आशुतोष हत्याकांड में इंसाफ : मासूम का अपहरण कर दर्दनाक मौत देने वालों को उम्रकैद की सजा
जून 2016 में बैंक प्रबंधक के बेटे को फिरौती के लिए अगवा करने के बाद हत्या कर दी गई थी।
कानपुर, जेएनएन। शहर के चर्चित आशुतोष अपहरण व हत्याकांड में सोमवार को अपर सत्र न्यायाधीश मोहम्मद रफी ने चारों आरोपितों को दोषी करार दिया। सभी को उम्रकैद की सजा सुनायी गई है। आरोपितों पर सवा-सवा लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। एक महिला आरोपित को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया। सजा सुनने के बाद आरोपित महिला ने आपा खो दिया और खिड़की का शीशा तोड़ दिया।
8 जून 2016 को हुई थी घटना
नौबस्ता निवासी धर्मपाल सिंह का दस वर्षीय बेटा आशुतोष बड़ी बहन तान्या के साथ 8 जून 2016 की शाम घर से सात सौ मीटर दूर स्थित कोचिंग पढऩे गया था। वह पेंसिल ले जाना भूल गया तो दोबारा अकेले ही कोचिंग से घर जाने के लिए निकला। प्रकाश उसकी मौसी का देवर था लिहाजा उसने मौका पाकर आशुतोष को बुलाया और कार में बिठा लिया। शाम 5:15 बजे अपहरणकर्ताओं ने पिता धर्मपाल को फोन कर 25 लाख रुपये फिरौती मांगी। पहले तो धर्मपाल को यह बात मजाक लगी लेकिन जब आशुतोष नहीं लौटा तो उसकी खोजबीन की। शाम 6:05 बजे उन्होंने नौबस्ता थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।
पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया था
आशुतोष का अपहरण होने के बाद एसटीएफ सक्रिय हुई तो लगातार दबाव के चलते आरोपित जगह बदल रहे थे। इसके लिए प्रकाश ने अपनी कार का प्रयोग किया था। आरोपितों ने आशुतोष के मुंह पर टेप लगाकर उसे बोरे में बंदकर दिया। दम घुटने से उसकी मौत हो गई थी। जिसके बाद घबराए आरोपितों ने उसे अकबरपुर बलई घाट पुलिया के नीचे ले जाकर जला दिया। अधजला शव बोरे में भरकर सेंगुर नदी में बहा दिया था।
एसटीएफ ने 17 जून को माती मुख्यालय के पास से प्रकाश वर्मा उसकी पत्नी रौनक, शेरा उर्फ साहिल और अतीक खान समेत पांच को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। रौनक की निशानदेही पर अकबरपुर निवासिनी संगीता दिवाकर को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। संगीता पर आरोप था कि उसने रुपये के लालच में आशुतोष को अपने घर पर रखा था। काफी प्रयास के बाद भी पुलिस शव बरामद नहीं कर सकी थी। पुलिस ने मामले में चौदह गवाह बनाए थे।
अभियोजन अधिकारी ने की थी फांसी की मांग
अभियोजन अधिकारी गौरवेंद्र त्रिपाठी, रवि मिश्रा, उपदेश नारायण मिश्रा के मुताबिक रौनक के पास से आशुतोष की डायरी, प्रकाश से फिरौती में उपयोग किया गया फोन, अतीक और शेरा से पेट्रोल वाली बोतल बरामद हुई थी। सजा के प्रश्न पर अभियोजन अधिकारी ने दलील दी कि यह विरलतम से विरलतम मामला है इसलिए आरोपितों को फांसी की सजा दी जाए जबकि बचाव पक्ष ने पहला अपराध होने के चलते कम से कम सजा दिए जाने की अपील की थी। इस मामले में एक आरोपित किशोर था। उसकी सुनवाई दूसरी अदालत में विचाराधीन है। पिता धर्मपाल सिंह का कहना है कि न्यायालय पर पूरा भरोसा था, मुझे इंसाफ मिला है। आज आशुतोष की आत्मा को शांति मिली होगी। बरी महिला आरोपित के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे।
इस अपराध में चारों को मिली सजा
- हत्या/षडयंत्र में उम्रकैद, 50 हजार रुपये जुर्माना
- अपहरण/षडयंत्र में उम्रकैद, 50 हजार रुपये जुर्माना
- साक्ष्य मिटाने/षडयंत्र में सात वर्ष, 25 हजार रुपये जुर्माना
यह साक्ष्य बने सजा का आधार
- अभियोजन अधिकारी के मुताबिक शेरा व अतीक से पेट्रोल की जो बोतल बरामद हुई थी, विधि विज्ञान प्रयोगशाला में उनके फिंगर प्रिंट बोतल से मैच हुए थे
- अतीक ने जिस फोन से फिरौती मांगी थी वह प्रकाश से बरामद हुआ था
- अतीक की आवाज फिरौती मांगने वाली आवाज से मेल हुई थी
- जिस स्थान पर शव जलाया गया था वहां की काली मिट्टी के परीक्षण में आया था कि मानव जलाया गया है
- बहन तान्या ने सभी मुल्जिमों की शिनाख्त की थी
- स्वतंत्र गवाह राहुल गौतम के सामने पुलिस ने आरोपितों से बोरी, कपड़े, बोतल बरामद किए थे
- साक्ष्य निर्मल कुमार ने आरोपितों को नौबस्ता से माती जाते हुए देखा था।