देवबंदी उलमा का फैसला, अगर बरात में ये सब हुआ तो निकाह नहीं कराएंगे काजी
नाचगाना, दहेज, फिजूलखर्जी से चिंतित देवबंदी उलमा ने पंद्रह सौ मस्जिदों के इमाम, काजी-मुफ्ती को निकाह न पढ़ाने की सलाह दी।
जमीर सिद्दीकी, कानपुर। अब जिस बरात में नाचगाना-बैंडबाजा, आतिशबाजी या दहेज का दिखावा होगा, उससे काजी दूर रहेंगे, निकाह नहीं पढ़ाएंगे। शादी में बढ़ती फिजूलखर्ची और लड़की पक्ष पर इसके बोझ को देखते हुए देवबंदी उलमा ने यह फैसला किया है। काजी हजरात का मानना है कि दिखावे के चक्कर में हजारों गरीब युवतियों की शादी में दिक्कत आ रही है। देवबंदी मसलक से पहले शहर में इसकी शुरुआत बरेलवी मसलक कर चुका है।
गुरुवार देर रात मदरसा इशाअतुल उलूम कुलीबाजार में उलमा की बैठक हुई। अध्यक्षता शहरकाजी मौलाना हाफिज अब्दुल कुद्दूस हादी ने की। मौलाना आजाद अब्दुल्लाह मजाहिरी, मुफ्ती रियाज अहमद कासमी, मौलाना मोहम्मद शारिक कासमी, मौलाना अब्दुल कादिर कासमी, मौलाना शादि कासमी, हाफिज फिरोज अहमद और मुफ्ती इलियास ने विशेष तौर पर शिरकत की। बैठक में मुस्लिम समाज में शादी व अन्य समारोह में बढ़ रही फिजूलखर्ची पर चिंता व्यक्त की गई।
शहरकाजी ने कहा कि कुछ बरातों में तमाम लोग सारी हदें पार कर देते हैं। नाचने, गाने, आतिशबाजी के चक्कर में दिन में शादियां नहीं कर रहे हैं बल्कि आधी रात में बरात लेकर आते हैं। वे यह नहीं सोचते कि लड़की वाले पर कितना अधिक आर्थिक बोझ पड़ रहा है। रात में दूर दराज से आए मेहमानों को रुकवाना, उनके खानेपीने का इंतजाम और फिर दूसरे दिन सुबह नाश्ते और दोपहर में खाने की व्यवस्था में लाखों रुपये अतिरिक्त खर्च होते हैं।
मौलाना आजाद अब्दुल्लाह मजाहिरी ने कहा कि हजारों गरीब लड़कियों की शादी नहीं हो पा रही है। मुस्लिम समाज में दहेज का प्रचलन नहीं था, लेकिन अब बदलाव दिख रहा है। धीरे धीरे दहेज मुस्लिम समाज को भी जकड़ रहा है जो चिंतनीय है। तय हुआ कि प्रदेश की 1500 से अधिक मस्जिदों के इमाम, काजी, मुफ्ती, उलमा से संपर्क करके यह सलाह दी जाएगी कि बैंडबाजा, नाचगाना और आतिशबाजी वाली बरातों में निकाह नहीं पढ़ाएं।
प्रदेशस्तर पर काजी की कमेटी
शहरकाजी ने बताया कि शादी व अन्य समारोह में फिजूल खर्ची व शरीयत के खिलाफ काम रोकने के लिए प्रदेशस्तर पर काजी कमेटी बनाई जाएगी। जब शादी वाले काजी से निकाह पढ़ाने के लिए संपर्क करने आएंगे, उसी वक्त उनको बता दिया जाएगा कि बैंडबाजा और नाच गाना, आतिशबाजी है तो वे निकाह नहीं पढ़ा पाएंगे।