वाणिज्य कर वसूली का ग्राफ बता रहा कारोबार में कोरोना इफेक्ट खत्म, टूटेगा पिछले वर्ष का रिकॉर्ड
वाणिज्य कर विभाग में अक्टूबर माह में बकाया वसूली पिछले वर्ष की तुलना में ढाई गुना बढ़ गई वहीं अधिकारियों को उम्मीद है कि नवंबर की बकाया वसूली इससे ज्यादा बढ़ेगी। इसमें कानपुर ने भी जबरदस्त छलांग लगाई और इससे उच्च अधिकारी भी उत्साहित हैं।
कानपुर, [राजीव सक्सेना]। वाणिज्य कर विभाग पर कोरोना का प्रभाव खत्म हो गया है। पिछले दो माह में विभाग ने अपनी बकाया वसूली जिस तरह की है, उसके आंकड़े तो यही बता रहे हैं। इन दो माह में अधिकारियों-कर्मचारियों ने बकाया वसूली पर जो मेहनत की है, उसकी वजह से कानपुर ने इसमें जबरदस्त छलांग लगाई। इससे उच्च अधिकारी भी उत्साहित हैं।
पिछले वर्ष सितंबर में जहां 3.05 करोड़ रुपये की वसूली थी, वहीं इस बार सितंबर में 75 फीसद बढ़कर यह 5.37 करोड़ रुपये हो गई। पिछले महीने अक्टूबर में यह वसूली 6.97 करोड़ बढ़कर ढाई गुना पहुंच गई। पिछले साल यह 2.6 करोड़ थी। अधिकारियों का कहना है कि नवंबर में वसूली और तेज होगी और उसमें भी पिछले वर्ष का कीर्तिमान टूटेगा।
कोरोना इफेक्ट के चलते चालू वित्तीय वर्ष के पहले दो माह में विभाग एक भी रुपये की वसूली नहीं कर सका था। जून में वसूली शुरू हुई, लेकिन नाममात्र की। जुलाई में भी कुछ खास प्रभाव नहीं था। वित्तीय वर्ष के पहले पांच माह में 1.83 करोड़ रुपये ही वसूली हो सकी थी जबकि इन्हीं पांच माह में पिछले वर्ष 11.47 करोड़ रुपये रुपये की वसूली हो चुकी थी। वर्ष 2019 में अक्टूबर तक वाणिज्य कर विभाग की बकाया वसूली 17.13 करोड़ रुपये हो चुकी थी। इस वर्ष सितंबर व अक्टूबर की वसूली ने विभाग को 14.17 करोड़ तक पहुंचा दिया है। विभाग ने पिछले वर्ष नवंबर मेें 3.58 करोड़ रुपये की वसूली की थी। अधिकारियों की उम्मीद है कि नवंबर की वसूली भी पिछले वर्ष से ज्यादा होगी।
यह है वाणिज्य कर विभाग की वसूली की स्थिति (लाख में)
माह वर्ष 2020 वर्ष 2019
अप्रैल 00.00 171.16
मई 00.00 206.84
जून 14.55 286.55
जुलाई 44.73 231.20
अगस्त 123.96 251.65
सितंबर 537.12 305.99
अक्टूबर 697.17 260.25
अधिकारियों और कर्मचारियों की टीम ने बहुत ही अच्छा कार्य किया है। अगस्त और सितंबर दोनों माह में पिछले वर्ष से ज्यादा वसूली की। नवंबर में भी पिछले वर्ष के मुकाबले ज्यादा वसूली होगी। -पीके सिंह, एडीशनल कमिश्नर, ग्रेड वन, जोन वन, वाणिज्य कर विभाग।