Cyber Attack: यूपी में साइबर अटैक का पहला मामला, कानपुर में पीडब्ल्यूडी के 4 करोड़ के दस्तावेज गायब
उत्तर प्रदेश में साइबर हमले का पहला मामला प्रकाश में आया है, जिसमें कानपुर के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) से 4 करोड़ रुपये के दस्तावेज गायब हो गए ...और पढ़ें

रितेश द्विवेदी, जागरण, कानपुर। Cyber Attack: उत्तर प्रदेश में पहली बार ई-टेंडरिंग प्रक्रिया पर साइबर अटैक का गंभीर मामला सामने आया है। आरोप है कि पीडब्ल्यूडी के लगभग चार करोड़ रुपये के टेंडर में भाग लेते ही कंपनी के सभी दस्तावेज अचानक प्रहरी एप से गायब हो गए। वरद इंटरप्राईजेज फर्म के प्रोपराइटर दुर्गेश सिंह चौहान ने साइबर अटैक की आशंका जताते हुए लखनऊ स्थित पीडब्ल्यूडी मुख्यालय के साथ ही डीसीपी पूर्वी के कार्यालय में शिकायत पत्र देकर कार्रवाई की मांग की है।
वरद इंटरप्राईजेज के प्रोपराइटर दुर्गेश सिंह चौहान ने बताया कि बीते 28 नवंबर को लोक निर्माण विभाग ने घाटमपुर (कानपुर नगर) तथा कानपुर देहात के भोगनीपुर, सिकंदरा और रसूलाबाद क्षेत्रों में सड़क निर्माण और मरम्मत कार्यों के लिए लगभग चार करोड़ रुपये के टेंडर निकाले थे। उनकी फर्म वरद इंटरप्राइजेज ने प्रहरी एप के माध्यम से निर्धारित समय सीमा में सभी दस्तावेज अपलोड करके छह टेंडरों में प्रतिभाग के लिए आवेदन किया। इसके लिए लगभग 40 लाख रुपये की फीस भी आनलाइन अकाउंट से कट गई, लेकिन ज्यों ही अंतिम चरण में बोली प्रक्रिया आगे बढ़ी, एप से उनकी फर्म का पूरा डेटा अचानक गायब हो गया, जिसके कारण स्वत: उनकी फर्म ई-टेंडरिंग प्रक्रिया से बाहर हो गई।
पीड़ित दुर्गेश का आरोप है कि यह सुनियोजित साइबर अटैक किया गया, जिससे उनकी फर्म को नीलामी प्रक्रिया से बाहर किया जा सके। इस मामले में उन्होंने पीडब्ल्यूडी के मुख्यालय के अभियंताओं को शिकायत पत्र दिया है। इसके साथ ही डीसीपी ईस्ट सत्यजीत गुप्ता के कार्यालय में शिकायत पत्र देकर साइबर सेल से जांच कराने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि किसी अज्ञात तत्व ने ई-टेंडरिंग प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर एप में अपलोड दस्तावेजों को डिलीट कर दिया। उनकी माने तो 28 नवंबर की आनलाइन प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद ही यह अनियमितता सामने आई। हालांकि डीसीपी ईस्ट सत्यजीत गुप्ता ने बताया कि उन्हें शिकायत पत्र मिला नहीं है, पत्र मिलने पर जांच करके कार्रवाई की जाएगी।
पीडब्ल्यूडी मुख्यालय की आइटी सेल ने शुरू की जांच
इस मामले में पीडब्ल्यूडी मुख्यालय ने भी घटना को बेहद गंभीर माना है। मुख्यालय के अधीक्षण अभियंता प्रवीन कुमार बांगड़ी ने बताया कि शिकायत का संज्ञान लेकर आईटी सेल को जांच के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि यूपी में ई-टेंडरिंग में इस प्रकार का मामला पहली बार सामने आया है। प्रक्रिया तकनीकी रूप से बेहद सुरक्षित होती है, ऐसे में दस्तावेजों के अचानक गायब हो जाने की संभावना सामान्य परिस्थितियों में नहीं होती। इसलिए मामले की गहन जांच कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि मुख्यालय की आईटी सेल के प्रभारी अधीक्षण अभियंता चंद्रशेखर स्वयं मामले की हर पहलू से जांच कर रहे हैं। टीम यह पता लगाने में जुटी है कि दस्तावेज तकनीकी त्रुटि के चलते हटे हैं या किसी हैकिंग प्रयास से डेटा डिलीट किया गया।
ई-टेंडरिंग प्रक्रिया और प्रहरी एप की निगरानी के लिए लखनऊ मुख्यालय में पहले से एक तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी गठित है। इस कमेटी के अध्यक्ष इंडो–नेपाल बार्डर के मुख्य अभियंता सौरभ बैराठी हैं, जबकि दो अन्य सदस्य मुख्य अभियंता (भवन) सीपी गुप्ता और अधीक्षण अभियंता मुख्यालय वह स्वयं हैं। यह टीम प्रदेशभर में चल रही ई-टेंडरिंग प्रक्रिया की मानिटरिंग करती है।
प्रहरी एप पर हमें कोई डेटा नहीं दिखाई दिया। फर्म ठेकेदार ने शिकायत की है, जिसकी जानकारी मुख्यालय के अधिकारियों को दी गई है। टेंडर से दस्तावेज गायब होने की संभावना तकनीकी व्यवस्था में संभव नहीं है। जांच के बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
अनिल कुमार, अधीक्षण अभियंता, पीडब्ल्यूडी
सभी आवश्यक दस्तावेज समय पर अपलोड किए गए थे और उनकी पुष्टि भी एप में दिखाई दे रही थी। लेकिन कुछ देर बाद एप खोलने पर पूरा डेटा गायब मिला। यदि जांच सही तरीके से हुई तो इसमें किसी बाहरी साइबर हस्तक्षेप की पुष्टि जरूर होगी। जांच पूरी होने तक इस टेंडर प्रक्रिया को भी रोका जाना चाहिए।
दुर्गेश सिंह चौहान, वरद इंटरप्राईजेज

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