सौ साल का हुआ डीएवी इंटर कॉलेज, जानिए कैसा रहा इस विद्यालय का स्वर्णिम इतिहास Kanpur News
1919 में हुई थी स्थापना क्रिकेट जगत के नगीने मो.कैफ और तन्मय श्रीवास्तव भी यहीं से पढ़कर निकले हैं।
कानपुर, जेएनएन। क्रिकेट के क्षितिज पर नगीना बनकर चमके मो.कैफ और तन्मय श्रीवास्तव जैसे क्रिकेटर डीएवी इंटर कॉलेज से निकले हैं। सौ साल का स्वर्णिम इतिहास सहेजे विद्यालय की आज भी वही शान है।
पहले एक ही परिसर में थे इंटर व डिग्री कॉलेज
वर्ष 1919 में जब स्थापना हुई तो डीएवी इंटर व डिग्री कॉलेज एक ही परिसर में थे। दोनों कॉलेज अब अलग तो हैं लेकिन दोनों कॉलेजों का पता आज भी 15/64 सिविल लाइंस है। साल 1989-90 में 110 शिक्षक थे। गणित, विज्ञान, ङ्क्षहदी, अंगे्रजी, इतिहास व भूगोल जैसे विषय पढ़ाने वाले शिक्षक शहर की शान थे। कॉलेज में 42 अन्य कर्मचारी थे। परिसर इतना बड़ा था कि प्रिंसिपल, कर्मचारी व शिक्षकों के आवास इसी में थे। यहां प्रवेश के लिए छात्र उत्साहित रहते थे। कॉलेज में प्रवेश मिलना ही बड़ी शान था।
आसपास के जिलों से पढऩे आते थे छात्र
कानपुर के अलावा बिल्हौर, घाटमपुर, कन्नौज, इटावा, औरैया, फर्रुखाबाद व फतेहपुर जैसे आसपास के शहरों व कस्बों से छात्र यहां पढऩे आते थे। डीएवी इंटर कॉलेज में पूर्व में अध्ययनरत कई छात्रों ने कॉलेज के साथ अपने शहर व गांव का नाम भी रोशन किया है। यहां का परीक्षा परिणाम बहुत शानदार रहता था। यही कारण था कि इंटर कॉलेज शहर ही नहीं आसपास के शहरों व कस्बों में रहने वाले छात्रों की पहली पसंद बना हुआ था। समय बदला लेकिन पढऩे पढ़ाने का अंदाज वही रहा।
शिक्षक एक सवाल को तीन से चार तरीके से बताने में सक्षम थे। जो तरीका छात्र को सरल लगता वह उसे सीख लेता। आज भी यह कॉलेज अपने नाम से जाना जाता है। प्रधानाचार्य शैलेंद्र मोहन सक्सेना बताते हैं कि शहर की शान इस कॉलेज के गणित व विज्ञान समेत अन्य विषयों को पढ़ाने में शिक्षकों का कोई सानी नहीं था। आज समय बदल गया है लेकिन डीएवी का नाम आज भी लोगों की जुबान पर उसी तरह है।