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कल्चर डीएसटी लैब से टीबी पर कसेगी लगाम

आधुनिक लैब बनने के बाद टीबी के गंभीर मरीज नहीं भेजे जांएगे लखनऊ या आगरा

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 08:42 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 08:42 AM (IST)
कल्चर डीएसटी लैब से टीबी पर कसेगी लगाम

जागरण संवाददाता, कानपुर : देश से टीबी के सफाए के लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज भी कदमताल करने को तैयार हो रहा है। टीबी के गंभीर मरीजों के ड्रग सेंसटिविटी टेस्ट के लिए माइक्रोबायोलॉजी विभाग में कल्चर डीएसटी (ड्रग सेंसटिविटी टेस्ट) लैब की स्थापना का कार्य तेजी से चल रहा है। आधुनिक लैब बनने के बाद गंभीर मरीजों को लखनऊ या आगरा नहीं भेज जाएगा। समय से जांच रिपोर्ट मिलने पर तत्काल इलाज शुरू हो जाएगा।

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जिले में अभी एमडीआर (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस) टीबी के मरीजों की जांच के लिए सीबी नॉट मशीन है। एक्सडीआर (एक्सट्रा ड्रग रेजिस्टेंस) टीबी के मरीजों की जांच की सुविधा नहीं है। इसलिए गंभीर मरीजों को जांच कराने के लिए आगरा एवं लखनऊ भेजना पड़ता है। इस समस्या को देखते हुए केंद्र सरकार का राष्ट्रीय टीबी डिवीजन फाइंड संस्था के सहयोग से मेडिकल कॉलेज में चार करोड़ से कल्चर डीएसटी लैब की स्थापना करा रहा है। पुराने ब्लड बैंक में फाइंड संस्था के ठेकेदार ने लैब का कार्य शुरू कर दिया है। जल्द ही आधुनिक मशीनें भी आने वाली हैं।

जांच को लेंगे जीवित बैक्टीरिया

लैब में मरीजों के बलगम से टीबी के जीवित बैक्टीरिया को लेंगे। लैब में 42 दिन तक ग्रो कराया जाएगा। फिर उस पर दवाओं का सेंसटिविटी टेस्ट करेंगे। जिस दवा से बैक्टीरिया मरेगा, वही दवा मरीज को दी जाएगी।

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लाइन प्रो एसे लैब की भी स्थापना

कल्चर डीएसटी लैब के साथ ही लाइन प्रो एसे (एलपीए) लैब की स्थापना भी हो रही है। इस लैब से फ‌र्स्ट एवं सेकेंड लाइन ड्रग की सेंसटिविटी चेक की जाएगी।

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टीबी पर शोध के खुलेंगे दरवाजे

इन दोनों लैब की स्थापना के बाद जहां मरीजों का कारगर इलाज होगा, वहीं टीबी पर शोध के रास्ते भी खुलेंगे। मेडिकल कॉलेज की फैकल्टी एवं जूनियर रेजीडेंट शोध भी कर सकेंगे।

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कल्चर डीएसटी लैब एवं एलपीए लैब जिले से टीबी के सफाए के लिए मील का पत्थर साबित होंगी। दोनों लैब का कार्य तेजी से चल रहा है। मार्च 2021 तक शुरू होने की उम्मीद है।

डॉ. एपी मिश्रा, जिला क्षय रोग अधिकारी


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