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कानपुर में ऑक्सीजन प्लांटों की आंखों देखी हकीकत, गेट पर कतार और सिलिंडर अंदर से बाहर

कानपुर में कोरोना संक्रमण के चलते ऑक्सीजन सिलिंडर की मांग पर बढ़ने पर प्रशासन ने नियम तय कर दिए लेकिन ऑक्सीजन प्लांट पर जुगाड़ से सबकुछ हो रहा है। संवाददाता ने पड़ताल की तो हकीकत सामने आ गई।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 04 May 2021 12:49 PM (IST)Updated: Tue, 04 May 2021 12:49 PM (IST)
कानपुर में ऑक्सीजन प्लांटों की आंखों देखी हकीकत, गेट पर कतार और सिलिंडर अंदर से बाहर
ऑक्सीजन प्लांट में नियमों पर भारी है जुगाड़।

कानपुर, जेएनएन। ऑक्सीजन सिलिंडर को लेकर मारामारी चल रही है। लोग ऑक्सीजन सिलिंडर भराने के लिए दिन रात कतार में खड़े हो रहे हैं, जिनके पास जुगाड़ है उन्हें लाइन में लगने की भी जरूरत नहीं। जुगाड़, जितना तगड़ा होगा, ऑक्सीजन उतनी ही जल्दी मिलेगी। दैनिक जागरण की टीम ने सोमवार को कोविड अस्पतालों और मरीजों को आक्सीजन सिलिंडर रीफिलंग करने वाले प्लांटों की पड़ताल की। इसमें मुरारी गैस में जुगाड़ की बानगी देखने को मिली। यहां गेट के बाहर भीड़ के बीच में खड़े युवक का अंदर से निकले कर्मचारी ने नाम पुकारा तो वह खाली हाथ अंदर पहुंचा और महज दस से 15 मिनट में वह सिलिंडर लेकर बाहर आ गया जबकि अन्य लोग सिलिंडर लेकर कतार में खड़े अपनी बारी का इंतजार करते रहे।

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scene-1 : मुरारी आक्सीजन दादानगर मुरारी गैस में सिलिंडर भराने वालों की कतार के साथ अस्पतालों को सप्लाई पहुंचाने वाले वाहन, एंबुलेंस, लोडर ऑटो, ई-रिक्शा खड़े थे। स्टैटिक मजिस्ट्रेट विराग करवरिया प्लांट के अंदर बैठे थे। एक कर्मचारी ने गेट खोला और दो से तीन बार जोर से आवाज लगाई शिखर कौन है। हेलमेट लगाए एक 26 वर्षीय युवक ने हाथ उठाकर इशारा किया। कर्मचारी ने अंदर बुलाया। अंदर जाकर उसने बोला कि गुड्डू भाई ने भेजा है। दस मिनट बाद वह डी-2 टाइप का सिङ्क्षलडर लेकर प्लांट से बाहर निकला। उसके पास सिलिंडर भी नहीं था।

scene-2 : चमन गैसेस दादानगर औद्योगिक क्षेत्र स्थित चमन गैस के बाहर आक्सीजन सिङ्क्षलडर के लिए लंबी लाइन नहीं लगी थी। स्टैटिक मजिस्ट्रेट अनुज कुमार प्लांट के बाहर ही बैठे थे। गेट पर चॉक से लिखा था कि ऑक्सीजन खत्म हो गई। प्लांट के अंदर जाकर मालिक संदीप अरोड़ा के भाई करन से जानकारी की गई तो उन्होंने बताया कि दोपहर दो बजे गैस खत्म होने से पहले पांच सौ सिलिंडर रीफिर किए गए हैं। कुछ लोग इंतजार में सिङ्क्षलडर लिए यहीं बैठे रहे। जबकि कुछ दूसरे प्लांट चले गए।

scene-3 : पनकी आक्सीजन प्लांट औद्योगिक क्षेत्र दादा नगर में स्थित पनकी ऑक्सीजन प्लांट में ही सिङ्क्षलडर फटने से हादसा हुआ था। इससे आधा प्लांट बंद है। हादसे के बाद से यहां फुटकर बिक्री बंद है। कोविड और सामान्य अस्पतालों को यहां से सप्लाई दी जा रही है। प्लांट में मिले स्टैटिक मजिस्ट्रेट प्रियंक सिंह ने बताया कि अभी पंप बहाल नहीं किया जा सका है। इंजीनियरों की टीम काम कर ही है। मरम्मत में छह दिन लगने की उम्मीद है। के-ब्लाक किदवई नगर के एक नॉन कोविड अस्पताल के कर्मचारी दीपक कश्यप ने बताया कि वह 15 सिलिंडर रीफिल कराने के लिए सोमवार सुबह 8.30 बजे आए थे। दोपहर दो बजे तक उनके सिङ्क्षलडरों को रीफिङ्क्षलग के लिए नहीं लिया गया।

scene-4: बब्बर गैस प्लांट फजलगंज औद्योगिक क्षेत्र स्थित बब्बर गैस प्लांट में करीब 150 लोगों की लंबी लाइन लगी थी, जितने जरूरतमंद प्लांट के अंदर थे उतने ही करीब प्लांट के बाहर लाइन में लगे अपना नंबर आने का इंतजार कर रहे थे। यहां अस्पतालों के साथ फुटकर बिक्री चालू थी। यहां स्टैटिक मजिस्ट्रेट शरद शुक्ल एयर कंडीशन रूम में बैठे मिले। गाडिय़ां भरने के साथ फुटकर सिलिंडर लेने वालों की प्लेटफार्म से गेट के पास तक लाइन लगी थी। पहला गैस प्लांट ऐसा था जहां युवती और महिलाएं भी लाइन में लगी थीं।

प्लांट के बाहर फजलगंज थाने का फोर्स तैनात था। जबकि 50 से अधिक लोग नंबर आने की आस में सिलिंडर जमीन पर गिराकर उसके ऊपर बैठे इंतजार कर रहे थे। यहां भी प्लांट के अंदर और बाहर कहीं भी शारीरिक दूरी का पालन होता नजर नहीं आया। वहीं कुछ कर्मचारी तो बिना मास्क लगाए ही सिलिंडर इधर से उधर पहुंचाने का काम करने में लगे नजर आये।


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