मशीनें खराब पड़ी हैं। उनकी मरम्मत के लिए प्राचार्य को प्रस्ताव भेजा है।
दस में से सिर्फ तीन वार्ड ही चालू
अस्पताल में कहने के लिए दस वार्ड और दो लेबर रूम हैं। उनमें से वार्ड 7, 8 व 9 एवं लेबर रूम 2 का जीर्णोद्धार कार्य चल रहा है। वर्तमान में सिर्फ तीन वार्ड 4, 5 एवं 6 चल रहे हैं जबकि वार्ड एक में लेबर रूम चल रहा है, जहां मरीज भर्ती होते हैं।
कूड़ाघर फैला रहा संक्रमण
जीडी रोड स्थित जच्चा-बच्चा अस्पताल के ठीक बगल में नगर निगम का कूड़ाघर है। कूड़ाघर एवं जच्चा-बच्चा अस्पताल की बाउंड्रीवाल एक है। बाउंड्रीवाल क्षतिग्रस्त होने से कूड़ा अस्पताल परिसर में गिर रहा है। इसकी दुर्गध से गर्भवती, प्रसूता एवं नवजात को संक्रमण की आशंका बनी रहती है।
इसका होता है इलाज
नार्मल प्रसव, सीजेरियन प्रसव, बच्चेदानी के मुख कैंसर (सर्वाइकल कैंसर), बच्चेदानी का घाव, बच्चेदानी में ट्यूमर और फेलोपिन ट्यूब जाच की सुविधा।
कहते हैं जिम्मेदार
अस्पताल में रोजाना औसतन 40 नार्मल एवं सीजेरियन प्रसव होते हैं। उन्हें संक्रमण न हो जाए, इसके लिए अस्पताल से सटे कूड़ाघर हटाने को कई बार नगर निगम को लिख चुके हैं। इधर, अस्पताल की बाउंड्रीवाल टूटने से परिसर में कूड़ा गिर रहा है। प्राचार्य को अवगत कराने पर जेई देखने आए थे।
- डॉ. किरन पांडेय, विभागाध्यक्ष स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग।
अस्पताल के तीन वार्डो का जीर्णोद्धार जल्द ही पूरा हो जाएगा। तीन वार्डो के लिए 100 बेड का प्रस्ताव शासन को भेजा है। अस्पताल में संसाधन एवं सुविधाएं मुहैया कराने के लिए प्रयासरत हैं।
-डॉ. नवनीत कुमार, प्राचार्य जीएसवीएम मेडिकल कालेज।