Cyber Crime Kanpur: ट्रेजरी दफ्तर का बाबू बताकर साइबर ठग रात में करते फोन, पेंशनरों को बनाया शिकार
साइबर ठगों ने रिटायर्ड अपर निदेशक स्वास्थ्य रिटायर्ड इंस्पेक्टर समेत पांच लोगों को शिकार बनाया और ठगी की रकम को पेटीएम व गूगल-पे के 28 खातों में पश्चिम बंगाल और झारखंड भेजा है। पुलिस ने कंपनी से खातों की केवाइसी मांगी है।
कानपुर, जेएनएन। कोषागार लिपिक बनकर पेंशनरों को फोन करके उनके खातों से लाखों रुपये हड़पने वाले साइबर अपराधियों ने पेटीएम और गूगल-पे पर खुले 28 खातों में रकम जमा की थी। सभी खाते पश्चिम बंगाल और झारखंड में खोले गए थे। यही नहीं कुछ आनलाइन उत्पाद बेचने वाली कंपनियों से उन्होंने खरीदारी भी की थी। पुलिस ने संबंधित कंपनियों से इन खातों की केवाईसी, सामान डिलीवरी का स्थान व अन्य ब्योरा मांगा है।
पिछले तीन माह में साइबर ठगों ने कई पेंशनधारकों को भी शिकार बनाया है। इसी वर्ष जून में ठगों ने कल्याणपुर निवासी रिटायर्ड इंस्पेक्टर रामकुमार शुक्ला से जीवित होने का प्रमाणपत्र आनलाइन जमा कराने का झांसा देकर उनके खाते का ब्योरा ले करीब छह लाख रुपये पार कर दिए थे। इसके बाद पूर्वी क्षेत्र के एक थाने में तैनात सिपाही के सेवानिवृत्त पिता को भी ट्रेजरी दफ्तर का बाबू बनकर फोन किया और जीवित होने का प्रमाणपत्र मांगने के साथ ही खाते का ब्योरा पूछकर दो लाख रुपये निकाल लिए थे। जुलाई में अपराधियों ने रिटायर्ड अपर निदेशक स्वास्थ्य रामायण प्रसाद के खाते से साढ़े छह लाख और कल्याणपुर निवासी रिटायर्ड दारोगा राजेश कुमार के खाते से भी 10 लाख रुपये निकाल लिए थे। अगस्त में अपराधियों ने यूपी 112 से रिटायर्ड दारोगा रामसेवक के खाते से भी 15.90 लाख रुपये निकाल लिए थे।
साइबर सेल और साइबर क्राइम थाने की पुलिस ने जांच शुरू की तो पता लगा कि पीडि़तों के खातों से जिन दूसरे खातों में रकम जमा हुई थी, वह सभी पश्चिम बंगाल और झारखंड में खुले हैं। इसमें से एक दर्जन खाते पेटीएम व गूगल-पे पर खोले गए थे। साइबर क्राइम थाना प्रभारी जगदीश यादव ने बताया कि अब तक 28 खातों का पता लगा है। इसमें से पेटीएम वाले कुछ खातों का ब्योरा व केवाईसी मिली है। बाकी कंपनियों से जानकारी मिलने के बाद पुलिस टीम आरोपितों को पकडऩे के लिए पश्चिम बंगाल व झारखंड जाएगी।
देर शाम या रात में करते फोन, ताकि बैंक से भी न मिले मदद
अपराधी पेंशनधारकों को शिकार बनाने के लिए देर शाम या फिर रात में फोन करते हैं ताकि अगर खातों से रकम निकलने का मैसेज आए तो वह बैंक जाकर खाता फ्रीज न करा सकें। रिटायर्ड दारोगा रामसेवक ने बताया कि अभी उनकी पेंशन नहीं बनी है। अपराधी ने फोन पर पेंशन बनाने का ही झांसा देकर बचत खाते का ब्योरा पूछा था। आरोपित का फोन आने के बाद एसबीआइ से आए फोन पर खाते से बार-बार रकम निकलने की जानकारी मिली। इस पर टोल फ्री नंबर पर काल करके खाता फ्रीज कराया।