Coronavirus Kanpur News: अपनों का दर्द देख दूसरों की ओर बढ़ाए मदद के हाथ, घर तक पहुंचा रहे मदद
Coronavirus Kanpur News किदवई नगर के वैभव राठौर ने दोस्तों की टीम बनाई है। इंटरनेट मीडिया पर एक ग्रुप बनाया जिसकी मदद से वह जरूरतमंदों तक और जरूरतमंद उन तक पहुंचते हैं। टीम के सदस्यों को अलग अलग काम बांट दिया गया है।
कानपुर, [आलोक शर्मा]। Coronavirus Kanpur News कोविड संक्रमण के इस दौर में खुद को जिंदा रखने के लिए हर कोई जद्दोजहद कर रहा है। संक्रमण की चेन तोडऩे के लिए दूसरों से दूरी भी जरूरी है, इसलिए लोग समारोह अथवा शवयात्रा में जाने से बच रहे हैं। पड़ोसी संक्रमित हो जाए तो पड़ोसियों का दूरी बनाना भी आम बात है। डर और आशंका के इस माहौल में कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनों का दर्द देखा तो विचलित हो गए।
सड़क पर उतरकर संक्रमितों की मदद में जुट गए। उनका घर जाकर इलाज करा रहे हैं। मरीजों को ऑक्सीजन, प्लाज्मा व बेड दिलवा रहे हैं। खबर में दिए तीन उदाहरण ऐसे ही लोगों से जुड़े हैं, जिन्हें खुद से ज्यादा दूसरों की परवाह है। हो भी क्यों न? शहर की तासीर ही कुछ ऐसी है कि जब जब विपदा आयी, मदद को हाथ भी उठे। कानपुर अपनी इसी ङ्क्षजदादिली से कोरोना को हराएगा और जीतेगा।
नेकी एक : लखनऊ के जिगरी दोस्त का सगा भाई यूएस से आया और कोविड संक्रमित होकर जान गवां बैठा। आलम मार्केट निवासी साहबे सिद्दीकी को यह सदमा बर्दाश्त नहीं हुआ। उन्होंने शहर में संक्रमण से परेशान लोगों की मदद का बीड़ा उठाया। दवा व्यापारी, डॉक्टर और दोस्तों के साथ टीम बनाई और जरूरतमंदों को घर पर इलाज, ऑक्सीजन, जरूरी दवाएं मुहैया करा रहे हैं। टीम के डॉक्टर शोएब मलिक प्रेमनगर में बुजुर्ग संक्रमित महिला का इलाज करने उनके घर जाते हैं।
नेकी दो : किदवई नगर के वैभव राठौर ने दोस्तों की टीम बनाई है। इंटरनेट मीडिया पर एक ग्रुप बनाया, जिसकी मदद से वह जरूरतमंदों तक और जरूरतमंद उन तक पहुंचते हैं। टीम के सदस्यों को अलग अलग काम बांट दिया गया है। टीम के सदस्य पहले ऑक्सीजन, अस्पताल में बेड और प्लाज्मा की उपलब्धता पता करते हैं फिर ग्रुप में शेयर करते हैं। वैभव बताते हैं कि अब तक नौ लोगों को प्लाज्मा, 100 से ज्यादा लोगों को बेड, ऑक्सीजन और दवाएं दिलवा चुके हैं।
नेकी तीन : गिरिजा नगर निवासी संजू राणा ने परिचित को तिल तिल कर मरते देखा तो परेशान हो गए। संक्रमितों की मदद को दोस्तों से बात की तो दो तैयार हो गए। उसके बाद अपने परिचितों व जानने वालों को अपने नंबर देकर किसी भी जरूरत पर कॉल करने को कहा। दूसरे दिन से ही फोन आने लगे। अपने संबंधियों और जानकारों की मदद से अब तक चार लोगों को अस्पताल में भर्ती करवा चुके हैं। संक्रमितों के घर जाकर दवाएं और ऑक्सीजन भी उपलब्ध करा रहे हैं।