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व्यापारियों ने बिना माल भेजे ई-वे बिल जेनरेट किया तो पकड़ लेगी यह डिवाइस

वाणिज्य कर अधिकारी अब रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटीफिकेशन डिवाइस से माल पर पूरी नजर रख सकेंगे। ट्रांसपोर्टरों को पहली नवंबर तक अनिवार्य रूप से लगानी होगी डिवाइस।

By AbhishekEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 05:57 PM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 05:57 PM (IST)
व्यापारियों ने बिना माल भेजे ई-वे बिल जेनरेट किया तो पकड़ लेगी यह डिवाइस

कानपुर (जागरण संवाददाता)। जीएसटी लागू होने के बाद कर चोरी के लिए व्यापारी और ट्रांसपोर्टरों की मिलीभगत अब पकड़ में आ जाएगी। यह यदि बिना ई-वे बिल जेनरेट किए माल भेजा जाएगा तो वाणिज्य कर के अधिकारी एक डिवाइस के माध्यम से इस खेल को तुरंत पकड़ लेंगे। इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटीफिकेशन डिवाइस (आरएफआइडी) उनकी मदद करेगी। इससे वाणिज्य कर अधिकारी वाहनों पर पूरी नजर रख सकेंगे। एक नवंबर तक सभी ट्रांसपोर्टरों को वाहनों में इस डिवाइस को लगाना होगा।

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चेक पोस्ट खत्म होने से निगाह में रहते वाहन

चेक पोस्ट खत्म होने के बाद से प्रदेश के बाहर से आने वाले वाहन वाणिज्य कर विभाग की निगाह में नहीं रहते। इससे पता नहीं चल पाता कि प्रदेश में कौन सा वाहन कहां माल ले जा रहा है। दूसरे राज्य से माल लेकर आने वाले और राज्य से होकर गुजरने वाले वाहन कहां माल उतारकर जा रहे हैं इसकी भी जानकारी नहीं हो पाती है। ऐसे में भारी कर अपवंचना की जा रही थी। इससे बचने के लिए वाणिज्य कर विभाग ने आरएफआइडी प्रयोग करने का फैसला किया है। इससे अधिकारियों को यह पता रहेगा कि जिस वाहन पर ई-वे बिल जनरेट हुआ है वह किस दिशा में जा रहा है।

विंड स्क्रीन पर लगेगी डिवाइस, शहर में बनेंगे लोकेशन स्पॉट

ट्रांसपोर्टरों को अपने वाहन की विंड स्क्रीन पर आरएफआइडी टैग लगवाना होगा। इसके बिना प्रदेश में कोई वाहन नहीं चलने दिया जाएगा। हर बड़े शहर में इसके लिए टावर बनाए जाएंगे। इसके लिए स्थान चुनने के लिए कह दिया गया है। वाहन पर लगी डिवाइस से संकेत लेकर टावर लखनऊ में स्थित वाणिज्य कर मुख्यालय के कंट्रोल को भेज देगा। इससे विभाग पता कर लेगा कि वाहन को जाना किधर था और उसका मूवमेंट किधर हो रहा है।

क्या कहते हैं अधिकारी

-वाणिज्य कर विभाग के एडिशनल कमिश्नर ग्र्रेड टू जोन वन आरके श्रीवास्तव कहते हैं कि यह डिवाइस लगने के बाद विभाग हर ट्रक के मूवमेंट की जानकारी रख सकेगा। कहां, कितनी देर रुक रहा है, इसकी जानकारी भी हो जाएगी। कुछ भी संदिग्ध लगते ही टीम भेजकर जांच कराई जा सकेगी।

-वाणिज्य कर विभाग एडिशनल कमिश्नर, ग्र्रेड वन जोन वन अशफाक अहमद का कहना है कि कोई भी ट्रक प्रदेश में आते ही पता चल जाएगा कि वह पहले जब आया था तो इसी ई-वे बिल नंबर से तो नहीं आया था। इससे ई-वे बिल के दोबारा इस्तेमाल पर रोक लगेगी। बिना माल भेजे ई-वे बिल जेनरेट किया तो पकड़ में आ जाएंगे।

आउटसोर्सिंग कंपनी में पकड़ी 25 करोड़ की कर अपवंचना

डीजी जीएसटी की कानपुर विंग ने कार्मिक उपलब्ध कराने वाली लखनऊ स्थित एक कंपनी कार्यालय पर छापा मारकर 25 करोड़ रुपये की कर अपवंचना पकड़ी है। टीम ने पांच करोड़ रुपये जमा भी करा लिए। जुर्माने की राशि कितनी होगी अभी यह तय नहीं हो सका है। महानिदेशक राजेंद्र सिंह के निर्देशन व उप निदेशक शलभ कटियार के नेतृत्व में कानपुर की टीम ने लखनऊ में मैन पावर सिक्योरिटी पर छापा मारा था। यह कंपनी कई राज्यों में कार्मिकों की आपूर्ति करती है। इसके बदले विभिन्न कंपनियों से करोड़ों का सर्विस टैक्स लिया जाता है लेकिन जीएसटी को नहीं दिया जाता।

दूसरी ओर जो कंपनियां इसकी सेवा लेती है वह बराबर सर्विस टैक्स का इनपुट क्रेडिट ले रही थीं। अधिकारियों ने जब जांच की तो पता चला कि यह इनपुट क्रेडिट लखनऊ की कंपनी को दिए गए सर्विस टैक्स का है। बस यहीं से भेद खुल गया। इसके बाद लखनऊ की कंपनी के खातों की जांच की गई। इसमें सामने आया कि कंपनी ने सर्विस टैक्स का धन तो वसूला लेकिन उसे जमा नहीं किया। यह राशि बढ़ते-बढ़ते 25 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। इस पर टीम ने छापा मारा और पांच करोड़ रुपये भी जमा करा लिये।


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