डेंगू भी है वायरल बुखार, घबराएं नहीं
जीएसवीएम के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कुनाल सहाय ने प्रश्न प्रहर में दिए पाठकों के सवालों के जवाब
बारिश के बाद मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। डेंगू, मलेरिया और संक्रामक बीमारियां तेजी से बढ़ी हैं। डेंगू को लेकर आमजन में सर्वाधिक खौफ रहता है। इसलिए पहले ये जान लें, डेंगू भी वायरल बुखार ही है। इसमें घबराएं नहीं बल्कि साधारण बुखार समझकर इलाज कराएं। ये बातें बुधवार को दैनिक जागरण के प्रश्न प्रहर में पाठकों के सवालों का जवाब देते हुए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कुनाल सहाय ने कहीं। पेश हैं पूछे गए सवाल व उनके जवाब।
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0 डेंगू और वायरल बुखार की पहचान कैसे करें। -संत मिश्र, अफीम कोठी।
--दोनों बुखार मच्छर से फैलते हैं। वायरस के इंफेक्शन से होते हैं, इसलिए वायरल कहते हैं। डेंगू में घबराएं नहीं, इसमें सिर्फ पैरासिटामॉल टेबलेट लेनी चाहिए। दर्दनिवारक एवं एंटीबायोटिक दवाएं लेने पर प्लेटलेट्स काउंट कम होने पर स्थिति गंभीर हो सकती है। बुखार नहीं उतरने पर विशेषज्ञ चिकित्सक को दिखाएं। स्वयं दवाएं लेकर न खाएं।
0 डेंगू-मलेरिया बुखार से बचाव बताएं। -इंदरजीत सिंह, गुमटी नंबर-5।
--मच्छर काटने से मलेरिया एवं डेंगू होता है। मलेरिया का मच्छर दिन में काटता है, जबकि डेंगू का सुबह काटता है। मच्छरों कोपनपने न दें। घर एवं आसपास पानी न जमा होने दें।
0 परिवार में किसी को संक्रामक बीमारी होने पर क्या दूसरे को संभव है।
-अशोक दीक्षित, यशोदा नगर।
--बदलते मौसम में सर्दी-खांसी और वायरल संक्रमण से होता है। खांसने या छींकने पर बैक्टीरिया या वायरस हवा में फैलते हैं। आसपास बैठे दूसरे व्यक्ति भी संक्रमित हो सकते हैं। खांसते-छींकते समय मुंह पर कपड़ा जरूर रखें।
0 मौसम बदलने पर जुकाम, नाक से पानी और कान में दिक्कत होती है। -विकास वर्मा, महेश्वरी मोहाल।
--आप को एलर्जी की समस्या है। अचानक ठंडक और गर्मी में जाने से बचें। बिस्तर एवं कपड़ों को साफ-सुथरा रखें। गर्म पानी की भाप लेते रहें। रक्त की सीबीसी जांच कराकर विशेषज्ञ से मिलें।
0 सूखी खांसी आती है। पैरों में सूजन और चलने में दिक्कत होती है। -उमा देवी, विष्णुपुरी।
-- आप को फेफड़े या दिल की बीमारी हो सकती है। मौसमी बीमारियों में पैरों में सूजन नहीं होती है। इसके लिए चिकित्सक से संपर्क करें।
0 बराबर जुकाम रहता है। -राम प्रकाश, अमेजिंग सिक्योरिटी।
--एंटी एलर्जी दवाएं लें। हाथ मिलाने से बचें। योग और व्यायाम करते रहें।
0 मौसम बदलते ही सांस फूलने लगती है। -विनोद सिंह, फजलगंज।
-- एलर्जी की समस्या है। मौसम बदलने पर एहतियात बरतें। रात में रोज एंटी एलर्जी टेबलेट लें।
0 भाई की नाक से खून निकलने लगता है। -रेखा, बर्रा-2।
-- नाक सूखने से पपड़ी जमती है, उसे छेड़ने से खून आ सकता है। हाई ब्लड प्रेशर में भी खून आ सकता है। ब्लड प्रेशर और रक्त की जांच कराएं।
0 दो-तीन माह से खांसी आ रही है। -रवि, जनरलगंज।
--पंद्रह दिनों से अधिक की खांसी को नजरअंदाज न करें। चेस्ट का एक्सरे और रक्त की जांच कराएं।
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जागरण के पांच सवाल
धूल-धुआं कितना नुकसानदेह है
शहर में प्रदूषण बहुत है। धूल-धुआं गंभीर समस्या बन गए हैं। मौसम में बदलाव होते ही एलर्जी और सांस संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं। मुंह में कपड़ा बांधें। भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। खांसी या छींक आने पर मुंह पर कपड़ा जरूर लगाएं।
स्नोफीलिया सामान्य व्यक्ति में कितना होना चाहिए
सामान्य मौसम में स्नोफीलिया काउंट पांच तक होना चाहिए। इंफेक्शन और एलर्जी की स्थिति में 20 से अधिक बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में इसे नियंत्रित करने के लिए पूरा कोर्स करना पड़ता है।
डेंगू का मच्छर कहां पनपता है
घर और आसपास साफ पानी न जमने दें। अगर फ्लावर पॉट और कूलर का पानी बदलते रहें। छत पर पड़े टूटे-फूटे बर्तनों और पुराने टायरों में पानी न जमने दें। डेंगू का मच्छर साफ पानी में ही पनपता है।
मौसम का बदलाव कितना घातक मौसम में बदलाव होने पर अचानक ठंडक व गर्मी में जाने से बचें। इसमें लापरवाही से सर्दी-खांसी, जुकाम और जकड़न हो सकती है।
एलर्जी के मरीजों अभी क्या परेशानी हो सकती है
मौसम में उठापटक और धूल-धुआं और प्रदूषण से एलर्जी वालों को खांसी-जुकाम की समस्या बढ़ जाती है। इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए, वर्ना आगे चलकर दमा (अस्थमा) की समस्या हो सकती है।