कानपुर में डेंगू का डंक : जीआरपी थाने के दारोगा और सिपाही समेत 20 बीमार, मिले 51 नए संक्रमित
कानपुर शहर में डेंगू का प्रकोप अभी थमा नहीं है। एक सप्ताह के अंदर बुखार की समस्या बढ़ी है और अब डेंगू के डंक का कहर सेंट्रल स्टेशन के जीआरपी थाने तक पहुंच गया है। यहां पर दारोगा और सिपाही समेत 20 लोग बुखार पीड़ित है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। जिले में डेंगू का कहर थम नहीं रहा है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में डेंगू संक्रमित लगातार मिल रहे हैं। बुधवार तक डेंगू के 51 नए संक्रमित मिल चुके हैं, जिसमें चार बच्चे और जीआरपी के दारोगा व सिपाही भी हैं। कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर जीआरपी के थाने तक डेंगू का डंक पहुंच चुका है। यहां पर दारोगा और सिपाही समेत लगभग 20 लोग बुखार पीड़ित हैं। लोको अस्पताल में भी डेंगू के मरीज बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं।
जीआरपी थाना प्रभारी आरके द्विवेदी ने बताया कि सप्ताह भीतर बुखार पीड़ित बढ़े हैं। कई दारोगा व सिपाही इसकी चपेट में आ गए हैं। सभी का बेहतर ढंग से उपचार कराया जा रहा है। एसआइ अब्बास हैदर ने बताया कि वह भी कई दिन से बुखार से पीड़ित हैं। अब धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। उल्लेखनीय है कि रेलवे की अनवरगंज व तेजाब मिल कालोनी में आठ लोगों के नमूने लिए जा चुके हैं। गोविंदपुरी, सेंट्रल स्टेशन के पास और दूसरी कालोनियों में मरीज ढूंढे जा रहे हैं।
आरपीएफ में कई बीमार
सेंट्रल स्टेशन समेत आरपीएफ के दूसरे थानों में भी कुछ दारोगा और सिपाही जुकाम-बुखार से पीड़ित हैं। सर्दी के मौसम में कपड़े पहनने को लेकर एहतियात न बरतना भी इसकी एक वजह मानी जा रही है। कुछ रेलवे कर्मी भी बुधवार को बुखार पीड़ित मिले हैं।
चार बच्चों समेत डेंगू के 51 नए संक्रमित
जिले में डेंगू के मरीजों का आंकड़ा 689 पर पहुंच गया है। बुधवार को उर्सला अस्पताल में 183 मरीजों की जांच हुई, जिसमें 33 संक्रमित मिले हैं। वहीं, जीएसवीएम मेडिकल कालेज में 184 मरीजों की जांच हुई, जिसमें 18 मरीजों में डेंगू के संक्रमण की पुष्टि हुई है। सरकारी और निजी अस्पतालों में मिलाकर 32 डेंगू के मरीज भर्ती हैं।
उर्सला अस्पताल के सीएमएस डा. शैलेंद्र तिवारी ने बताया कि डेंगू संक्रमितों की संख्या घट गई है, बुधवार को सिर्फ आठ मरीज ही भर्ती थे। इसके अलावा आठ मरीज एलएलआर अस्पताल और कांशीराम अस्पताल में भर्ती हैं। निजी अस्पतालों में 18 मरीजों का इलाज चल रहा है। डेंगू के छह नए मरीज निजी अस्पतालों में भर्ती हुए हैं।